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हिमालय की तलहटी में फूलों की खुशबू बिखेरता हर्षिल

सीमावर्ती उत्तरकाशी जनपद में कदम-कदम पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य की नेमतें बिखेरी हैं। मन को हर्षित करने वाले हर्षिल क्षेत्र में फूलों की छोटी-छोटी कई घाटियां हैं। जो अद्भुत हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 04:15 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:26 AM (IST)
हिमालय की तलहटी में फूलों की खुशबू बिखेरता हर्षिल
हिमालय की तलहटी में फूलों की खुशबू बिखेरता हर्षिल

जीवन में खुशियां भरने वाले फूलों का अपना एक संसार होता है, जो अपने रंग और महक से मन को हर्षित कर देते हैं। फूलों की ऐसी बयार हिमालय की तलहटी में फैली सुंदर घाटियों में हों, तो इनकी अनुभूति ही आनंदित कर देती है। शहरी भाग-दौड़ से दूर कुछ पल प्रकृति के साए में गुजार कर आनंदित होना है तो चले आइए हर्षिल की घाटियों में, जहां आप हिमालयी फूलों की दुनियां से रू-ब-रू तो होंगे ही, साथ ही खुद को नदी-नालों, जल-प्रपातों और गगन को चूमते हिम शिखरों के सानिध्य में पाएंगे। नागणी-क्यारकोटी, गंगनानी क्यारकोटी, अपर क्यारकोटी, छोलमी, सात ताल यहां हैं। जो सभी हर्षिल से 10 से 16 किलोमीटर के दायरे में हैं।

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यहां सबसे ज्यादा फूलों का दीदार

गंगनानी क्यारकोटी, लोअर क्यारकोटी, अपर क्यारकोटी का एक ही ट्रैक है। जिसमें सबसे अधिक फूलों का दीदार होता है। यहां जाने के लिए उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 75 किमी. दूर हर्षिल तक सड़क सुविधा है। जिसके बाद पैदल मार्ग शुरू होता है। तेज वेग से बहती जलद्री नदी किनारे-किनारे और देवदार के सघन वृक्षों की छांव के बीच शीतल मंद पवन भरे रास्ते से होकर आगे बढ़ते हैं। छह किमी. की पैदल दूरी पर लाल देवता स्थल है। हर्षिल से लालदेवता स्थल तक हल्की चढ़ाई है। लाल देवता स्थल बगोरी के जाड़ व भोटिया ग्रामीणों का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

लाल देवता स्थल से एक किमी. की दूरी पर भोजपत्र के वृक्षों का बड़ा जंगल हैं। इसके पास ही हिमालयी सफेद-गुलाबी बुरांश के सुर्ख लाल फूलों का दीदार होता है। लालदेवता स्थल से चार किमी. दूरी पर गंगनानी क्यारकोटी है। यहां घाटी रंग-बिरंगे फूलों से अपनी बांहें फैलाएं हैं। मानो प्रकृति का यह श्रृंगार हमारे लिए ही हो। 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगनानी क्यारकोटी में पर्यटक रात्रि विश्राम का ठिकाना बनाते हैं। इसके लिए अपने साथ टेंट, स्लिपिंग बैग और खाने की व्यवस्था रखनी पड़ती है। जो हर्षिल में पोर्टर के साथ आसानी से उपलब्ध हो जाती है। फूलों की खुशबू के बीच यहां रात बिताने का भी अपना आनंद है। यहां की भोर भी किसी कुदरती करिश्मे से कम नहीं होती। जब हिम शिखरों पर सूरज की पहली किरण पड़ती है, तो सफेद बर्फ से ढके शिखर भी स्वर्ण मुकुट से दिखते हैं। सुबह होते ही फूलों की पंखुडि़यां अपना रंग बिखेरने लगती है। गंगनानी क्यारकोटी से दो किमी. की दूरी पर लोअर क्यारकोटी और वहां से दो किमी. की दूरी पर अपर क्यारकोटी है। 3250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र बेहद ही सुंदर है। यहां कदम-कदम पर सुंदर फूलों के कुनबे नजर आते हैं।

आठ किमी. लंबा ट्रैक

नागणी क्यारकोटी ट्रैक आठ किमी. लंबा है। जो हर्षिल से शुरू होता है। हर्षिल आर्मी कैंप से होते हुए एक किमी. दूरी पर कचोरा स्थान पड़ता है, जहां से दो किमी. चढ़ाई पार करने के बाद छंछरा पड़ाव आता है। यहां से यह ट्रैक फूलों की वादियों से होकर गुजरता है। करीब तीन किमी. चलने पर 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सुरम्य बुग्याल और फूलों से भरा नागणी पड़ाव आता है। यहां से कुछ किमी की दूरी पर फूलों की वादियों से घिरा मंगलाछु ताल आता है। यहां से पर्यटक एक दिन में भी लौट सकते हैं, लेकिन अधिकांश पर्यटक नागणी के पास अपने टैंट लगाते हैं। सात ताल जाने के लिए धराली गांव के सेब के बागीचों के बीच से होकर जाते हैं। रास्ते में सुंदर तालों का दीदार होता है और सफेद बुरांस के फूलों का संसार दिखता है।

मिनी स्विटजरलैंड है हर्षिल

हिमालय की गगन चूमती चोटियों की गोद में 7860 फीट की ऊंचाई पर बसे हर्षिल को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। यहां की खूबसूरत वादियां, देवदार के घने जंगल, चारों ओर फैले बेशुमार सौंदर्य, रंग-बिरंगे खिले फूल, पहाड़ों पर पसरे हिमनद के बीच शांत होकर बहती भागीरथी (गंगा) नजर आती है। यहां जलद्री नदी और भागीरथी नदी के संगम तट पर प्राचीन हरि मंदिर है। विश्र्व प्रसिद्ध हर्षिल में पर्यटकों के रुकने और खाने की पूरी व्यवस्थाएं हैं। हर्षिल से बमुश्किल एक किमी. दूरी पर स्थित बगोरी गांव में लकड़ी के बने घर अपनी सुंदरता बिखरते हैं। आप इन घरों में होम स्टे के तहत रुक सकते हैं। इस गांव के ग्रामीण जाड़, भोटिया और बौद्ध समुदाय के हैं।

इन फूलों का होता दीदार

हर्षिल की वादियों में कंपानुला, मोरिना, लिगुलारिया, लेबिलिया, स्ट्राबेरी, एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस आदि जैसे फूलों का दीदार होता है।

इस तरह पहुंचें

ऋषिकेश से उत्तरकाशी 160 किमी. है, जबकि देहरादून से उत्तरकाशी 200 किमी. है। वैसे, मसूरी-धनोल्टी मार्ग से भी उत्तरकाशी पहुंचा जा सकता है। यहां से केवल 140 किमी. का सफर तय करना पड़ेगा। उत्तरकाशी से हर्षिल की दूरी 75 किमी. है। उत्तरकाशी से हर्षिल के लिए आसानी बस, टैक्सी व मैक्स मिल जाती हैं।

उत्तरकाशी से शैलेंद्र गोदियाल 


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