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खूबसूरती से लेकर बनावट और इतिहास तक, इस मंदिर की हर एक चीज़ है खास

आदमी को भगवान की याद तभी आती है जब वो किसी दुख या तकलीफ में होता है। तो अगर आप इस कैटेगरी में नहीं आते और मंदिरों के बारे में जानने का शौक रखते हैं तो इस मंदिर आने का प्लान बनाएं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 10:41 AM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 10:41 AM (IST)
खूबसूरती से लेकर बनावट और इतिहास तक, इस मंदिर की हर एक चीज़ है खास
खूबसूरती से लेकर बनावट और इतिहास तक, इस मंदिर की हर एक चीज़ है खास

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है घृष्णेश्वर मंदिर। जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में दौलताबाद से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर है। शहर की चहल-पहल से दूर यहां का माहौल काफी शांत रहता है। लोगों का मानना है कि मंदिर में दर्शन करने से हर प्रकार के रोग, दुख दूर होते हैं यहां तक कि निःसंतान को संतान का सुख भी मिलता है। 

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मंदिर का रोचक इतिहास

इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार दक्षिण दिशा में स्थिति देवपर्वत पर सुधर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण अपनी धर्मपरायण सुंदर पत्नी सुदेहा के साथ रहता था। दोनों ही भगवान शिव के परम भक्त थे। कई वर्षों के बाद भी उनके कोई संतान नहीं हुई। अंत में सुदेहा ने अपने पति को मनाकर उसका विवाह अपनी बहन घुष्मा से करा दिया। घुष्मा भी शिव भगवान की अनन्य भक्त थी और भगवान शिव की कृपा से उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। सुदेहा ने अपनी बहन से किसी प्रकार की ईर्ष्या न करने का वचन दिया था परंतु ऐसा हो न सका। कुछ सालों बाद सुदेहा ने घुष्मा के सोते हुए पुत्र का वध करके शव को समीप के एक तालाब में फेंक दिया। सुबह हुई तो घर में कोहराम मच गया परंतु व्याकुल होते हुए भी धर्मपरायण घुष्मा ने शिव भक्ति नहीं छोड़ी। रोजाना की तरह वह उसी तालाब पर गई। उसने सौ शिवलिंग बना कर उनकी पूजा की और फिर उनका विसर्जन किया।

घुष्मा की भक्ति से शिव बहुत प्रसन्न हुए। जैसे ही वह पूजा करके घर की ओर मुड़ी वैसे ही उसे अपना पुत्र खड़ा मिला। वह शिव-लीला से बेबाक रह गई क्योंकि शिव उसके समक्ष प्रकट हो चुके थे। अब वह त्रिशूल से सुदेहा का वध करने चले तो घुष्मा ने शिवजी से हाथ जोड़कर विनती करते हुए अपनी बहन सुदेहा का अपराध क्षमा करने को कहा। घुष्मा ने भगवान शंकर से पुन: विनती की कि अगर वह उस पर प्रसन्न हैं तो वहीं निवास करें। भगवान शिव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और घुष्मेश नाम से ज्योतिर्लिंग के रूप में वहीं बस गए। 

मंदिर की बनावट

मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं। पत्थर के 24 खम्भों पर सुंदर नक्काशी तराश कर सभा मण्डप बनाया गया है। मंदिर का गर्भगृह 17*17 फुट का है जिसमें एक बड़े आकार का शिवलिंग रखा गया है जो पूर्वाभिमुख है। भव्य नंदीकेश्वर सभामण्डप में स्थापित हैं। सभामण्डप की तुलना में गर्भगृह थोड़ा नीचे है। गर्भगृह की चौखट पर और मंदिर में बाकी जगहों पर फूल पत्ते, पशु पक्षी और मनुष्यों की अनेक भाव मुद्राओं का शिल्पांकन किया गया है।

घृष्णेश्वर शिव मंदिर की एक और खास बात यह है कि 21 गणेश पीठों में से एक पीठ 'लक्षविनायक' नाम से यहां प्रसिद्ध है। पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर बहुत ही खास है। मंदिर में अभिषेक और महाभिषेक किया जाता है। सोमवार, प्रदोष, शिव रात्रि और भी दूसरे त्योहारों पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। जिसमें शिवभक्तों से लेकर टूरिस्टों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

दर्शन का समय

मंदिर रोजाना सुबह 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। सावन के महीने में मंदिर सुबह 3 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। मुख्य त्रिकाल पूजा तथा आरती सुबह 6 बजे तथा रात 8 बजे होती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की पालकी को पास के शिवालय तीर्थ कुंड तक ले जाया जाता है। श्री घृष्णेश्वर मंदिर का प्रबंधन श्री घृष्णेश्वर मंदिर देवस्थान ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है। मंदिर के अंदर पुरुष भक्त अपने शरीर से कमीज, बनियान और बेल्ट उतारकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं।  

कैसे पहुंचे

घृष्णेश्वर मंदिर औरंगाबाद से 35 किमी और मुंबई से 422 किमी की दूरी पर है जबकि पुणे से इसकी दूरी 250 किमी है। औरंगाबाद से घृष्णेश्वर का 45 मिनट का सफर बहुत ही यादगार होता है। घने पेड़ों, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और खूबसूरत एलोरा की गुफाओं से होकर गुजरता है ये रास्ता। आप घृष्णेश्वर तक पहुंचने के लिए औरंगाबाद और दौलताबाद से बस और टैक्सी की सुविधा ले सकते हैं। अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो औरंगाबाद सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यहां उतरकर आप टैक्सी या ऑटो से मंदिर पहुंच सकते हैं। 

कहां ठहरें

अगर आप घृष्णेश्वर पहुंचकर वहां रुकना चाहते हैं तो घृष्णेश्वर मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित यात्री निवास में ठहर सकते हैं। यहां एक कमरे का किराया 200 रु से 250 रु तक है। घृष्णेश्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर एलोरा गुफाओं के समीप कुछ होटल्स भी हैं जिनका एक दिन का किराया 800 से 2000 रुपए के बीच है। और अगर आप औरंगाबाद में रूकना चाह रहे हैं तो यहां एक दिन के लिए 300 से लेकर 2500रुपए तक में भी आपको होटल मिल जाएंगे। 


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