Republic day 2019: वैशाली आकर देखने को मिलेगा दुनिया के पहले गणतंत्र का नजारा
दुनिया को सबसे पहले गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली है। प्रमाणों के आधार पर माना जाता है कि यहां ही दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था।
दुनिया को सबसे पहले गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली है। वैशाली, बिहार के वैशाली जिले में स्थित एक गांव है। जिसकी मुख्य भाषा 'वज्जिका' है। खुदाई और प्राचीन प्रमाणों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि वैशाली में ही दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था। वैशाली की अलग पहचान का श्रेय भगवान बुद्ध को जाता है। इस जगह को उनकी कर्मभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान बुद्ध का तीन बार आगमन हुआ था। इसके अलावा वैशाली, भगवान महावीर की भी जन्मस्थली है और इसी वजह से ये जैन धर्म अनुयायियों के लिए भी पवित्र है।
भारत के पहले गणतंत्र का सबूत देती हैं वैशाली की ये जगहें
अशोक स्तंभ
कोल्हु में सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया एक स्तंभ है जिसके शीर्ष पर शेर बना हुआ है। वैशाली का यह स्तंभ अशोक द्वारा निर्मित दूसरे स्तंभों से बिल्कुल अलग और शुरूआती स्तंभ है। खुदाई द्वारा मिले इस बेलाकार स्तंभ की ऊंचाई 18.3 मीटर है। जो लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है जिस पर उनका कोई अभिलेख नहीं।
राजा विशाल का गढ़
अशोक स्तंभ के नज़दीक ही खुदाई में एक बहुत ही बड़ा टीला भी मिला। इसकी परिधि 1 किमी है। इसके चारों ओर 2 मीटर ऊंची दीवार है और चारों तरफ 43 मीटर चौड़ी खाई। ऐसा माना जाता है उस जमाने में यहां संसद हुआ करती थी। जिसमें लोगों की समस्याओं को सुना और उस पर बहस किया जाता था।
अभिषेक पुष्करणी
यह वैशाली गणराज्य द्वारा तकरीबन ढाई हजार वर्ष पूर्व एक सरोवर है। ऐसी मान्यता है कि इस गणराज्य में जब भी कोई नया शासक चुना जाता था तो उनको यहीं पर अभिषेक करवाया जाता था।
विश्व शांति स्तूप
इस पवित्र सरोवर के नज़दीक ही जापान के निप्पोनजी बौद्ध समुदाय द्वारा बनवाया गया विश्व शांति स्तूप है। गोल घुमावदार गुंबद, अलंकृत सीढ़ियां और उनके दोनों ओर स्वर्ण रंग के बड़े सिंह जैसे पहरेदार शांति स्तूप की रखवाली कर रहे ऐसा लगते हैं। सीढ़ियों के ठीक सामने ध्यानमग्न बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमा है। जिसके चारों ओर भिन्न-भिन्न मुद्राओं में बुद्ध की दूसरी प्रतिमाएं।
बावन पोखर मंदिर
बावन पोखर के उत्तर किनारे पर बना पाल कालीन मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां लगी हुई हैं।
बौद्ध स्तूप
यहां बने स्तूपों का पता 1958 में खुदाई के बाद चला। जिसका महत्व भगवान बुद्ध के राख पाए जाने की वजह से और बढ़ गया। बुद्ध के पार्थिक अवशेष पर बने 8 मौलिक स्तूपों में से एक है। जो बौद्ध अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- पटना यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है। यहां के लिए ज्यादातर शहरों से फ्लाइट की सुविधा अवेलेबल है।
रेल मार्ग- हाजीपुर, यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। यहां से वैशाली 35 किमी दूर है। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई लगभग सभी बड़े शहरों से यहां के लिए ट्रेनें अवेलेबल हैं।
सड़क मार्ग- पटना, हाजीपुर और मुजफ्फरनगर जैसे शहरों से आप आसानी से सड़कमार्ग द्वारा यहां तक पहुंच सकते हैं।