जानें, क्यों और कैसे हुई थी जांबाज पर्वतारोही रॉब हॉल की मृत्यु
जब रॉब और उसके साथी वापस आ रहे थे। उसी समय मौसम ने करवट बदल ली और स्थिति बदतर हो गई।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। हर एक पर्वतारोही का सपना माउंट एवरेस्ट फतह करने की होती है। इसके लिए वह अपना पूरा जीवन समर्पित कर देता है। कुछ ऐसे ख्यालात के रॉब हॉल भी थे, जो अपने जीवन में कई बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके थे। हालांकि, 1996 में हॉल पर्वत की गोद में ही सदा के लिए सो गए। बात 1996 की है, जब हॉल ने पर्वतारोहियों के सपने को पूरा करने के लिए एक कंसल्टेंसी शुरू की।
इसके जरिए पर्वतारोहियों को माउंट एवरेस्ट की सफल सैर कराई जाती थी। इस बार भी रॉब हॉल कुछ पर्वतारोहियों को लेकर माउंट एवेरस्ट की फतह करने निकले। इसके लिए सारी तैयारियां की गई थीं। हर बेस में चिकित्सा की सुविधा थी। टीम के नेतृत्व के लिए शेरपा भी थे। इसके बाद पर्वतारोहियों का यह काफिला आगे बढ़ता गया।
जब काफिला हिलरी स्टेप पर पहुंचा, तो वहां उन्हें थोड़ी सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यह एवरेस्ट शिखर के दक्षिण पूर्व में स्थित है। इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि हाल के वर्षों में बर्फ का यह चट्टान ढह कर गिर गया है। इस जगह पर रॉब हॉल की टीम ने ऑक्सीजन कैन रख दी और फिर धारदार बर्फ की चादर पर चलते हुए शिखर की यात्रा पूरी की।
इस दौरान टीम के कई साथी पीछे ही छूट गए। जब रॉब शिखर फतह कर लौट रहा रहा था तो उसकी टीम का एक साथी शिखर फतह के लिए आगे बढ़ रहा था। तब रॉब ने उसे मना किया, क्योंकि उसकी तबीयत बहुत बिगड़ चुकी थी। उसे सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी, लेकिन वह नहीं माना। उस समय रॉब ने उसकी बात मान ली और दोनों ने शिखर की सफल चढ़ाई पूरी की।
इसके बाद जब रॉब और उसके साथी वापस आ रहे थे। उसी समय मौसम ने करवट बदल ली और स्थिति बदतर हो गई। तब तक रॉब पुनः साउथ ईस्ट यानी हिलरी स्टेप तक आ चुके थे। मौसम में कोई सुधार नहीं हुआ।
ऑक्सीजन की कमी से रॉब के साथी की पहले मौत हो गई। इसके बाद मदद के लिए एक और साथी की भी मौत हो गई। जबकि दो दिनों तक कठिन संघर्ष के बाद रॉब भी पर्वत की गोद में हमेशा के लिए सो गया। हिलरी स्टेप वह स्थान है, जहां यात्रा करना सबसे खतरनाक होता है। रॉब अपने समय के कुशल पर्वतारोही थे।