यहां चाय में नमक तो सेव का मीठा अंदाज लोगों को आता है पसंद, ऐसा है भोपाल का नवाबी स्वाद
खान-पान के मामले में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का जवाब नहीं। यहां के व्यंजनों में मिलती है नवाबी नफासत की विरासत। तो इस बार चलते हैं भोपाल की चटपटी गलियों में...
जर्दा, पर्दा और झीलों के शहर भोपाल में खान-पान की भी अलग खासियत है। नवाबी विरासत और नफासत की खूशबू निश्चित ही आज भी हर किसी को आकर्षित करती है। यहां के नान वेजिटेरियन फूड का जायका तो खास है ही, वेजिटिरियन भोजन की लज्जत भी कम नहीं। नवाबी दौर का बेमिसाल यहां की पहचान रहा है। उस समय के खानपान में नॉनवेज ज्यादा शामिल रहता था, इसलिए भोपाल के चर्चित खाने की खासियत प्रमुख तौर पर आज भी नॉनवेज ही है। फिर भी राजधानी भोपाल में तेजी से लोकप्रिय हो रहे लजीज खाने की संस्कृति ने जायके में भी बदलाव लाया है। भोपाल जहां एक और कला संस्कृति के क्षेत्र में अपनी पहचान रखता है, वहीं दूसरी ओर अब यहां का खाना हर कोई पसंद कर रहा है। होटल से लेकर रेस्टोरेंट में पारंपरिक के साथ-साथ इनोवेटिव फूड मेन्यू में शामिल है। इस शहर के होटलों, रेस्टोरेंट और फूड स्टॉल्स में बेहतर खान पान की झलक देखने मिल रही है।
स्पेशल सेव स्वीट
एमपी नगर स्थित मनोहर स्वीट्स के पास स्पेशल वैराइटी की सबसे ज्यादा मिठाइयां हैं। इसमें पहला नंबर सेव स्वीट का आता है। इसे सेवफल और ड्रायफ्रूट से तैयार किया जाता है। सेव स्वीट में दूध, काजू, बादाम, केसर, सेव का गूदा और क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने में काफी समय लगता है। करीब एक दिन बाद यह तैयार होता है। इसे तैयार करने के बाद काटा और डेकोरेट किया जाता है। इसके साथ -साथ मलाई घेवर, इडली डोकला और स्वीट में गुलाब जामुन और रसगुल्ले की कई किस्मे हैं। खाने से लेकर मिष्ठान की 100 से ज्यादा वैराइटियां हैं।
यहां के खाने में बेसिक फूड के साथ साऊथ इंडियन खाना भी शामिल है, जिसे शहरवासी पसंद करते हैं। फेस्टिवल सीजन में स्वीट्स की वैराइटी बढ़ जाती है। राखी पर घेवर, जन्माष्टमी पर दही के बने मीठे उत्पाद और गणेशोत्सव में लड्डू की कई वैराइटी शामिल होती हैं।
सैंडविच और सफेद चटनी
शहर के लोकप्रिय सागर गैरे ने साल 2008 में गैरे फूड कॉर्नर को शुरू किया था। जहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय डिश सैंडविच और बटर पनीर के साथ कुलचा है। सैंडविच के साथ परोसी जाने वाली चटनी खास होती है। साथ ही, सैंडविच में बनी क्रीम उसे खास स्वाद देती है। इसके साथ स्पेशल ग्रीन चटनी होती है। सैंडविच के लिए ताजी ब्रेड का उपयोग होता है। इसलिए यह काफी स्वादिष्ट बनता है। बटर पनीर और कुलचा भी यहां स्पेशल हैं। जिसकी ग्रेवी में खड़े मसालों का उपयोग होता हैं।
खाने में वेज स्नैक्स काफी पसंद किए जाते हैं। खाने के पहले वेज सूप का भी ऑप्शन है। सफेद चटनी यहां की यूएसपी है। जिसे खास तौर पर नारियल, क्रीम, दही से बनाया जाता है।
राजहंस की जैन थाली
एमपी नगर स्थित राजहंस फूड रेस्टोरेंट अपनी स्पेशल जैन थाली के लिए जाना जाता है। इस मैन्यू में प्याज, लहसुन और अदरक का उपयोग नहीं होता है। खास मसालों से डिशेज तैयार होती हैं। थाली में दाल, रोटी, जीरा राइस, दो सब्जी, पनीर, चटनी, स्पेशल रायता, दही, सलाद, दो स्वीट वैराइटी शामिल होती है। कुछ डिशेज यहां खास अवसरों पर बनाई जाती हैं। थाली में कई बार खीर की वैराइटी भी शामिल की जाती है। खाने में कम नमक, मिर्च का उपयोग होता है। कोशिश की जाती है कि खाने का नैचुरल टेस्ट बरकरार रहे। यहां बनी पनीर की सब्जियां भी फूड लवर्स पसंद करते हैं जिसमें फ्रेश टमाटर ग्रेवी और फ्रेश क्रीम का उपयोग किया जाता है। यहां फ्रोजन चीजों का इस्तेमाल नहीं होता है। थाली में लो कार्ब और हैवी प्रोटीन डाइट खाना शामिल किया जाता है। यहां बने मसालों का उपयोग खाने को लजीज बनाने में करते हैं। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी हितकर होते हैं। मैन्यू में ग्रेवी बेस्ड फूड ज्यादा मिलता है। जो टमाटर, ओनियन, जिंजर-गार्लिक पेस्ट से बनता है। थाली के अलावा, मैन्यू में स्पेशल टोमेटो सूप भी शामिल किया गया है। यहां बनाई जाने वाली स्पेशल जैन दाल फूड लवर्स अलग से ऑर्डर करते हैं। इसके लिए ज्यादा स्टॉक रखा जाता है। दाल में घी का तड़का, ग्रीन चिली से तैयार किया जाता है।
चटौरी गली की नल्ली निहारी
चटौरी गली में स्थित गजाला होटल सबसे पुरानी खाने की दुकान है। यहां की सबसे स्पेशल डिश दिल्ली की नल्ली निहारी है। जो करीब 8 घंटे में तैयार होती है। इसमें तीन घंटे का दम लगाया जाता है। इसकी ग्रेवी को बेसिक मसालों के साथ पकाया जाता है। असली मजा दम लगने के बाद बढ़ता है। इसके साथ खास कुलचा पराठा, ब्रेड नॉन, रुमाली और तंदूरी रोटी खाई जाती है। यहां करीब 20 किलो दिल्ली की नल्ली निहारी बनाई जाती है। इसके अलावा स्पेशल बटर गोश्त, चिकन मसाला, तितर बटेर, कुचला पराठा, स्पेशल तंदूरी, मैथी गोश्त खास है। दुकान में दम बिरयानी भी खास है, जिसमें बासमती चावल का उपयोग होता है। यहां के अन्य इनोवेटिव डिशेज में सॉस, लहसुन, अदरक, ओनियन पाउडर और गरम मसालों का उपयोग भी करते हैं।
शहर की शान नमक वाली चाय
भोपाल में नमक वाली चाय काफी लोकप्रिय है। नमक वाली चाय में खास टेस्ट नमक का है जो खड़ा नमक है। एक पात्र में चायपत्ती, शक्कर और खड़ा नमक लेकर उबाला जाता है। इसमें बनी चाय को तांबे के बर्तन में डालकर धीमी आंच पर पकाते हैं। दूसरे बर्तन में गर्म हो रहे दूध में इस चाय को मिलाते हैं और नमक वाली चाय तैयार हो जाती है। इस चाय को पीने से खासतौर पर गले की खराश ठीक हो जाती है। साथ ही कफ, सिर दर्द और खांसी में भी काफी आराम मिलता है। अब पुराने भोपाल में नुक्कड़ों पर भी नमक वाली चाय बनने लगी है।
सुबह से शुरू हुआ दौर देर रात तक चलता है जहां भोपाल के लोग दोस्तों और परिवार के साथ इस चाय को पीने आते हैं। शहर के यंगस्टर्स से लेकर उम्रदराज लोग भी शहर की नमक वाली चाय पसंद करते हैं। लोगों को नमक वाली चाय पीना ठंड के दिनों में ही नहीं, बल्कि हर मौसम में भाता है। फूड एक्सपर्ट बताते हैं कि नमक वाली चाय का टेस्ट तो अच्छा है ही बल्कि इस गर्म पेय के सेहत से जुड़े कई फायदे हैं। नमक वाली चाय की खुशबू एक नया एहसास देती है। मध्य एशिया से आई चाय का संबंध तुर्की और रूस से रहा है। जिसमें भोपाली अंदाज में नमक मिलाकर पेश किया जाने लगा। करीब 150 साल पहले शहर की बेगम सिकंदर तुर्की से इसे लेकर आईं थीं। महलों से निकलकर चाय नुक्कड़ों तक पहुंच गई। इसे समावार की चाय भी कहते हैं। इस चाय की तासीर गर्म और स्वादिष्ट होती है। साथ ही, इसका एरोमा खुशनुमा अहसास देता है।