Move to Jagran APP

पृथ्वी की नाभि में बसा है महाकालेश्वर मंदिर

सावन के पावन महीने में पूरा देश बोलबम के जयकारे के साथ भगवान शंकर की भक्ति में लीन हो जाता है। इस दौरान भक्तजन बाबा भोले के दर्शन के लिए कई मील की दूरी का सफर करते हैं। ऐसी ही एक जगह है धर्म और आस्था की नगरी उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, जहां हर साल सावन के महीने में लाखों की संख्या में लोग भगवान शिव की आराधना के ि

By Edited By: Published: Sun, 28 Jul 2013 09:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
पृथ्वी की नाभि में बसा है महाकालेश्वर मंदिर
पृथ्वी की नाभि में बसा है महाकालेश्वर मंदिर

सावन के पावन महीने में पूरा देश बोलबम के जयकारे के साथ भगवान शंकर की भक्ति में लीन हो जाता है। इस दौरान भक्तजन बाबा भोले के दर्शन के लिए कई मील की दूरी का सफर करते हैं। ऐसी ही एक जगह है धर्म और आस्था की नगरी उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, जहां हर साल सावन के महीने में लाखों की संख्या में लोग भगवान शिव की आराधना के लिए पहुंचते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। इस मंदिर को मध्य भारत की भव्यता का प्रतीक माना जाता है। इसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर के बारे में लिखा गया है।

पौराणिक कथा
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग की स्थापना से संबंधित भारतीय पुराणों के अलग-अलग कथाओं में इसका वर्णन मिलता है। एक कथा के अनुसार एक बार अवंतिका नाम के राज्य में राजा वृषभसेन नाम के राजा राज्य करते थे। राजा वृषभसेन भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। अपने दिन का अधिकतर समय वह भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लगाते थे।
एक बार पड़ोसी राजा ने वृषभसेन के राज्य पर हमला बोल दिया। वृषभसेन ने पूरे साहस के साथ इस युद्ध का सामना किया और युद्ध को जीतने में सफल रहे। अपनी हार का बदला लेने के लिए पड़ोसी राजा ने वृषभसेन को हराने के लिए कोई और उपाय सोचा। इसके लिए उसने एक असुर की सहायता ली। उस असुर को अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था। पड़ोसी राजा ने असुरों की सहायता से अवंतिका राज्य पर फिर हमला बोल दिया। इन हमलों से बचने के लिए राजा वृषभसेन ने भगवान शिव की शरण ले ली।
अपने भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव साक्षात अवंतिका राज्य में प्रकट हुए। उन्होंने पड़ोसी राजा और असुरों से प्रजा की रक्षा की। इस पर राजा वृषभसेन और प्रजा ने भगवान शिव से अंवतिका राज्य में ही रहने का आग्रह किया, जिससे भविष्य में अन्य किसी आक्रमण से बचा जा सके। अपने भक्तों के आग्रह को सुनकर भगवान शिव वहां ज्योतिर्लिग के रूप में प्रकट हुए।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग का इतिहास बताता है कि इस मंदिर का 1234 ई। में दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने आक्रमण करके विध्वंस कर दिया लेकिन बाद में यहां के शासकों ने इसका पुन: जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण किया।

विश्व प्रसिद्ध उज्जैन
पृथ्वी की नाभि कहा जाने वाला उज्जैन शहर तीर्थ स्थल के रूप में विश्व विख्यात है। क्षिप्रा नदी के किनारे बसा यह शहर कभी महाराजा विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी था। हिंदुओं के लिए यह शहर पवित्र माना जाता है। यहां पर द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक ज्योतिर्लिग स्थापित है। यह जगह हिंदू धर्म की 7 पवित्र पुरियों में से एक है। भारत के 51 शक्तिपीठों और चार कुंभ क्षेत्रों में एक जगह उज्जैन है। यहां हर 12 साल में पूर्ण कुंभ मेला तथा हर 6 साल में अ‌र्द्धकुंभ मेला लगता है।
अगर आप उज्जैन आते हैं तो यहां न केवल आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग के दर्शन कर पाएंगे बल्कि गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, कालभैरव, गोपाल मंदिर, क्षिप्रा घाट, त्रिवेणी संगम, सिद्धवट, मंगलनाथ मंदिर और भतर्ृहरि गुफा जैसे पर्यटन और तीर्थ स्थलों के भी दर्शन कर पाएंगे। उज्जैन से 3 मील दूर भैरवगढ़ नामक स्थान पर सम्राट अशोक ने कारागार बनवाया था। आप इसे भी देख सकते हैं।

कैसे पहुंचें
महाकालेश्वर मंदिर से 53 किलोमीटर की दूरी पर देवी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट है। यह जगह देश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। आप इंदौर एयरपोर्ट उतरकर टैक्सी ले सकते हैं। उज्जैन के लिए टैक्सी किराया 1000 रुपये तक है। मंदिर से महज कुछ ही दूरी पर उज्जैन रेलवे स्टेशन है जो पश्चिम रेलवे जोन का महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। यह भारत के अलग-अलग हिस्सों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, मालवा, पुणे, इंदौर और भोपाल आदि जगहों से आप सीधे ट्रेन के जरिए उज्जैन पहुंच सकते हैं। अगर आप सड़क के जरिए महाकालेश्वर मंदिर जाना चाहते हैं तो मैक्सी रोड, इंदौर रोड और आगरा रोड सीधे उज्जैन से जुड़े हुए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.