विशाखापट्टनम घूमने जाएं तो जरूर घूमें तो कैलाशगिरि, नेचर के साथ लीजिए स्ट्रीट फूड का मजा
अराकू वैली विशाखापट्टनम से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राकृतिक सौंदर्य का बेहतरीन नमूना है।
अगर आपको विशाखापट्टनम का सबसे खूबसूरत व्यू देखना है तो कैलासगिरि जरूर जाएं। कोशिश करें कि यहां या तो सुबह के समय जाएं या फिर शाम को। कैलासगिरि एक छोटी सी पहाड़ी का नाम है जिस पर एक खूबसूरत पार्क बना है। इस पार्क की चोटी पर शिव-पार्वती की धवल प्रतिमा आपका स्वागत करती है। पहाड़ी से एक दिशा में विशाखापट्टनम का विहंगम दृश्य नजर आता है। चारों और हरियाली और ऊपर साफ नीला आकाश देखने लायक दृश्य बनता है। कैलासगिरि तक केबल कार द्वारा भी जाया जा सकता है। 90 रुपये खर्च कर इस रोपवे का आनंद उठा सकते हैं। पहाड़ी पर ही चिल्ड्रेन पार्क, टाइटैनिक व्यूप्वाइंट, फूलघड़ी, टेलीस्कोपिक प्वाइंट भी हैं। यहां बच्चों के लिए एक टॉय ट्रेन भी मौजूद है। जब आप बोटिंग करने समुद्र में जाएंगे तो वहां से भी कैलासगिरी नजर आता है। दूर से ही पहाड़ी पर सफेद अक्षरों में लिखा कैलासगिरि सुंदर लगता है। यहां से बंगाल की खाड़ी का दृश्य बहुत खूबसूरत नजर आता है।
डॉल्फिन नोज पहाड़ी
अगर आप रामकृष्ण बीच पर खड़े हैं तो आपके दाईं ओर छितिज पर एक अनोखी संरचना दिखाई देगी। यह एक गोलाकार पहाड़ी है, जिसे डॉल्फिन नोज कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 350 मीटर है। आजादी से पहले ब्रिटिश आर्मी इस ऊंचे स्थान का उपयोग पूरे बंदरगाह और शहर पर निगरानी करने के लिए करती थी। यहां एक लाइटहाउस, चर्च, मजार और मंदिर भी मौजूद है।
सिंहाचलम मंदिर
यह भगवान विष्णु को समर्पित एक भव्य मंदिर है, जो विशाखापट्टनम से करीब 20 किलोमीटर दूर हरे-भरे सिंहाचलम पर्वत की चोटी पर बना है। हर वर्ष जून-जुलाई माह में हजारों श्रद्धालु सिंहाचलम पर्वत की 34 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करते हैं। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है। यहां हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की पौराणिक कहानी मूर्ति स्वरूप में दर्शाई गई है। मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है। इसके केंद्रीय भाग को कलिंग वास्तुकला शैली के अनुसार बनाया गया है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित होने के कारण इस मंदिर का नाम सिंहाचलम पड़ा है। यह भगवान नरसिंह के भारत में स्थित 18 'नरसिंह क्षेत्रों' में से एक माना जाता है। यहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद सुहावना है।
यहां बसी है शहर की आत्मा
कहते हैं विशाखापट्टनम की आत्मा उसकी तीन पहाडि़यों में निहित है। इन तीन पहाडि़यों की सबसे ऊंची चोटी को रॉस हिल कहा जाता है, जहां 'मदर मेरी' नाम का सफेद रंग का एक खूबसूरत चर्च है। यह वर्ष 1864 में बना था। दूसरी चोटी पर बाबा इश्क मदीना की दरगाह है और तीसरी पर भगवान वेंकटेश्र्वर का मंदिर। ये तीनों पहाडि़यां विशाखापट्टनम के लोगों के बीच के सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हैं।
पसिरेड्डु और केले के पकौड़े
विशाखापट्टनम का खाना अपने तेल और तीखे मसालों के लिए जाना जाता है। पूरे आंध्र प्रदेश के खानों में मिर्ची का अहम रोल होता है। पसिरेड्डु यहां की मशहूर डिश है, जिसे लोग नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। मूंग की दाल से बना यह व्यंजन नारियल और टमाटर की चटनी के साथ खाया जाता है। ऋषिकोंडा पहाड़ी के पास एक छोटा सा रेस्टोरेंट है, जिसे राजू और उनकी पत्नी चलाते हैं। यह सी फूड के लिए बहुत मशहूर है। यहां का मटन करी, फ्राई फिश और प्रॉन्स मसाला जरूर चखें। विशाखापट्टनम का खाना मसालों से भरपूर होता है। रामकृष्ण बीच पर शाम का मजा जरूर लें। यहां पर भुट्टे, चाट, पानीपुरी, मूड़ी, कच्चा आम मसालेदार आदि जरूर ट्राई करें। यहां मिर्ची और केले के पकौड़े भी बहुत स्वादिष्ट मिलते हैं। डिनर में मटन गोंगुरा जरूर ट्राई करें। यहां की दम बिरयानी भी बहुत मशहूर है।
वैसे तो विशाखापट्टनम मांसाहार वालों के लिए स्वर्ग समान है, लेकिन अगर शाकाहारी हैं तो आपके लिए भी यहां कई अनोखे स्वाद मिलते हैं, जैसे-कर्ड राइस, गुट्टी वानकाया कुरा (भरवां बैगन की करी) पुलिहोरा, उपमा, मेदूवड़ा आदि।
बम्बू चिकेन
आंध्र प्रदेश 119 प्रकार की जनजातियों का घर है। लोक जीवन के इस रूप को आप यहां के प्रसिद्ध बम्बू चिकेन के रूप में चख सकते हैं जब आप अराकू वैली जाएं तो रास्ते में बम्बू चिकन जरूर ट्राई करें। बांस के अंदर तेज मसालों से मेरिनेट करके देसी मुर्गी के गोश्त को भर कर कोयले की आंच पर पकाया जाता है। इसे पत्ते पर सर्व किया जाता है। आदिवासी स्टाइल का यह चिकेन यहां बहुत फेमस है।
मनपसंद फैब्रिक की खरीदारी
विशाखापट्टनम में शॉपिंग के लिए दो बाजार सबसे च्यादा लोकप्रिय हैं श्रीपुरम और वॉटर रोड मार्किट। यहां से पोचमपल्ली, कलमकारी साड़ी और फैब्रिक खरीद सकते हैं। नजदीक ही विजयवाड़ा भी है जहां बेहतरीन खादी यानी लेनिन फैब्रिक मिलता है। विशाखापट्टनम से आप ट्रेडिशनल वुडन टॉय खरीद सकते हैं। बीच रोड पर सीप से बने हैंडीक्राफ्ट भी खरीदे जा सकते हैं।
आसपास के आकर्षण
अराकू वैली
अराकू वैली विशाखापट्टनम से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राकृतिक सौंदर्य का बेहतरीन नमूना है, जो आंध्र प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है। यह पूर्वी घाट के खूबसूरत स्थलों के बीच स्थित है। इसका एक समृद्ध सांस्कृतिक-पारंपरिक अतीत भी है। यह जगह शायद दक्षिण में सबसे खूबसूरत हिल स्टेशन है। भौगोलिक रूप से अराकू वैली को अनंतगिरि और संकरीमेट्टा आरक्षित वन की नैसर्गिक सुंदरता का वरदान मिला है। यह वैली गलीकोंडा, रक्तकोंडा, चितामोगोंडी और संकरीमेट्टा के पहाड़ों से घिरी हुई है। गलीकोंडा पहाड़ी को आंध्र प्रदेश के राच्य की सबसे ऊंची पहाड़ी होने का गौरव प्राप्त है। अराकू वैली कॉफी प्लांटेशन, जनजातीय संग्रहालय, टाइडा, बोर्रा गुफाएं, सांगडा झरने और पदमपुरम बॉटनिकल गार्डन आदि के लिए प्रसिद्ध है। यहां की ऑर्गेनिक कॉफी 'अराकु इमेराल्ड' विदेशों तक में धूम मचा चुकी है।
ग्लास ट्रेन का अनूठा सफर
अराकु वैली के सौंदर्य को बेहतर ढंग से निहारने के लिए भारतीय रेल ने एक स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन चलाई है। इसे ग्लास ट्रेन भी कहते हैं, जिसमें बैठकर आप वैली का अवलोकन कर सकते हैं। विशाखापट्टनम से अराकू वैली तक के रास्ते में 10-12 सुरंगें पड़ती हैं। जंगल से होकर गुजरती ट्रेन से अराकू वैली का नजारा देखने लायक होता है।
हैरान करती हैं बोरा गुफाएं
बोरा गुफाएं विशाखापट्टनम से 90 किलोमीटर की दूरी पर अराकु वैली के रास्ते में स्थित हैं। ये गुफाएं लगभग 10 लाख साल पुरानी मानी जाती हैं। इनकी संरचनाओं पर भूवैज्ञानिक निरंतर शोध कर रहे हैं। ये गुफाएं गोस्थनी नदी से निकले स्टैलक्टाइट व स्टैलग्माइट के रिसाव से बनी हैं। इन गुफाओं में जाने का रास्ता बहुत छोटा है, जबकि गुफाएं अंदर से काफी विराट हैं। अंदर घुसकर वहां एक अलग ही दुनिया नजर आती है। कहीं आप रेंगते हुए किसी सुरंग में घुस रहे होते हैं तो कहीं अचानक विशालकाय बीसियों फीट ऊंचे हॉल में आ खड़े होते हैं। आंध्र प्रदेश टूरिच्म ने गुफाओं में अलग से रंग-बिरंगी रोशनियों का प्रबंध किया है, जिससे पर्यटक आसानी से इनका अवलोकन कर पाएं।