Move to Jagran APP

पहाड़, लकड़ी के घर और ट्रैकिंग करना हो तो इस गर्मी नॉर्थ ईस्‍ट में बिताएं छुट्टियां

गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार के संग क्वालिटी टाइम बितना चाहते हैं, तो निकल पडि़ए नोर्थ-ईस्ट की तरफ।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 11:16 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 11:16 AM (IST)
पहाड़, लकड़ी के घर और ट्रैकिंग करना हो तो इस गर्मी नॉर्थ ईस्‍ट में बिताएं छुट्टियां
पहाड़, लकड़ी के घर और ट्रैकिंग करना हो तो इस गर्मी नॉर्थ ईस्‍ट में बिताएं छुट्टियां

कोहिमा :

loksabha election banner

नागालैंड की राजधानी कोहिमा बेहद खूबसूरत है। यहां की संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी है, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। यहां राज्य संग्राहलय, एम्पोरियम, नागा हेरिटेज कॉम्पलैक्स, कोहिमा गांव, दजुकोउ घाटी, जप्फु चोटी, त्सेमिन्यु, खोनोमा गांव, दज्युलेकी और त्योफेमा टूरिस्ट गांव प्रमुख हैं। खोनामा ग्रीन विलेज कोहिमा से महज एक घंटे की दूरी पर है। घुमक्कड़ी लोगों के लिए तो यह गांव स्वर्ग जैसा है। लोक गीत-संगीत से पूरा माहौल बड़ा सुकून भरा होता है। जाप्फू चोटी 109 फीट ऊंची है। यह नागालैंड की दूसरी बड़ी चोटी है, जहां से जुकोऊ घाटी का पूरा नजारा दिखता है। यहां से आसपास के शहरों और गांवों को निहारना बड़ा आनंददायक लगता है। तमाम तरह के दुर्लभ पक्षियां भी दिख जाएंगी। यह ट्रैकिंग के लिए भी यह लोकप्रिय डेस्टिनेशन है। यहां पर कई बड़े मजेदार ट्रैकिंग सर्किट हैं। जून के महीने में घोसू पक्षी अभयारण्य पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा होता है, क्योंकि इस दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियां उड़कर आती हैं। अभयारण्य में 20 से अधिक प्रजातियों की पक्षियों का वास है। आप नागा हेरिटेज विलेज जा सकते हैं, जहां हर साल दिसंबर में नागालैंड कालोकप्रिय हार्नबिल फेस्टिवल आयोजित होता है। 

कैसे पहुंचे :

नागालैंड में सिर्फ एक ही एयरपोर्ट है और यह हवाईअड्डा, कोहिमा शहर से 68 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस हवाई अड्डे से कोलकाता और गुवाहटी के लिए नियमित रूप से उड़ान भरी जाती हैं। दीमापुर हवाई अड्डे से कोहिमा के लिए टैक्सी और शटल्स उपलब्ध हैं। कोहिमा, उत्तर-पूर्व के सभी प्रमुख स्थानों जैसे - गुवाहटी, इम्फाल, शिलांग और दीमापुर सहित कई स्थानों से भली-भांति जुड़ा हुआ है। 

जीरो वैली :

अरुणाचल प्रदेश पर्यटन के लिहाज से बेहद खूबसूरत डेस्टिनेशन है, लेकिन यहां सबसे पुराने गांवों में से एक जीरो वैली की प्राकृतिक सुंदरता की बात ही कुछ और है। समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर यह लोअर सुबनसिरी जिले में स्थित है। इस वैली को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा हासिल है। चारों तरफ हरियाली से घिरे इस घाटी में शोरगुल से दूर शांत व कुदरत के बेहद करीब महसूस करेंगे। यहां देखने लायक जगहों में जीरो पुतु है, जहां 1960 के दौरान आर्मी कॉन्टेंमेंट की स्थापना की गई थी। टैली-वैली वाइल्डलाइफ भी है, जो करीब 337 स्क्वायर किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। जीव-जंतुओं व पेड़-पौधों की विविध प्रजातियां देखी जा सकती है। यहां बांस की अनूठी प्रजातियां पाई जाती हैं, जो टूरिस्ट के बीच बेहद लोकप्रिय है। सियांग नदी में राफ्टिंग का रोमांच ले सकते हैं। इलाके की मूल अपातनी जनजाति साल में 3 प्रमुख उत्सव म्योको, मुरूंग तथा ड्री मनाती है। सितंबर के अंत में सर्द मौसम में यहां तीन दिवसीय जीरो म्यूजिक फेस्टिवल भी आयोजित होता है। घाटी की सैर का सबसे अच्छा समय फरवरी से अक्टूबर माना जाता है। 

कैसे पहुंचें :
तेजपुर का हवाई अड्डा जीरो से सबसे करीब है, जो 280 किमी. की दूरी पर स्थित है। गुवाहाटी से टैक्सी लेकर भी पहुंच सकते हैं। यहां से 470 किमी. दूरी पर है। गुवाहाटी से कथल पुखुरी के लिए डेली ट्रेन है। यहां से फिर टैक्सी पकड़ कर जीरो वैली पहुंच सकते हैं। 

शिलांग :

मेघालय गर्मी की छुट्टियों में फैमिली के शिलांग के प्लान बना सकते हैं। यह बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। शिलांग मेघालय की राजधानी है। यहां वार्ड्स लेक, स्वीट फॉल्स, शिलांग पीक, खासी हिल्स, उमियाम लेक, एलिफेंट फॉल्स, केव्स आदि देखने लायक बेहतरीन जगह हैं। एलिफेंट और स्वीट फॉल्स जरूर देखें या फिर आप चाहें, तो गुफाओं को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। बोटिंग का लुत्फ उठाना हो, तो उमियाम लेक में इसकी सुविधा उपलब्ध है। यहां पर वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स भी है। इसके अलावा, यहां से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर चेरापूंजी है। चेरापूंजी के पास ही नोहकालीकाई बेहद खूबसूरत झरना है। मानसून के दिनों में इस इलाके की खूबसूरत और निखर जाती है। खासकर खूबसूरत लेक्स, वॉटरफॉल के साथ एडवेंचर एक्टिविटीज के बीच छुट्टियां कैसे खत्म हो जाएगी, पता ही नहीं चलेगा। यह छोटा शहर है, इसलिए पैदल घूम सकते हैं या फिर सिटी बस या पूरे दिन के लिए टैक्सी किराये पर लेकर घूम सकते हैं। यहां के प्राकृतिक नजारों के बीच आप बिल्कुल तरोताजा महसूस करेंगे। 

कैसे जाएं  :

40 किलोमीटर की दूरी पर उमरोई एयरपोर्ट है। गुवाहाटी शिलांग का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो 105 किलोमीटर की दूर है। गुवाहाटी से असम परिवहन निगम और मेघालय परिवहन निगम की बसें चलती हैं। चाहें तो टैक्सी भी कर सकते हैं। 

हाफलोंग :

असमनेचर लवर्स और कैपिंग करने वाले ट्रैवल्स के बीच लोकप्रिय हिल स्टेशन है। यह असम का बेहद खूबसूरत और एकलौता हिल स्टेशन है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 680 मीटर है। गर्मियों से फैमिली के साथ सुकून से छुट्टियां गुजारने के लिए उपयुक्त जगह है। यह गुवाहाटी से करीब 310 किलोमीटर की दूरी पर है। यह घाटी बेहद खूबसूरत है। चारों तरफ फैली हरियाली और मनोरम दृश्य मन को मोह लेगा। जो लोग लंबी दूरी तक पैदल चल सकते हैं, उनके लिए परफेक्ट है। यहां फैमिली के साथ पिकनिक का लुत्फ भी उठा सकते हैं। यह हिल स्टेशन हाफलोंग झील के लिए भी प्रसिद्ध है। यह असम के सुहाने पहाड़ी नजारों में से एक है। इस जगह पर आपको एक से बढ़कर एक नेचर सीनरी देखने को मिलेंगी। यहां आप बोटिंग का भी मजा ले सकते हैं। यहां पर आप लेक साइड रिजॉर्ट में ठहर सकते हैं और एडवेंचर गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते हैं। 

कैसे पहुंचें :

यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा अगरतला में है। यह कोलकाता और गुवाहाटी से अच्छे से कनेक्टेड है। नजदीकी रेलवे स्टेशन कुमारघाट है। यह सड़क मार्ग से भी अच्छे से कनेक्टेड हैं। 

चमफाई :

मिजोरम की अनछुई प्राकृतिक खूबसूरती ऐसी है कि आप दीवाने हो जाएंगे। मिजोरम की राधजानी आइजॉल से करीब 192 किलोमीटर की दूरी पर चमफाई है। चमफाई इंडो-म्यामार बोर्डर पर स्थित है। यहां हरे-भरे खेत और पड़ोसी देश म्यामार की पहाडि़यां मन मोह लेती हैं। यहां आने के बाद मुर्लेन नेशनल पार्क, मुरा पुक, रीह दिल लेक और थसियामा सेनो नैहना जाना न भूले। मुर्लेन नेशनल पार्क इंडो- म्यामार बार्डर पर स्थित है। यह पार्क जैव-विविधतायों से समृद्ध है। पक्षियों की करीब 150 प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। चमफाई से पांच किलोमीटर दूर रूएंतलैंग गांव जा सकते हैं। यहां मिजो लोगों के पुराने रहन-सहन को अब तक देखा जा सकता है। मुरा पुक जोटे गांव में स्थित है। यह पर्टयकों को खूब आकर्षित करता है, क्योंकि यहां पर छह गुफाएं हैं। राजधानी आइजोल से करीब 85 किलोमीटर दूर स्थित तामदिल झील पर्यटकों को खूब सुखद अहसास देती है, क्योंकि इसमें रंग-बिरंगी मछलियों को जलक्त्रीड़ा करते देखा जा सकता है। यहां मोहक फूल, ऑर्किड, जड़ी-बूटियां देखने मिल जाएंगे। मिजो लोग बेहतरीन बुनकर होते हैं। इसलिए यहां की महिलाओं द्वारा हाथ के बुने कपड़े खरीदना न भूलें। नवंबर से मार्च मिजोरम जाने के सबसे आदर्श समय है।

कैसे जाएं : 

आइजॉल से लेंगपुई एयरपोर्ट 35 किलोमीटर दूर है, गुवाहाटी और कोलकाता से नियमित उड़ानें हैं। 184 किलोमीटर पर सिलचर रेलवे स्टेशन है, गुवाहाटी 506 किलोमीटर दूर है। सिलचर, गुवाहाटी और शिलांग (450 किलोमीटर) से एजल सड़क मार्ग से भी जुड़ा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.