Move to Jagran APP

दिसंबर में घूमने के साथ ट्रेकिंग का भी लें मज़ा, 'कॉफी टाउन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर चिकमंगलूर आकर

दूर-दूर तक फैले कॉफी के बागान सुपारी के खेत और जलप्रपातों से सजी वादियां। ये नजारा है कर्नाटक के मशहूर हिल स्टेशन चिकमंगलूर का। आज चलते हैं इसके सफर पर...

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 09:39 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 12:45 PM (IST)
दिसंबर में घूमने के साथ ट्रेकिंग का भी लें मज़ा, 'कॉफी टाउन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर चिकमंगलूर आकर
दिसंबर में घूमने के साथ ट्रेकिंग का भी लें मज़ा, 'कॉफी टाउन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर चिकमंगलूर आकर

कवि की कल्पनाओं की तरह सजे कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में फैली प्रकृति की चित्रकारी को देखकर हर किसी का मन गुनगुनाने को मजबूर हो सकता है। पश्चिमी घाट पर स्थित यह हिल स्टेशन यात्रियों को एक अलौकिक दुनिया में ले जाता है। अगर आप रोमांचक पर्यटन के शौकीन हैं तो यह स्थान आपके इस शौक को भी अपने खास अंदाज में पूरा करता है।

loksabha election banner

बाबा बुदनगिरि का जादू

शास्त्रों में चंद्रद्रोण पर्वतश्रेणी नाम से मशहूर चिकमंगलूर की इस पर्वतमाला को स्थानीय निवासी बाबा बुदनगिरि की पहाड़ियों के नाम से पहचानते हैं। हरात दादा, हयात कलंदर या बाबा बुदन अरब प्रदेश से आए हुए एक सूफी पीर थे। सदियों पहले बाबा बुदन यमन देश से कॉफी के सात बीज अपने साथ ले आए और इसी पहाड़ी पर सबसे पहला बीज बोकर उन्होंने भारत को 'कॉफी संस्कृति' की भेंट दी। इस खूबसूरत पहाड़ी पर आप गाड़ी और ट्रेकिंग के माध्यम से पहुंच सकते हैं। उल्लेखनीय है कि बाबा बुदनगिरि के सरल और चिह्नित रूट पर बिना किसी गाइड की मदद के या फिर स्थानीय निवासियों के साथ ट्रेकिंग की जा सकती है। उल्लेखनीय हैं कि मुलयनगिरि तथा बाबा बुदनगिरि की चोटियां 6317 फीट की ऊंचाई के साथ कर्नाटक राज्य के उच्चत्तम शिखर हैं। 

केम्मन्नागुंडी बाग : लाल मिट्टी की खाड़ी

मैसूरू के राजा कृष्णराजा वोदेयार के शासनकाल में ग्रीष्मऋतु की शुरुआत से ही केम्मन्नागुंडी की शीतल पहाडि़यां अस्थायी रूप से मैसूर की राजधानी में तब्दील हो जाती थीं। इस हिल स्टेशन के फूलों से सजे बाग, सब्जियों से लदे खेत, कॉफी की सोंधी महक बाबा बुदनगिरि की पहाडि़यां सदियों से यात्रियों को आकर्षित करती रही हैं। 'केम्पु', 'मन्नू' तथा 'गुंडी' शब्दों से बने केम्मन्नागुंडी नाम का अर्थ है 'लाल मिट्टी की खाड़ी'। इसी उपजाऊ मिट्टी ने चिकमंगलूर के किसानों को समृद्ध बनाया है और इस प्रदेश को धान की खेती करने का अवसर प्रदान किया है। 

सुपारी के खेतों की सैर

केम्मन्नागुंडी से नीचे की ओर उतरते हुए भद्रा नदी की तरफ जाते हुए चावल के पानी भरे खेतों में प्रतिबिंबित होते आसमान चूमते सुपारी के पेड़ों के अतुलनीय नजारे मन मोह लेते हैं। यदि आपने इंडोनेशिया के 'बाली' नामक द्वीप के मनोहर चित्र देखे हैं तो बस कुछ ऐसे ही दृश्य देखे जा सकते हैं इन गांवों में। एक तरफ सुपारी के खेत एक घने जंगल का आभास देकर यात्रियों को चकित करते हैं तो दूसरी और इसके पीले फल यहां के किसानों के लिए सोने के मोती से कम नहीं हैं। चिकमंगलूर की ज्यादातर आय सुपारी एवं कॉफी की खेती से आती है।

कैसे और कब पहुंचें

बेंगलुरु तथा मंगलुरु से इस शहर के लिए बसें उपलब्ध हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बेंगलुरु में स्थित है। शहर का अपना रेलवे स्टेशन भी है। पहाड़ी इलाका होने के कारण निजी एवं किराये की गाड़ियां यहां खूब चलती हैं। आप यहां किसी भी मौसम में आ सकते हैं पर सर्दियों का मौसम अधिक मुफीद है। 

पूर्वी कमालिया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.