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अनजानी और अनदेखी जगहों को देखने का रखते हैं शौक, तो रुख करें चित्रकूट की ओर

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है यह चित्रकूट। यहां रामायण के कई प्रसंग जीवंत नजर आते हैं तो दूसरी तरफ यह जगह पर्यटन के लिहाज से भी बहुत सही है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 09:08 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 09:08 AM (IST)
अनजानी और अनदेखी जगहों को देखने का रखते हैं शौक, तो रुख करें चित्रकूट की ओर
अनजानी और अनदेखी जगहों को देखने का रखते हैं शौक, तो रुख करें चित्रकूट की ओर

संस्कृति और इतिहास की सुंदर झलकियां जब जीवंत रूप में दिखाई दें तो ऐसे स्थानों पर एक अलग प्रकार की ऊर्जा मिलती है। चित्रकूट भी ऐसे ही स्थानों में प्रसिद्ध है। यह दरअसल, एक आध्यात्मिक आश्रय स्थल है। हालांकि यदि आप अनजानी और अनदेखी जगहों के प्रति रुचि रखते हैं तो चित्रकूट आपके स्वागत के लिए तैयार है। यहां धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ सांस्कृतिक व ऐतिहासिक स्थलों में रुचि रखने वाले यात्रियों की लगभग पूरे साल भीड़ लगी रहती है।

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विशिष्ट रही है पहचान

इस स्थान का पहला ज्ञात उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है। 'रामोपाख्यान' और महाभारत के अनेक जगहों पर तीर्थों के विवरण में चित्रकूट को खास जगह मिली हुई है। दरअसल, राम से संबंधित पूरे भारतीय साहित्य में इस स्थान को एक अद्वितीय गौरव मिला है। महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य 'रघुवंश' में इस स्थान का सुंदर वर्णन किया है। वह यहां के आकर्षण से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने मेघदूत में अपने यक्ष के निर्वासन का स्थान चित्रकूट (जिसे वह प्रभु राम के साथ इसके सम्मानित संबंधों की वजह से रामगिरि कहते हैं) को बनाया। हिंदी के संत-कवि तुलसीदास जी ने अपनी सभी प्रमुख रचनाओं- रामचरित मानस, कवितावली, दोहावली और विनय पत्रिका में इस स्थान का अत्यंत आदरपूर्वक उल्लेख किया है।

छत्रपति शाहू महाराज नगर

6 मई, 1997 को उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद से अलग करके छत्रपति शाहू जी महाराज नगर के नाम से नए जिले का सृजन किया गया, जिसमें कर्वी तथा मऊ तहसीलें शामिल थीं। कुछ समय बाद 4 सितंबरक 1998 को जिले का नाम बदल कर चित्रकूट कर दिया गया।

दो राज्यों में विस्तार

यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में फैली उत्तरी विंध्य श्रृंखला में स्थित है। यहां का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के सतना जनपद में शामिल है। यहां प्रयोग किया 'चित्रकूट' शब्द, इस क्षेत्र के विभिन्न स्थानों और स्थलों की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक विरासत का प्रतीक है।

राम घाट का नया वैभव

तीर्थ क्षेत्र का प्रमुख केंद्र मंदाकिनी तट पर स्थित राम घाट भी अब नए वैभव की ओर बढ़ चला है। काशी की तर्ज पर यहां आप मंदाकिनी आरती, लेजर शो भी देख सकते हैं। मंदाकिनी जलधारा पर जीवंत होती रामकथा को देखने के लिए प्रत्येक शाम आस्था से ओतप्रोत लोगों की भीड़ रहती है। मठ, मंदिरों पर रंग-बिरंगी रोशनी आकर्षण बिखेरती है। निकट भविष्य में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और डिफेंस कॉरिडोर यहां लंबे अर्से बाद आने वालों को चकाचौंध करेंगे।

चहुं ओर राम ही राम

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश क्षेत्र में 84 कोस तक कण-कण में प्रभु राम, माता सीता व उनके भाई लक्ष्मण के 11 साल छह माह 18 दिन के वनवास काल के स्थल अब भी जीवंत हैं।

राजापुर स्थित तुलसी जन्मस्थली

माना जाता है कि चित्रकूट के राजापुर में रामचरित मानस के रचयिता भक्त कवि गोस्वामी तुलसी दास की जन्मस्थली यमुना तट पर है। तुलसी जन्म कुटीर मंदिर में वर्तमान में भी उनकी हस्तलिपि में मानस के कुछ अंश रखे हैं। यमुना पुल पार कर दायीं तरफ कौशांबी जिले के महेवा घाट में उनकी पत्‍‌नी रत्‍‌नावली का गांव है। कथावाचक संत मोरारी बापू इस स्थल पर नियमित भंडारा कराते हैं।

कैसे और कब जाएं?

दिल्ली से चित्रकूट के लिए निकटतम हवाई अड्डे खजुराहो (मध्य प्रदेश), उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर और लखनऊ हैं। वहीं, मध्य प्रदेश के जानकीकुंड में अंतरराज्यीय बस अड्डा है। झांसी-मानिकपुर रेलमार्ग पर चित्रकूटधाम कर्वी और मुंबई-हावड़ा रूट पर मानिकपुर रेलवे जंक्शन है। कर्वी निकटतम स्टेशन है, जबकि मानिकपुर की दूरी तीर्थक्षेत्र से करीब 35 किलोमीटर है। झांसी-मीरजापुर हाईवे पर कर्वी मुख्यालय में बस अड्डा है।


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