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हाथियों की निराली दुनिया बसती है दलमा नेशनल पार्क में

जमशेदपुर से रांची की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग 33 से गुजरने पर करीब 20-25 किलोमीटर पर दलमा एलीफैंट सैंचुरी क्षेत्र शुरू हो जाता है। जहां बसती है हाथियों की अनोखी दुनिया।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 10:47 AM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 06:00 AM (IST)
हाथियों की निराली दुनिया बसती है दलमा नेशनल पार्क में
हाथियों की निराली दुनिया बसती है दलमा नेशनल पार्क में

जमशेदपुर से रांची की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग 33 से गुजरने पर करीब 20-25 किलोमीटर पर दलमा एलीफैंट सैंचुरी क्षेत्र शुरू हो जाता है। छोटे-बड़े कई जंगल भरे पहाड़ों को मिलाकर यह एलीफैंट सैंचुरी विश्र्व प्रसिद्ध है। अगर आप यहां आने की योजना बना रहे हैं तो वन विभाग के मकुलाकोचा चेकपोस्ट से निर्धारित शुल्क देकर टिकट लेना होता है। दोपहिया के लिए 22 रुपये और चार पहिया वाहन के लिए 72 रुपये शुल्क है। हाथियों की इस निराली दुनिया के मुख्य द्वार के समीप ही एक संग्रहालय भी है, जिसमें आप पत्थरों के इतिहास के बारे में जान सकते हैं। करीब दो हजार साल पुराने पत्थर और उस पर लिखी स्क्रिप्ट यहां मौजूद है। इसी के समीप बड़े से बाड़े में हिरणों को विचरण करते देखा जा सकता है। यहां वैज्ञानिक तरीके से हिरणों का प्रजनन भी कराया जाता है।

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जाने कितने राज छिपे हैं

दलमा पर्वत श्रृंखला अपने में अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ कई राज भी सेमेटे हुए। दरअसल, गुफाओं की लंबी श्रृंखला है जिसके बारे में जंगल से सटे गांवों के बाशिंदे तो जानते हैं, लेकिन बाहरी दुनिया अभी भी इनसे लगभग पूरी तरह अनभिज्ञ है। यहां के ग्रामीण दलमा माई के किस्से श्रद्धापूर्वक सुनाते हैं और दलमा माई की गुफा में पूजा-पाठ भी करते हैं। दलमा में दर्जनों गुफाएं हैं, लेकिन आज तक किसी ने अंदर जाने की हिम्मत नहीं की। यहां मंदिर के पास नरसिंह गुफा व कटासीन गुफा हैं जिन्हें दरबार के नाम से जाना जाता है। दोनों गुफाएं गणेश मंदिर के ऊपर हैं जिनके अंदर भालुओं का बसेरा है।

लुभा लेगा यह बंबू हट

जमशेदपुर में टैक्सी-कैब बुक कर दलमा पहुंचा जा सकता है। मुख्य द्वार से एक किलोमीटर आगे बढ़ते ही शुरू हो जाती है पहाड़ी चढ़ाई। करीब 17 किलोमीटर की घुमावदार पहाड़ी सड़कों से होते हुए 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित वन विभाग के गेस्ट हाउस पहुंच सकते हैं। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक वातावरण में बने बंबू हट में रुकना बेहतरीन अनुभव देगा। इसमें बांस के बने बेड व सोफे अलग एहसास देते हैं। एसी व नॉन-एसी कमरों के लिए वन विभाग की साइट पर ऑनलाइन एडवांस बुकिंग कराई जा सकती है।

घुमड़ते बादलों के संग

समुद्र तल से 300 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर जाने का रोमांच और यहां मौजूद पहाड़ के गुफानुमा मंदिर यानी दलमा महादेव की पूजा का आनंद दोनों मिलेगा यहां। शिव मंदिर से ऊपर ही चोटी पर हनुमान मंदिर है। मंदिर के समीप पर्यटकों के लिए बने टॉवर पर चढ़कर आप पूरे शहर व आसपास का नजारा ले सकते हैं। इतनी ऊंचाई से नीचे का दृश्य कुछ वैसा ही दिखता है जैसे हम कोई नक्शा देख रहे हों। अपने से नीचे की ओर उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखने का रोमांच अवर्णनीय है।

पहाड़ों की गोद में लें बोटिंग का आनंद

रांची मार्ग पर शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चांडिल डैम स्वर्णरेखा नदी पर बना है। यहां का विशाल जल क्षेत्र हरे-भरे पहाड़ों की गोद में बड़ी झील का स्वरूप लिए हुए है। दूर तक जल ही जल। उसके आगे पहाड़ पर जंगल ही जंगल। यहां दूर-दराज से लोग बोटिंग करने आते हैं।

लोकप्रिय है डिमना झील

शहर के आबादी वाले क्षेत्र से तीन-चार किलोमीटर दूर डिमना झील है। यह घूमने के अलावा पिकनिक स्पॉट के रूप में दूर-दूर तक मशहूर है। चारों ओर पहाड़ होने के कारण यह एक कटोरानुमा आकृति लुभावनी है। इस पर डैम बनाकर पानी के अनावश्यक बहाव को रोका जाता है। शहर को जलापूर्ति के लिए यहां का जल पूरे साल काम आता है। इस डैम को देश के प्रसिद्ध इंजीनियर एम विश्र्वैशरैया की देखरेख में बनवाया गया था।  

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