जानें, किस वजह से लव बर्डस बनारस के इस घाट पर स्नान नहीं करते हैं?
बनारस में गंगा नदी के किनारे कुल 88 घाट हैं। इनमें एक नारद घाट है। इस घाट का नाम महर्षि नारद के नाम पर रखा गया है। यह घाट नारदेश्वर मंदिर के किनारे बसा है। इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित है जिसकी पूजा-अर्चना महर्षि नारद जी ने की थी।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। सनातन धर्म में बनारस शहर का विशेष महत्व है। दैविक काल से बनारस देव भूमि के नाम से जाना जाता है। यह शहर पवित्र गंगा नदी के किनारे बसा है। गंगा के किनारे कुल 88 घाट हैं, जिनमें दो घाट पर अंतिम संस्कार किया जाता है। खासकर मणिकर्णिका घाट अंतिम संस्कार के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर होता है, उसे मोक्ष अथवा स्वर्ग की प्राप्ति होती है। अन्य घाटों पर पूजा-अर्चना और गंगा आरती की जाती है। बनारस अपनी धार्मिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर साल दुनियाभर से पर्यटक बनारस घुमने आते हैं। लोग गंगा आरती में शामिल होकर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हालांकि, कई ऐसे घाट हैं, जो अन्य चीजों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें एक ऐसा घाट है, जिस घाट पर दंपत्ति अथवा लव बर्डस यानी प्यार वाले जोड़ों को स्नान करने की मनाही है। अगर आपको इस घाट के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-
जैसा कि हम सब जानते हैं कि बनारस में गंगा नदी के किनारे कुल 88 घाट हैं। इनमें एक नारद घाट है। इस घाट का नाम महर्षि नारद के नाम पर रखा गया है। यह घाट नारदेश्वर मंदिर के किनारे बसा है। इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित है, जिसकी पूजा-अर्चना महर्षि नारद जी ने की थी। यह घाट अन्य घाटों से बिल्कुल अलग है, क्योंकि इस घाट के बारे में मान्यता है कि ब्रम्हचारी नारद घाट पर स्नान करने से युग्ल जोड़ी को नारद जी का शाप लग सकता है। इस घाट पर स्नान करने से उनके संबंध में दूरियां बढ़ने लगती हैं। कई अवसर पर रिश्ते टूट भी जाते हैं। इसके चलते लोग नारद घाट पर स्नान नहीं करते हैं। पर्यटक भी इस नारद घाट पर स्नान करने से गुरेज करते हैं। अगर आप भी बनारस जाते हैं और नारद घाट पर जाने का मौका मिलता है, तो नारद घाट पर स्नान न करें।