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मत्स्य फेस्टिवल में शामिल होकर करें कल्चर से लेकर एडवेंचर हर एक चीज़ को एन्जॉय

वीकेंड में घूमने-फिरने के लिहाज से अलवर शहर रहेगा परफेक्ट, जहां शुरू होने वाला है मत्स्य फेस्टिवल। जहां आप कर सकते हैं संस्कृति से लेकर एडवेंचर हर एक चीज़ को एन्जॉय।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 03:17 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 03:17 PM (IST)
मत्स्य फेस्टिवल में शामिल होकर करें कल्चर से लेकर एडवेंचर हर एक चीज़ को एन्जॉय
मत्स्य फेस्टिवल में शामिल होकर करें कल्चर से लेकर एडवेंचर हर एक चीज़ को एन्जॉय

मत्स्य फेस्टिवल राजस्थान के मशहूर और खास फेस्टिवल्स में से एक है जिसमें आपको मौका मिलता है यहां की संस्कृति से रूबरू होने का। दो दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल में अलग-अलग तरह की प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनी, खेलकूद, लोकगीत और नृत्य की खास झलक आपको मोहित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। जिसमें हिस्सा लेने हर साल हजारों की संख्या में सैलानी आते हैं। इस साल ये फेस्टिवल 25 से 26 नवंबर 2018 को मनाया जा रहा है।

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मत्स्य फेस्टिवल- अलवर की शान

दो दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल में प्रतियोगिताओं में एडवेंचर स्पोर्ट्स खास होता है। पैरासेलिंग से लेकर हॉट एयर बैलूनिंग, जॉरबेलिंग बॉल को आप इस फेस्टिवल में शामिल होकर एन्जॉय कर सकते हैं। इसके अलावा योगा कैंप का भी आयोजन होता है। जिससे फेस्टिवल के दौरान आप सेहत का भी पूरा ख्याल रख सकें।

पारंपरिक और रोचक खेलों का आयोजन

बचपन में खेले जाने वाले रुमाल झपट्टे का खेल मतस्य फेस्टिवल में खास होता है। इसके साथ ही रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में महिलाओं की रस्सा-कस्सी को देखना हास्यपद और बेहद रोमांचकारी होता है। और इसके अलावा तीरंदाजी भी फेस्टिवल का बहुत ही मशहूर खेल है जिसमें स्थानीय लोग हाथ से बनाए हुए धनुष-तीर का इस्तेमाल करते हैं।

अन्य आकर्षण

मतस्य फेस्टिवल में शामिल होकर आप अलवर शहर की खूबसूरती को करीब से देख सकते हैं। अलवर की अलग संस्कृति, खानपान और टूरिस्ट डेस्टिनेशंस देश ही नहीं विदेशी सैलानियों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं। फेस्टिवल के दौरान पुरातत्व प्रदर्शनी धरोहर का भी आयोजन किया जाता है। फेस्टिवल में स्थानीय कलाकारों द्वारा अद्भुत कला का प्रदर्शन वाकई काबिलेतारीफ होता है।

अलवर है राजस्थान का खास टूरिस्ट डेस्टिनेशन

अलवर राजस्थान के खास टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है। जिसकी खूबसूरती को दोगुना करने का काम करते हैं आसपास फैली हरियाली, वाइल्डलाइफ और झरने। इतिहास और कल्चर के मामले में भी अलवर की अपनी अलग ही पहचान है। अलवर को पहले मत्स्य देश के नाम से जाना जाता था।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग

जयपुर का सांगनेर, यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है। जहां से अलवर की दूरी 162 किमी है।

रेल मार्ग

अलवर रेलवे स्टेशन पहुंचकर आप यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं। सभी बड़े शहरों से यहां तक के लिए ट्रेनों की आवाजाही है।

सड़क मार्ग

जयपुर से अलवर की दूरी 151 किमी है वहीं दिल्ली से 158 किमी। राजस्थान के ज्यादातर शहरों से अलवर जुड़ा हुआ है। जहां तक आप अपनी गाड़ी से या कैब और टैक्सी द्वारा भी पहुंच सकते हैं।


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