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पाताललोक जाने का है यह है इकलौता प्रवेश द्वार, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

बहरिया समुदाय के लोगों का मानना है कि मां सीता इस स्थान से ही धरती में समा गई थी। जबकि रामायण के समय में हनुमान जी भी इसी रास्ते से पाताललोक गए थे।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 12:23 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 12:23 PM (IST)
पाताललोक जाने का है यह है इकलौता प्रवेश द्वार, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य
पाताललोक जाने का है यह है इकलौता प्रवेश द्वार, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। दुनिया रहस्यों से भरी है। इनमें एक रहस्यमय स्थान पतालकोट है। अक्सर आपने ये कहते सुना होगा कि धरती के नीचे पाताललोक है। जहां राजा बलि रहते हैं, जिन्हें असुरों का राजा कहा जाता है। जबकि इस लोक में नागों का भी बसेड़ा है। इस लोक का वर्णन सनातन धर्म ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है। जबकि पतालकोट मध्य प्रदेश के छिड़वांदा जिले के तामिया में स्थित है। यह क्षेत्र ऊंचे-उंचें पहाड़ों और हरे भरे जंगलों से घिरा है। इस क्षेत्र में कुल 12 गांव है। जबकि इन गांवों में 2,000 से अधिक जनजातियां बसी हैं और गांवों के बीच की दूरी 3 से 4 किमी की दूरी पर स्थित है। जबकि यह पूरा क्षेत्र 20,000 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। ये आंकड़े पूर्व के हैं। अतः इनमें अंतर हो सकता है।

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क्या है धार्मिक गाथा

पतालकोट में बहरिया और गोंड जनजाति के लोग रहते हैं। प्रचीन समय में दुर्गमता की वजह से इस जगह से संपर्क टूट गया था। हालांकि, आधुनिक समय में इस जगह का चौतरफा विकास हुआ है। फ़िलहाल तामिया क्षेत्र में स्कूल समेत सभी सरकारी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। बहरिया समुदाय के लोगों का मानना है कि मां सीता इस स्थान से ही धरती में समा गई थी। जबकि रामायण के समय में हनुमान जी भी इसी रास्ते से पाताललोक गए थे। जब उन्होंने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण के चुंगल से बचाया था।

पतालकोट का रहस्य

पतालकोट रहस्यों से भरा है। यहां दोपहर के बाद सूर्य की रोशनी सतह पर नहीं पहुंच पाती है। इस वजह से पतालकोट में अंधेरा छा जाता है और अगली सुबह सूर्योदय के बाद ही उजाला होता है। जबकि पतालकोट में एक नदी बहती है, जिसका नाम दूध नहीं है। इस घाटी की सबसे अधिक ऊंचाई 1500 फ़ीट है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि पाताललोक प्रवेश का यह इकलौता प्रवेश द्वार है।


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