इमरती और मूली का अलहदा स्वाद जौनपुर को बनाता है खास
उत्तर प्रदेश का जौनपुर शहर कई मायनों में खास है। जब बात खानपान की हो तो जौनपुर की इमरती और समोसे का जिक्र न हो ये भी सही नहीं। तो यहां आकर इन दो चीज़ों के अलावा और क्या खाएं, जानेंगे।
हर प्रदेश की अपनी खासियत और खानपान होता है। यदि आप सोच रहे हैं कि इस शहर का खानपान में क्या योगदान है तो जनाब एक चीज हो तो तो कहा भी जाए। कहते हैं यहां जैसी इमरती होती है उसका स्वाद दूसरी किसी जगह नहीं मिलता। यहां के हर आमोखास का जायका बढ़ाने वाली बेनीराम-देवी प्रसाद के प्रतिष्ठान की इमरती का नाम आते ही इसके कद्रदानों के मुंह में पानी आ जाता है। लकड़ी की धीमी आंच पर देसी चीनी (खांडसारी), देसी घी व उड़द की दाल की बेस पर विशेष विधि से बनाई जाने वाली यहां की इमरती देश की नामचीन हस्तियों को तो छोडि़ए विदेश में भी रहने वाले तमाम लोगों की खासा पसंदीदा है।
अब आप सोच रहे होंगे कि मूली का भी अलग स्वाद होता है क्या? बेशक यहां की मिट्टी में पैदा होने वाली मूली जहां आकार में भी काफी अलग होती है, वहीं इसका स्वाद भी काफी हटकर है यानी बहुत खास। अब आप इसे खाएं तब पता चले कि यह कैसे अलग है। जिले में होने वाला मक्का भी अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है। इसी तरह यदि आप खरबूजा पसंद करते हैं तो यहां की जमैथा नामक जगह का खरबूजा एक बार चखकर देखें। शहद से भी मीठा होता है इसका स्वाद। इस मिठास को चखते ही आप वाह कह उठेंगे। यह यहां गोमती नदी के किनारे बलुहट मिट्टी में इस खरबूजे की पैदावार होती है।
कहते हैं समोसा बनाना एक कला है और अगर इसमें कोई प्रतियोगित हो तो तय है कि जौनपुर बाजी मार ले जाएगा। जौनपुर में हर दूसरे थेले पर कड़ाई से गर्म-गर्म निकलते समोसे का स्वाद चखने को मिल जाएगा। जिसे आप हरी धनिया की चटनी और चाय के साथ एन्जॉय कर सकते हैं।
खास बात तो बताना भूल ही गए। एक और चीज़ है जो जौनपुर को खास बनाती है वो है लौंगलता। जिसे समोसे का बड़ा भाई-बहन कह सकते हैं। दिखने में एक जैसे होते हैं लेकिन स्वाद में बिल्कुल अलग। मतलब लौंगलता का स्वाद मीठा होता है न कि समोसा जैसा चटपटा। सुबह दुकानों पर प्लेटों में गर्मागर्म चाशनी से सरोबार लौंगलता सजने लगते हैं। गर्म समोसे खाकर जुबान जल जाए या मिर्ची लग जाए तो आराम फिर लौंगलता खाने के बाद ही मिलता है।