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सिर्फ पत्थरों को आपस में जोड़कर बना है यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला

जैसलमेर का सोनारगढ़ किला देखने वाली बहुत ही खूबसूरत जगह है। और ये सीज़न बिल्कुल परफेक्ट है जब आप यहां के हर एक कोने को एक्सप्लोर कर सकते हैं। जानते हैं किले की खासियत के बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 03:32 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 03:32 PM (IST)
सिर्फ पत्थरों को आपस में जोड़कर बना है यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला
सिर्फ पत्थरों को आपस में जोड़कर बना है यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला

जैसलमेर की शान है सोनार किला। पीले पत्थरों से बने इस किले पर जब सूरज की रोशनी पड़ती है तो ये बिल्कुल सोने की तरह चमकता है। इसलिए इसे सोनार किले के नाम से भी जाना जाता है। अपनी बनावट और खूबसूरती की वजह से ये किला यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल है। यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है। थार रेगिस्तान के बीचों-बीच बना यह किला त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है।

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सोनार किले की बनावट

विशाल पीले पत्थरों से बना हुआ सोनार किला देखने में जितना खूबसूरत है उसका निर्माण उतना ही रोचक। चूने और गारे के बिना इस्तेमाल से बना ये किला अपने आप में अचंभित करने वाला है। 1500 फीट लंबा और 750 फीट चौड़ा है यह किला। किले के चारों ओर 99 गढ़ बने हुए हैं जिनमें से 92 गढ़ों का निर्माण 1633 से 1647 के बीच हुआ था। इसका तहखाना लगभग 15 फीट लंबा है। भारत के किसी भी किले में इतने बुर्ज नहीं हैं। किले का खास आकर्षण है पहला प्रवेशद्वार। जिसपर आप शानदार नक्काशी का नमूना देख सकते हैं। वैसे इसके कुल 4 द्वार है।

किले में घूमने वाली अन्य जगहें

जैन मंदिर भी है खास

गोल्डन फोर्ट में जैन मंदिरों को भी निश्चित रूप से आपको देखना चाहिए। ये अपनी अति सुंदर वास्तुकला और डिजाइन के साथ मंत्रमुग्ध कर देता है। इस मंदिर को सफेद और पीले पत्थरों पर जटिल नक्काशी और कलाकृति करके बनाया गया है।

देखें म्‍यूजियम और प्राचीन विरासतों को

जैसलमेर का किला वहां के महाराजाओं का निवास रहा है। अब इस के अंदर एक संग्रहालय और विरासत केंद्र बना दिया गया है जहां उस दौर की कई चीजों के अवशेष और कलाकृतियों का एक बड़ा संग्रह रखा गया है। जो उस दौर में जैसललम की समृद्ध विरासत से रूबरू कराता है।

विजयी युद्धों की साक्षी तोप

किले के सबसे ऊपरी परकोटे पर उसकी कभी हार ना मानने वाली राजपूती शान की प्रतीक तोप भी जरूर देखनी चाहिए। ये तोप कई युद्धों का हिस्‍सा रही है। युद्ध की रणनीति के हिसाब से जिस स्‍थान पर ये तोप रखी गई है वहां से आप पूरे शहर का नजारा कर सकते हैं।

स्‍थानीय चीजों का बाजार

जैसे ही आप किले में प्रवेश करेंगे आपको इसके पूर्वी हिस्‍से में गोपा चौक पर एक बाजार मिलेगा। यहां पर राजस्‍थान की हस्‍तकला से बनी कई चीजें मिलेंगी। ये स्‍थान सनसेट व्‍यू प्‍वाइंट के तौर पर भी प्रसिद्ध है।

घूमने के लिए सही समय

अक्टूबर से मार्च तक का महीना जैसलमेर घूमने के लिए एकदम परफेक्ट है। जब आप यहां की हर एक चीज़ को एन्जॉय कर सकते हैं।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग

जैसलमेर एयरपोर्ट मिलिट्री एयरपोर्ट होने की वजह से सिर्फ चार्टर फ्लाइट्स की ही आवाजाही है। बेहतर होगा आप जैसलमेर एयरपोर्ट उतरें जहां से शहर की दूरी 285 किमी है। और उदयपुर, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई जैसे सभी बड़े शहरों से यहां तक के लिए फ्लाइट्स अवेलेबल हैं।

रेल मार्ग

जैसलमेर यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। फेमस टूरिस्ट स्पॉट होने की वजह से यहां तक के आपको आराम से टैक्सी और ऑटो मिल जाएंगे।

सड़क मार्ग

जैसलमेर शहर जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, बाड़मेर, माउंट आबू, जालोर और अहमदाबाद से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। 


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