जानें, जांबाज पर्वतारोही जार्ज मल्लोरी और इरविन की मौत के अनसुलझे रहस्य
इस घटना के बारे में माउंट एवरेस्ट के पहले सफल पर्वतारोही हिलेरी और तेनजिंग ने कहा था कि मल्लोरी और इरविन की वजह से शिखर पर पहुंचने में कामयाब हो सके थे।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। ब्रह्मांड में पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है, जहां जल और जीवन दोनों हैं। पृथ्वी पर सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है। जबकि सबसे गहरा स्थान मेरियाना गर्त है, जिसे डेड-सी भी कहा जाता है। यह स्थान प्रशांत महासागर में स्थित है। लोगों में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई को लेकर शुरू से ही उत्सुकता रही है।
हालांकि, इसका प्रथम प्रयास जार्ज मल्लोरी के द्वारा किया गया था। जब जार्ज के साथ मिलकर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने की कोशिश की थी। इस प्रयास में वे लोग सफल नहीं हो पाए थे। दोनों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी। आइए, जांबाज पर्वतारोही जार्ज मल्लोरी और एंड्र्यू इरविन की यात्रा के अनसुलझे रहस्यों के बारे में जानते हैं-
जार्ज मल्लोरी और एंड्र्यू इरविन कुशल पर्वतारोही थे
इससे पहले जार्ज मल्लोरी यूरोप में स्थित ऊंची चोटियां का सफल यात्रा कर चुके थे। इस दौरान उनके मन में एक बार माउंट एवरेस्ट फतह करने का विचार आया। इसके बाद जार्ज ने सपने को हकीकत में बदलने की पूरी कोशिश की। इस कोशिश में उन्हें सफलता तो नहीं मिली, लेकिन उनके प्रयास से अन्य पर्वतारोहियों के लिए माउंट एवरेस्ट फतह का दरवाजा जरूर खुल गया।
बात 5 जून, 1924 की है, जब जार्ज अपनी टीम के साथ सफर पर निकले। इस दौरान टीम 7 जून को कैंप 6 पर पहुंची। जहां जार्ज ने लिखा कि अब तक दोनों ने मिलकर ऑक्सीजन कैन का केवल तीन चौथाई भाग ही इस्तेमाल किया है। जबकि इसी कैंप के बाद मल्लोरी और इरविन यात्रा के दौरान टीम से अलग हो गए। उस समय मौसम भी ख़राब हो गया था। इस वजह से टीम का एक दूसरे से संपर्क टूट गया।
इस बारे में एक अन्य सहयोगी Noel Odell ने लिखा है कि उत्तर क्षेत्र में फर्स्ट स्टेप के बाद दोनों को नहीं देखा गया। इसी स्थान से दोनों गुम हो गए। काफी खोजबीन के बाद भी दोनों नहीं मिले। मल्लोरी और इरविन के बारे में ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि शायद 9 जून को दोनों की ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत हो गई। फर्स्ट स्टेप्स के पास ही मल्लोरी की ऑक्सीजन कैन मिली। जबकि इरविन की कुल्हाड़ी 1933 में मिली।
इस घटना के बारे में माउंट एवरेस्ट के पहले सफल पर्वतारोही हिलेरी और तेनजिंग ने कहा था कि मल्लोरी और इरविन की वजह से शिखर पर पहुंचने में कामयाब हो सके थे। इसके बाद कई शोध हुए हैं और तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन दोनों का पार्थिव शरीर नहीं मिला।
इसके बाद 1999 में मल्लोरी का पार्थिव कंकाल मिला, जिसमें उनके कमर में रस्सी के निशान थे। इससे पता चला कि शयद दोनों रस्सी से चढ़ने के दौरान फर्स्ट स्टेप से गिरे थे, जिससे उनकी मौत हो गई। जबकि इरविन का पार्थिव शरीर आज तक नहीं मिला है।