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Barsana Lathmar Holi 2019 Date: लाडली जी के मंदिर से होती है इस खास होली को खेलने की परंपरा

Barsana Lathmar Holi Date बरसाना के राधा रानी मंदिर से होती है लठमार होली की शुरूआत। जब नंदगांव से आए पुरुषों की बरसाना की औरतें लाठी से करती हैं पिटाई। ये होली दुनियाभर में मशहूर है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 04:51 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 12:07 PM (IST)
Barsana Lathmar Holi 2019 Date: लाडली जी के मंदिर से होती है इस खास होली को खेलने की परंपरा
Barsana Lathmar Holi 2019 Date: लाडली जी के मंदिर से होती है इस खास होली को खेलने की परंपरा

इस साल बरसाना की लठमार होली 6 दिनों तक दो चरणों में मनाई जाएगी। पहले दो दिनों 14 और 15 मार्च को बरसाना में, जो लड्डू होली के साथ शुरू होगी। दूसरी मथुरा में 16 से 19 मार्च के बीच। फिर 20 को होलिका दहन होगा और 21 को रंगो वाली होली खेली जाएगी। भारत के अलग-अलग राज्यों में होली बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है लेकिन जो बात मथुरा और वृंदावन आकर देखने को मिलती है वो कहीं और नहीं। महिलाओं-पुरुषों की इस लीला को देखने दूर देश से पर्यटक आते हैं। पूरे मथुरा, वृंदावन में अलग ही रौनक नज़र आती है।  
कहां आकर देखें
लठमार होली की शुरूआत बरसाना के राधा रानी मंदिर से होती है और रंग रंगीली गली में पहुंचकर खत्म होती है।

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क्‍या है लट्ठमार होली
फाल्‍गुन की नवमी को लट्ठ महिलाओं के हाथ में रहता है और नन्दगांव के पुरुषों (गोप) जो राधा के मन्दिर लाड़लीजी पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है। कहते हैं इस दिन सभी महिलाओं में राधा की आत्मा बसती है और पुरुष भी हंस-हंस कर लाठियां खाते हैं। आपसी वार्तालाप के लिए होरी गाई जाती है, जो श्रीकृष्ण और राधा के बीच वार्तालाप पर आधारित होती है। महिलाएं पुरुषों को लट्ठ मारती हैं, लेकिन गोपों को किसी भी तरह का प्रतिरोध करने की इजाजत नहीं होती है। उन्हें सिर्फ गुलाल छिड़क कर इन महिलाओं को चकमा देना होता है। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है या महिलाओं के कपड़े पहनाकर, श्रृंगार इत्यादि करके उन्‍हें नचाया जाता है।
माना जाता है कि पौराणिक काल में श्रीकृष्ण को बरसाना की गोपियों ने नचाया था। दो सप्ताह तक चलने वाली इस होली का माहौल बहुत मस्ती भरा होता है। एक बात और यहां पर जिस रंग-गुलाल का प्रयोग किया जाता है वो नेचुरल होता है, जिससे माहौल बहुत ही सुगन्धित रहता है। अगले दिन यही प्रक्रिया दोहराई जाती है, लेकिन इस बार नन्दगांव में, वहां की गोपियां, बरसाना के गोपों की जमकर धुलाई करती हैं।  


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