भीड़ से दूर महाराष्ट्र का ये बीच है वेकेशन को एन्जॉय करने और रिलैक्सिंग के लिए एकदम परफेक्ट
मुंबई के दक्षिण में कोंकण तट से लगा गणपतिपुले बहुत ही खूबसूरत बीच डेस्टिनेशन है। जहां आप वेकेशन को न सिर्फ एन्जॉय कर सकते हैं बल्कि रिलैक्स भी हो सकते हैं।
फेस्टिवल के साथ ही शुरू होता है घूमने-फिरने का भी दौर। जब आप लंबे वेकेशन की आराम से प्लानिंग कर सकते हैं। सितंबर से मार्च तक का महीना बीच वेकेशन पर जाने के लिए परफेक्ट होता है। तो अगर आप गोवा, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा के बीच घूम चुके हैं तो इस बार महाराष्ट्र में गणपतिपुले जाने का प्लान बनाएं।गणपतिपुले, जहां लोग भगवान गणेश के महज दर्शन मात्र के लिए नहीं बल्कि वेकेशन एन्जॉय करने के मकसद से भी आते हैं। विशाल समुद्र का साफ नीला पानी और किनारे पर फैली सफेद रेत की चादर इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। बीच डेस्टिनेशन के अलावा ये जगह कोंकणी कल्चर और खानपान को भी जानने के लिए बेहतरीन है।
लगभग 375 किमी दूर मुंबई के दक्षिण में कोंकण तट से लगे इस जगह का नाम गणपति भगवान के नाम से प्रेरित है। जहां विशाल पत्थर द्वारा गणेश भगवान की प्रतिमा खुद से निर्मित हुई है। 400 साल पुराने इस मंदिर और आसपास की खूबसूरती के अलावा यहां उगते और ढ़लते सूरज का नज़ारा देखना भी अपने आप में अद्भुत होता है।
आनंदित करती है समुद्र की विशालता
बहुत ज्यादा भीड़ ना होने की वजह से यहां विशाल समुद्र के नजारों को न सिर्फ देख सकते हैं बल्कि बैठकर इसकी लहरों को एन्जॉय भी कर सकते हैं। गणपतिपुले उन लोगों के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है जो लंबे वीकेंड में घूमने के साथ ही रिलैक्स भी होना चाहते हैं। यहां की नेचुरल ब्यूटी देखने लायक है। हर जगह हरियाली और पानी ही पानी। बीच पर रो बोट्स, मोटरबोट्स, एयरो बोट्स, पैडल बोट्स जैसे कई वाटर स्पोर्ट्स का आनंद लिया जा सकता है। यहां तक कि पैराग्लाइडिंग की भी सुविधा मौजूद है।
खूबसूरत सी-बीच
गणपतिपुले कोंकण तट का एक बहुत ही सुंदर बीच है। बीच डेस्टिनेशन पसंद करने वाले लोगों के साथ ही शांत वातावरण चाहने वालों और तीर्थयात्रियों का भी पसंदीदा सी-बीच है। यहां स्थित स्वयंभू गणेश के मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां स्थित गणेश भगवान को पश्चिम द्वारदेवता के रूप में भी जाना जाता है। गणपतिपुले पहुंचने वाले लोग यहां भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। सुंदर समुद्री तट और साफ पानी के अलावा गणपतिपुले वनस्पति के मामले में भी काफी समृद्ध है। यहां मैंग्रोव और नारियल के पेड़ों की भरमार है। यहां आकर भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल से छुटकारा पाने का सुखद अहसास होगा।
लुभाता है यहां का खान-पान
गणपतिपुले से एक किमी दूर स्थित मलगुंड छोटा सा गांव है जो प्रसिद्ध मराठी कवि केशवासूत का जन्मस्थल है। यहां आकर आप इस महान कवि के घर जा सकते हैं जिसे अब हॉस्टल में बदल दिया गया है। मराठी साहित्य परिषद द्वारा बनाए गए कवि केशवासूत का स्मारक भी आप देख सकते हैं। कोंकण में हर जगह आमों से लदे पेड़ भी देखने को मिलते हैं। यहां आब्याची पोली, फानासची पोली यानी कि कटहल की रोटी, कोकम कढ़ी बहुत मशहूर है। इस जगह को घूमने के लिए समय निकालकर आएं तभी यहां की हर एक चीज़ का लुत्फ उठा पाएंगे।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- कोल्हापुर यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है।
रेल मार्ग- भोक(35 किमी) यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। लेकिन रत्नागिरी (45 किमी) रेलवे स्टेशन उतरकर यहां पहुंचना ज्यादा आसान है।
सड़क मार्ग- मुंबई-गणपतिपुले 375 किमी, पुणे-गणपतिपुले 331 किमी और कोल्हापुर-गणपतिपुले 144 किमी द्वारा भी पहुंचने के ऑप्शन हैं आपके पास।