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ब्रिटिश और पुर्तगाली ही नहीं, शिवाजी तक जीत नहीं पाए थे इस किले को, कुछ ऐसी है इसकी बनावट

महाराष्ट्र का मुरुड-जंजीरा फोर्ट अपनी विशाल और अनोखी बनावट की वजह से टूरिस्टों के बीच खासा लोकप्रिय है। मुंबई और पुणे के आसपास घूमने वाली जगहों की तलाश कर रहे हैं तो एक बार यहां जरूर जाएं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 02:14 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 03:38 PM (IST)
ब्रिटिश और पुर्तगाली ही नहीं, शिवाजी तक जीत नहीं पाए थे इस किले को, कुछ ऐसी है इसकी बनावट
ब्रिटिश और पुर्तगाली ही नहीं, शिवाजी तक जीत नहीं पाए थे इस किले को, कुछ ऐसी है इसकी बनावट

जंजीरा फोर्ट, महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के मुरुड गांव में स्थित है। मुंबई और पुणे में आसपास घूमने वाली वाली जगहों में ये एक पॉप्युलर ट्रैवल डेस्टिशन है। अरब सागर में छोटे आइलैंड पर बने होने की वजह से इसे आइलैंड फोर्ट भी कहा जाता है। यह किला कभी जंजीरा के सिद्धिकियों की राजधानी हुआ करता था। किला लगभग 350 वर्ष पुराना है। जिसकी दीवारें 40 फीट ऊंची हैं। अपनी इसी खास बनावट की वजह से अनेक हमलों के बाद भी ये किला आज भी वैसा ही बरकरार है।

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किले का इतिहास

15वीं शताब्दी में कोली प्रमुख द्वारा लकड़ी से बनाया गया एक छोटा किला था जिसे अहमदनगर के सेनापति पीर खान ने अपने अधीन कर लिया था। पीर खान के बाद लकड़ी के इस किले को तुड़वाकर नगर साम्राज्य के प्रमुख शासक मलिक अंबर ने अपनी देखरेख इस विशाल किले का निर्माण कराया था और उसे बिल्कुल नया रूप दिया।

किले की बनावट

यह किला समुद्र तल से 90 फीट ऊंचा है। और इसकी नींव 20 फीट गहरी है। इस किले को बनाने में 22 वर्षों का समय लगा था। 22 एकड़ में फैले इस किले में सुरक्षा चौकियों की संख्या भी 22 ही है। इस किले की बनावट की वजह से ही इस पर शिवाजी से लेकर शंभाजी, पुर्तगाली यहां तक कि ब्रिटिश तक कब्जा नहीं कर पाए।

किले में अंदर घुसते ही जो सबसे पहली चीज़ नज़र आती है वो है नागरखाना, जो प्रवेश द्वार के ठीक ऊपर है। जो संगमरमर पर अरेबिक शिलालेख है जो उस दौर के बारे में जानकारी देता है। द्वार से अंदर आने पर पीर पंचायतन मंदिर देखने को मिलेगा। यहां सीढ़ियों से होते हुए किले की ऊंचाई तक पहुंचा जा सकता है। किले में अभी भी कई तोपें हैं जो बिल्कुल भी खराब नहीं हुई हैं। यहां एक पांच मंजिला इमारत भी जीर्ण-शीर्ण हालत में है जो कभी नवाब शिद्दी सुरूल खान का खूबसूरत महल हुआ करता था।

अगर आप किले के उत्तर भाग में जाएंगे तो यहां एक दूसरा विशाल प्रवेश द्वार देखने को मिलेगा। स्थानीय लोगों ने इसे चोर दरवाजे का नाम दिया है। इस आइलैंड फोर्ट के बीचों-बीच लगभग 80 मीटर ऊंची एक छोटी पहाड़ी भी है जहां पहुंचकर आप किले के सभी इमारतों को आसानी से देख सकते हैं। किले के अंदर पानी की दो बड़ी टंकियां और दो मस्जिद भी हैं। किले के पूर्व में जाने पर समुद्र का बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। उत्तर में एक और पद्मदुर्ग किला है। 81.5 एकड़ में फैले इस किले को कासा किले के नाम से भी जाना जाता है। जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था।

कैसे पहुंचे

फ्लाइट से- अगर आप फ्लाइट से यहां आने की सोच रहे हैं तो छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहां का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है।

ट्रेन से- कोंकण लाइन पर रोहा यहां तक पहुंचने का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।

रोड से- मुंबई-गोवा हाइवे NH17 से होते हुए यहां तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा राज्य परिवहन बसें भी मुरूड तक अवेलेबल होती हैं।

नाव से- मुरुड से राजपुरी पहुंचकर यहां से नाव द्वारा इस किले तक पहुंचा जा सकता है।


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