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मां पार्वती के सबसे पवित्र जगहों में से एक है मीनाक्षी मंदिर, जहां की शिल्पकला है दुनियाभर में मशहूर

इस मंदिर को माता पार्वती के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की शिल्पकला विश्वप्रसिद्ध है। शिल्पकारों द्वारा यहां बहुत बारीक चित्रकारी की गई है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 02:33 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 09:08 AM (IST)
मां पार्वती के सबसे पवित्र जगहों में से एक है मीनाक्षी मंदिर, जहां की शिल्पकला है दुनियाभर में मशहूर
मां पार्वती के सबसे पवित्र जगहों में से एक है मीनाक्षी मंदिर, जहां की शिल्पकला है दुनियाभर में मशहूर

देवी मीनाक्षी का मंदिर तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है, जिसे मीनाक्षी सुंदरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। देवी पार्वती की ही अवतार हैं-मीनाक्षी देवी। मीनाक्षी का अर्थ है-मछली जैसी आंखों वाली। मछली पांड्य वंश के राजाओं का राजचिह्न भी है। एक पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुंदेश्वर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री मीनाक्षी से विवाह करने मदुरै नगर आए थे। इस मंदिर को माता पार्वती के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इसके अलावा कांचीपुरम का कामाक्षी एवं वाराणसी का विशालाक्षी मंदिर भी देखने योग्य है। इस मंदिर की शिल्पकला विश्वप्रसिद्ध है। शिल्पकारों द्वारा यहां बहुत बारीक चित्रकारी की गई है।

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मंदिर की अनोखी संरचना

इस मंदिर का गर्भगृह 3500 वर्ष पुराना है। यहां पूरे मंदिर का भवन समूह लगभग 45 एकड़ भूमि पर बना हुआ है, जिसमें मुख्य मंदिर बहुत बड़ा है। इसकी लंबाई 25 मीटर एवं चौड़ाई 237 मीटर है। मंदिर बारह गोपुरम से घिरा है। इसके दक्षिण द्वार का गोपुरम सर्वोच्च है। इस मंदिर के द्वार पर अष्टलक्ष्मी की मूर्तियां बनी हैं, प्रत्येक स्तंभ पर एक मूर्ति है। उसी छत पर पार्वती के जन्म, तपस्या और विवाह आदि की कथाएं अंकित हैं। इसी मंदिर के भीतर कमल के फूलों से भरा एक सुंदर तालाब है, उसके चारों ओर खंभों पर भगवान शिव की लीलाएं मूर्ति के रूप में अंकित हैं। यहां नवग्रह की मूर्तियां भी दर्शनीय हैं।

मंदिर के परिसर में एक सरोवर भी है, जिसे स्वर्ण पुष्करिणी कहा जाता है। यह 165 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा है। मंदिर के भीतर देवी मीनाक्षी की अत्यंत सजीव मूर्ति है, जो बहुमूल्य आभूषणों से सुसज्जित रहती है। सुंदरेश्वर देव (महादेव) यहां नटराज मुद्रा में चांदी की वेदी पर स्थापित हैं, इसी वजह से यहां इन्हें वेल्ली अम्बल्म (रजत आवासी) भी कहा जाता है। मंदिर परिसर में गणेशजी का सुंदर स्वरूप भी है, जिसे मुकुरुनय, विनायक या विनायग्र भी कहा जाता है।

मीनाक्षी तिरुकल्याण उत्सव

मीनाक्षी तिरुकल्याणं यहां का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है। जिसका अर्थ है-मीनाक्षी देवी का विवाह। चैत्रशुक्ल पक्ष द्वितीया को दक्षिण भारत के लोग यह उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। नवरात्रि और शिवरात्रि का त्योहार भी यहां धूमधाम से मनाया जाता है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

अन्य दर्शनीय स्थल

मदुरै में मीनाक्षी मंदिर के अलावा तिरुप्परंकुंद्रम मुरुगन मंदिर, कूडल अज्हगर मंदिर, थिरुमलाई नायक महल, गांधी संग्रहालय, गोपाल स्वामी मंदिर, सेंटमेरीज़ कैथेड्रल चर्च आदि भी दर्शनीय स्थल हैं। सितंबर से लेकर दिसंबर तक यहां का मौसम  सुहावना रहता है। यहां मिलने वाले स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय व्यंजन पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। यात्रियों के ठहरने के लिए लॉज, होटल या तमिलनाडु सरकार द्वारा बनवाए गए आरामदेह गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। यहां आने वाली स्त्रियां यात्रा के यादगार स्वरूप अपने साथ सिल्क की साडिय़ां ज़रूर लेकर जाती हैं।


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