Move to Jagran APP

Holi 2019: मथुरा और वृंदावन की होली क्यों होती है खास, जानें यहां

मथुरा और वृंदावन की होली ऐसी होती है जिसे देखने विदेशों से सैलानी आते हैं। जहां दूसरी जगहों पर रंगों से होली खेली जाती है वहीं मथुरा में फूल लड्डूओं और पानी से होती है होली की मस्ती।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 01:22 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 12:08 PM (IST)
Holi 2019: मथुरा और वृंदावन की होली क्यों होती है खास, जानें यहां
Holi 2019: मथुरा और वृंदावन की होली क्यों होती है खास, जानें यहां

श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की होली को देखने देश भर से ही नहीं विदेशों से भी सैलानियों की भीड़ उमड़ती है। जहां देश के दूसरे हिस्सों में रंगों से होली खेली जाती है वहीं सिर्फ मथुरा एक ऐसी जगह है जहां रंगों के अलावा लड्डूओं और फूलों से भी होली खेलने का रिवाज़ है। इतना ही नहीं पूरे एक हफ्ते पहले यहां इसका सेलिब्रेशन शुरु हो जाता है। तो और किन वजहों से मथुरा और वृंदावन की होली है खास? कहां आकर देख सकते हैं इसकी धूम? जानेंगे इसके बारे में।
क्यों मथुरा की होली होती है खास?
ऐसा माना जाता है कि आज भी मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी निवास करते हैं इसलिए पूजा-पाठ से लेकर उत्सव भी ऐसे मनाए जाते हैं जैसे वो खुद इसका हिस्सा हैं। भगवान श्रीकृष्ण, हमेशा से ही राधा के गोरे और अपने सांवले रंग की शिकायत मां यशोदा से किया करते थे। तो राधा रानी को अपने जैसा बनाने के लिए वो उनपर अलग-अलग रंग डाल दिया करते थे। नंदगांव से कृष्ण और उनके मित्र बरसाना आते थे और राधा के साथ उनकी सखियों पर भी रंग फेंकते थे। जिसके बाद गांव की स्त्रियां लाठियों से उनकी पिटाई करती थी।
तो राधा-कृष्ण की बाकी लीलाओं की तरह ये भी एक परंपरा बन गई जिसे यहां लट्ठमार होली के तौर पर आज भी निभाया जाता है।

loksabha election banner

मथुरा में यहां आकर करें होली को एन्जॉय
वैसे तो पूरे शहर में ही होली की धूमधाम देखने को मिलती है। लेकिन जिस होली की चर्चा पूरे देशभर में है उसे देखने के लिए आपको बरसाना, नंदगांव, ब्रज और वृंदावन आना पड़ेगा। बरसाना की लट्ठमार होली में नंदगांव से पुरुष आकर यहां की महिलाओं को चिढ़ाते हैं जिसके बाद महिलाएं उनकी लाठी-डंडों से पिटाई करती हैं। इस लड़ाई को देखने और इसमें शामिल होने का अपना अलग ही आनंद होता है। इसके बाद वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर आएं जहां रंगों और पानी के साथ होली खेलने की परंपरा है।

ऐसे बनाएं मथुरा और वृंदावन की होली को खास

बरसाना की लट्ठमार होली

नंदगांव की लट्ठमार होली

रंग भरनी एकादशी- बांके-बिहारी मंदिर, वृंदावन

विधवा होली- मथुरा के मैत्री आश्रम में रहती हैं विधवा महिलाएं। जहां विधवा महिलाएं भी जमकर खेलती हैं होली। जो एक बहुत ही अच्छा और सार्थक कदम है क्योंकि पहले हमारे देश के रीति-रिवाज इसके खिलाफ थे।

होलिका दहन- पूरे व्रजमंडल में होलिका दहन होता है।

होली- व्रजमंडल में खेलें पानी की होली, मथुरा, वृंदावन के सभी मंदिरों में होली की धूम देखने को मिलती है।

हुरंगा- दाऊजी मंदिर आकर देखें मशहूर हुरंगा होली की मस्ती।

रंग पंचमी- और रंग पंचमी के साथ होता है होली का समापन। जिसे आप यहां के मंदिरों में देख सकते हैं।

तो खासतौर से ऐसे 5 इवेंट्स होते हैं जिन्हें मथुरा, वृंदावन आकर बिल्कुल भी मिस न करें। पहला बरसाना की लट्ठमार होली, दूसरा नंदगांव की लट्ठमार होली, तीसरा कोसी का होलिका दहन, चौथा बांके-बिहारी की रंगों वाली होली, पांचवा दाऊजी मंदिर की होली। इनके अनुसार ही अपना प्लान बनाएं। 14 मार्च से यहां होली का कार्यक्रम शुरू हो रहा है।

कैसे पहुंचे
मथुरा तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही आसान है। सड़क मार्ग से आने का प्लान करें क्योंकि सड़कें बहुत अच्छी हैं साथ ही यहां हर एक नजारे का लुत्फ भी उठाया जा सकता है। ट्रेन से आ रहे हैं तो मथुरा रेलवे स्टेशन उतरकर टैक्सी द्वारा आप अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच सकते हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.