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नागालैंड की जोखू वैली जहां कैम्पिंग करने आते हैं पर्यटक, जानें क्या है यहां खास

नगालैंड 16 जनजातियों का घर है, जो रंग-बिरंगी और डिजाइनर पोशाक पहनना पसंद करते हैं।

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 06:00 AM (IST)
नागालैंड की जोखू वैली जहां कैम्पिंग करने आते हैं पर्यटक, जानें क्या है यहां खास
नागालैंड की जोखू वैली जहां कैम्पिंग करने आते हैं पर्यटक, जानें क्या है यहां खास

जोखू वैली को कभी बेजान मानकर इसके अपने लोगों ने ही इससे मुंह मोड़ लिया था। मगर आज वही लोग इसकी खूबसूरती का बखान करते नहीं थकते। उंचे-नीचे हरे पहाड़, रहस्य से भरे भूतिया ठूंठ, नीला आसमान, बीच में शीशे सी चमकती नदी। इन सबके बीच बैंगनी रंग के जोखू लिली के फूल, जो दूसरे सफेद, पीले व लाल रंग के फूलों के साथ एक इंद्रधनुषी पेंटिंग तैयार करते हैं। जोखू लिली के फूल यहां के अलावा कहीं और नहीं मिलते और वह भी सिर्फ मानसून में। यहां पहुंचने का रास्ता थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन 'स्वर्ग' कहां आसानी से दिखाई देता है। करीब एक घंटे की खड़ी चढ़ाई के बाद आगे बांस के झुरमुटों के बीच से करीब 3 घंटे की ट्रैकिंग के बाद आपको इस खूबसूरत वैली की पहली झलक देखने को मिलती है।

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यकीन मानिए छोटे-छोटे टीलों से दिखने वाले हरे पहाड़, रंग-बिरंगे फूल और उन पर पड़ती सूरज की किरणें आपको पहली नजर में ही मोह लेंगी। आप चाहें तो यहां पर रात भी बिता सकते हैं। पर्यटन विभाग की मदद से यहां पर रहने के लिए दो कमरे और एक किचन तैयार किया गया है, जहां आपको आधारभूत चीजें मिल जाएंगी। यहां कुछ पैसे खर्च कर आप बिस्तर, तकिया, कंबल सब कुछ पा सकते हैं। हालांकि आप चाहें तो अपना टेंट भी लगा सकते हैं। वैली में बहती नदी के किनारे कैंप लगाने का रोमांच अलग ही है।

कैसे-कैसे किस्से

पिछले कई साल से गाइड की भूमिका निभा रहे निकोलस बताते हैं कि समुद्र तल से 2452 मीटर की उंचाई पर स्थित इस घाटी को लेकर बहुत सी कहानियां भी प्रचलित हैं। कुछ का मानना है कि घाटी के बहते पानी से कोई भी बीमारी ठीक हो सकती है। एक कहानी यह भी है कि इस घाटी के पीछे विशाल जंगल है, जहां सफेद हाथी दिखाई देते हैं। यह बात और है कि आज तक किसी ने उन्हें नहीं देखा है! यही नहीं, कुछ किस्सों में तो यहां एक सुंदर महिला की आत्मा भी रहती है, जो यहां आने वाले पुरुषों को अपने वश में कर लेती है।

छोड़कर चले गए अपने लोग

यहां अक्सर आने वाले निकोलस कहते हैं कि जोखू का मतलब है-बेजान व निर्जन। अंगामी भाषा में इसे ठंडे पानी से भी जोड़ा जाता है। विपरीत मौसम के चलते यहां पर किसी तरह की फसल होना काफी मुश्किल था। उस पर बहुत ज्यादा ठंड में यहां रहना भी काफी मुश्किल था, इसलिए यहां के लोग इस वैली से मुंह मोडकर कहीं ओर अपना ठिकाना बनाने चले गए थे। लेकिन बाद में कुछ पर्वतारोहियों ने इस घाटी की खूबसूरती को दुनिया के सामने रखा। अब यह नगालैंड के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है।

जोखू तक पहुंचने के दो रास्ते

जोखू वैली तक पहुंचने के लिए मणिपुर या नगालैंड का कोई भी रास्ता अपनाया जा सकता है। मणिपुर के माउंट इशू के रास्ते यहां पहुंचा जा सकता है, लेकिन पहली बार जाने वालों के लिए नगालैंड के विशेमा से होकर जाने वाला रास्ता कहीं ज्यादा आसान है। करीब 4 घंटे की ट्रैकिंग के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। चाहें तो यहां रात को रुक भी सकते हैं। हां, बिना गाइड के यहां का सफर जोखिम भरा हो सकता है।

नगालैंड स्टेट म्यूजियम

लोग अक्सर कोहिमा की खूबसूरती ही निहारने आते हैं, लेकिन यहां कई म्यूजियम भी हैं। कोहिमा म्यूजियम और नगालैंड स्टेट म्यूजियम में नगा समुदाय के बारे में अच्छी-खासी जानकारी मिल सकती है। नगालैंड स्टेट म्यूजियम में महात्मा गांधी की धोती, छड़ी भी संरक्षित रखी है। इस शहर में बच्चों के लिए गुडि़याघर भी है

खानपान में भी झलकती है संस्कृति

नगालैंड का खानपान बहुत हद तक जनजातीय परंपरा पर ही आधारित है। देश के अन्य हिस्सों की तुलना में पूर्वोत्तर में खानपान थोड़ा अलग है। मांसाहार ज्यादा पसंद किया जाता है, खासतौर से कुत्ते का मांस। यह सुनने में अटपटा जरूर लग सकता है, लेकिन पूर्वोत्तर के कई राच्यों में यह सबसे च्यादा पसंद किए जाने वाला मांस है। इसके अलावा, जंगल में मिलने वाली ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें नगा समुदाय के लोग खाना पसंद करते हैं। आप चाहें तो नगा फूड का भी लुत्फ उठा सकते हैं। इसमें बैम्बू शूट खासतौर से काफी लोकप्रिय है। मगर शाकाहारियों के लिए यहां कम ही विकल्प हैं। नगालैंड में आप दुनिया की सबसे तीखी मिर्ची भूत झोलकिया या राजा मिर्ची भी ट्राई कर सकते हैं, पर जरा संभल के। दरअसल, बड़ी छोटी सी दिखने वाली यह मिर्ची बड़े से बड़े की आंखों से पानी छुड़ा सकती है। इसके तीखेपन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे बेचने वाला इसे बिना ग्लव्स के छूता तक नहीं है। इसे बेचने वाले सोनू बताते हैं कि यह इतनी तीखी है कि अगर एक बार हाथ लग गया तो रातभर जलन होती है। इसके तीखेपन की वजह से सुरक्षाबल इसका इस्तेमाल आंसू गैस के गोलों में भी करने पर विचार कर रहे हैं ताकि भीड़ को तितर-बितर किया जा सके।

डी कैफे की टरकिश कॉफी

कोहिमा के मुख्य बाजार में एक छोटा साख लेकिन बेहद खूबसूरत कैफे है-डी-कैफे। इस कॉफी हाउस के मालिक दिली खेको वैसे तो एक पर्यावरण वैज्ञानिक हैं, लेकिन अपने शहर और अपने लोगों से लगाव इन्हें वापस कोहिमा खींच लाया। वह बताते हैं कि हमारे युवा इन दिनों शराब को च्यादा पसंद करने लगे हैं, ऐसे में मैंने यह कैफे इसलिए शुरू किया ताकि मैं उन्हें बता सकूं कि बिना शराब के भी जिंदगी के मजे लिए जा सकते हैं। इस छोटे से लेकिन बेहद खूबसूरत कैफे में आपको कई तरह की कॉफी मिल जाएगी। हालांकि यहां मिलने वाली टरकिश कॉफी और आयरिश कॉफी को लोग खासतौर से च्यादा पसंद करते हैं।

जाट रेस्टोरेंट

दूर पूर्वोत्तर के किसी राच्य में अगर आपको राजस्थानी ठाटबाट दिख जाए तो कहने ही क्या! कोहिमा के मुख्य बाजार में ही जाट रेस्टोरेंट के नाम से एक होटल है। बिल्कुल राजस्थानी परंपरा में रचा बसा। हालांकि यहां राजस्थानी खाना तो नहीं मिलेगा, लेकिन यहां मिलने वाला शाकाहारी खाना आपको उसकी याद जरूर दिला सकता है।

तरह-तरह के मोमोज

नगालैंड में आकर मोमोज चखे बिना नहीं रहा जा सकता। यहां कई अच्छे रेस्टोरेंट हैं, जो आपको अच्छे मोमोज सर्व कर सकते हैं। हालांकि अगर आप शाकाहारी हैं, तो थोड़ी च्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। चाओ एंड मोमो और मॉम एंड आई कैफे के अलावा गलियों में भी आपको कई तरह के मोमोज मिल जाएंगे।

बांस उत्पाद और लोहे की ज्वैलरी 

नगालैंड 16 जनजातियों का घर है, जो रंग-बिरंगी और डिजाइनर पोशाक पहनना पसंद करते हैं। आप अलग-अलग तरह के शॉल, मेखेला सारोंग खरीद सकते हैं। इसके अलावा बांस से बने कई उत्पाद भी आप खरीद सकते हैं। यहां लकड़ी, कांसे और लोहे से बनी ज्वैलरी भी काफी पसंद की जाती है। यहां कुछ खास मार्केट हैं जहां आपको जरूर जाना चाहिए-

 

माओ मार्केट: कोहिमा की सबसे बड़ी मार्केट में से यह मार्केट सब्जियों व अलग-अलग तरह के मीट के लिए जाना जाता है। मणिपुर से व्यापारी यहां आकर बिक्री करते हैं। रेशम के कीड़ों से सजी थाली मिल जाए तो! हां, इस तरह की कल्पना करते हैं तो इसे आप यहां साक्षात देख सकते हैं। यही वजह है कि कोहिमा के स्थानीय बाजार माओ मार्केट हर कोई एक बार तो जरूर जाना चाहेगा। हां, यह बात अलग है कि शायद वहां से कुछ खरीदने की हिम्मत न जुटा सके! यहां वह सब बिकता है, जिसकी शायद आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। रेशम के कीड़े थाली में रेंगते दिखाई देते हैं, तो मेंढक टब में कूदते-छलांग लगाते हुए। हालांकि इस बाजार में आप सस्ते दामों पर कपड़े खरीद सकते हैं।

तिब्बती मार्केट : यहां सब्जियों के साथ-साथ कपड़े भी सस्ते दामों पर खरीदे जा सकते हैं।

नगा बाजार : यह बाजार मवेशियों की बिक्त्री के लिए लोकप्रिय है।

होलसेल मार्केट : बेहद खूबसूरत पारंपरिक परिधानों से सजी नगा महिलाएं यहां जंगल या फार्म में बने उत्पाद बेचती हैं।

हैंडीक्राफ्ट व हैंडलूम इम्पोरियम : सरकार द्वारा संचालित इस इम्पोरियम से नगा शॉल, जैकेट, स्वेटर, बांस की टोकरी, बैग आदि खरीदे जा सकते हैं।


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