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अक्टूबर से फरवरी तक का महीना है केवलादेव नेशनल पार्क घूमने के लिए परफेक्ट

केवलादेव बर्ड सेंचुरी जहां इस मौसम में बहुत ही खूबसूरत पक्षी देखने को मिलते हैं। तो अगर आप भी इन्हें देखना और समझना चाहते हैं तो यहां आने का प्लान बनाएं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 02:31 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 02:31 PM (IST)
अक्टूबर से फरवरी तक का महीना है केवलादेव नेशनल पार्क घूमने के लिए परफेक्ट
अक्टूबर से फरवरी तक का महीना है केवलादेव नेशनल पार्क घूमने के लिए परफेक्ट

राजस्‍थान के भरतपुर जिले में स्‍थ‍ित बर्ड सेंचुरी बहुत ही खूबसूरत है। इसे केवलादेव बर्ड सेंचुरी के नाम से भी जाना जाता है। रंगबिरंगे पक्षियों को देखने और उनके बारे में जानने के लिए पूरे साल यहां टूरिस्ट्स का तांता लगा रहता है। सर्दी शुरू होते ही यहां पर प्रवासी पक्षि‍यों का आना शुरू हो जाता है। यहां पर 300 से अधिक प्रजाति‍यों के पक्षी देखने को मिलते हैं। छोटी बतख, जंगली बतख, वेगंस, शोवेलेर्स, पिनटेल बतख, सामान्य बतख, लाल कलगी वाली बत्तख यहां के खास आकर्षण हैं। केवलादेव भारत का सबसे बड़ा पक्षी विहार है। इसे साल 1982 में राष्ट्रीय उद्यान और 1985 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है। 

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अभ्‍यारण का इतिहास

प्राकृतिक ढाल होने के कारण बारिश के दौरान यहां अक्सर बाढ़ आती थी, इसलिए भरतपुर के शासक महाराजा सूरजमल ने अपने शासन काल यहां अजान बाँध का निर्माण करवाया, जो दो नदियों गँभीरी और बाणगंगा के संगम पर बनवाया गया था। संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किये जाने से पहले सन 1850 में केवलादेव का इलाका भरतपुर राजाओं की निजी शिकारगाह हुआ करता था, जहां वे और उनके शाही मेहमान मुर्गाबियों का शिकार किया करते थे। अंग्रेज़ी शासन के दौरान कई वायसरायों और प्रशासकों ने यहां हजारों की तादाद में बत्तखों और मुर्गाबियों का संहार किया था।

आसपास घूमने वाली जगहें

डीग महल

भरतपुर में एक बहुत ही पुराना महल है। जिसका नाम डीग महल है। इसे भी राजा सूरजमल ने ही बनवाया था। डीग महल बहुत ही ऊंची दीवारों तथा बुर्जों वाला मजबूत महल है। यहां पर बने मेहराब, जलाशय के अलावा हरियाली और फव्वारे टूरिस्ट्स को अपनी ओर आकर्षि‍त करते हैं।लोहगढ़ किला भरतपुर जिले में लोहगढ़ किला भी घूमने की अच्‍छी जगहों में से एक है। इतिहास प्रेमि‍यों को यह जगह बहुत पसंद आती है। लोहागढ़ किला अपनी वीरता की मिसाल को दर्शाता है। इस किले का निर्माण भरतपुर को बसाने वाले जाट महाराजा सूरजमल द्वारा कराया गया था। इसके अंदर एक राजकीय संग्रहालय भी बना है।

लक्ष्मण मंदिर

भरतपुर में 300 साल से भी ज्‍यादा पुराना एक लक्ष्‍मण मंदिर है। इसे भारत का इकलौता लक्ष्‍मण मंदिर कहा जाता है। यहां राम, लक्ष्मण, उर्मिला, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी की अष्‍टधातु की मूर्ति‍यां हैं। इस मंदिर में की गई नक्‍काशी काफी जटिल और खूबसूरत है। भरतपुर आने वाले टूरिस्ट यहां जरूर आते हैं।

गंगा मंदिर

भरतपुर में बना गंगा मंदिर भी सैकड़ों साल पुराना है। यहां मंदिर में मगरमच्छ की पीठ पर गंगा माता की सफेद संगमरमर से बनी मूर्ति स्‍थापि‍त है। गंगा जी का यह मंदिर पुरानी वास्‍तुकला के अलग-अलग नमूनों को पेश करता है। यहां तीज त्‍योहारों के अलावा सामान्‍य दिनों में भी भक्‍तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है।

कब जाएं

वैसे तो यहां साल में कभी भी जा सकते हैं लेकिन घरेलू पक्षियों को देखने के लिए अगस्त से नवंबर का महीना और प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए अक्टूबर से फरवरी तक का महीना बेस्ट रहता है।  

हवाई मार्ग

आगरा यहां का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है जो भरतपुर से महज 56 किमी दूर है और लगभग सभी बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, लखनऊ से कनेक्ट है।

रेल मार्ग

दिल्ली-मुंबई ब्रॉड गेज लाइन पर है भरतपुर। वैसे ये सवाई माधोपुर, कोटा और आगरा पहुंचकर भी यहां तक पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग

राजस्थान और आसपास की जगहों से यहां तक के लिए बसों की सुविधा अवेलेबल है।  


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