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मेवाड़ फेस्टिवल आकर देखें उदयपुर की पुरानी और अनोखी विरासत का खूबसूरत नज़ारा

जितना खूबसूरत है उदयपुर उतनी ही अनोखी है यहां की विरासत जिसे आप यहां 6 से 8 अप्रैल तक होने वाले मेवाड़ फेस्टिवल में शामिल होकर देख सकते हैं। और क्या खास होगा इसमें जानेंगे यहां।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 04:31 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 04:31 PM (IST)
मेवाड़ फेस्टिवल आकर देखें उदयपुर की पुरानी और अनोखी विरासत का खूबसूरत नज़ारा
मेवाड़ फेस्टिवल आकर देखें उदयपुर की पुरानी और अनोखी विरासत का खूबसूरत नज़ारा

मेवाड़ फेस्टिवल हर साल उदयपुर, राजस्थान में जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है। उदयपुर में वार्षिक रुप से मनाया जाने वाला यह फेस्टिवल तीन दिनों तक चलता है जिसमें कई सारी एक्टिविटीज देखने को मिलती है। उदयपुर में भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा का नेतृत्व के साथ ही राजस्थान में मेवाड़ की सभी जीवित विरासतों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है। 
उदयपुर का मेवाड़ फेस्टिवल 
उदयपुर में हर साल मनाया जाने वाला मेवाड़ फेस्टिवल यहां के लोगों द्वारा वसंत ऋतु का स्वागत है। जो भारत के विश्व विरासत में शामिल सांस्कृतिक फेस्टिवल है। तीन दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल में कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। उदयपुर में भारत की पुरानी परंपरा और संस्कृति के साथ ही मेवाड़ की भी सभी जीवित विरासतों के संरक्षण के लिए मनाया जाता है यह फेस्टिवल।
कब से कब तक
6 अप्रैल से 8 अप्रैल तक

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फेस्टिवल में क्या होता है खास
कला, पारंपरिक गायन, नृत्य के अलावा सांस्कृतिक विविधता भी इस फेस्टिवल में शामिल होकर देख सकते हैं। इसका आयोजन पचोला झील के किनारे होता है। जो बहुत ही खूबसूरत जगह है। गनगौर के साथ मनाए जाने इस फेस्टिवल को लेकर महिलाओं में अलग ही उत्साह और उमंग देखने को मिलता है। पारंपरिक परिधानों में तैयार हुई महिलाओं को लोकनृत्य करते हुए देखना बहुत ही मजेदार होता है। पेशेवर कलाकारों तरह-तरह की अनोखी कलाओं का प्रदर्शन करते हुए देखे जा सकते हैं। जिनसे स्थानीय कलाओं का सीखा जा सकता है। मेवाड़ की पुरानी ट्रेडिशनल हस्तकला को आगे बढ़ाने के मकसद से सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।    
कैसे मनाते हैं इसे      
इस त्यौहार में यहां की रस्में और परंपरागत गतिविधियों की भागीदारी होती है। लोग भगवान ईसार (भगवान शिव) और माता पार्वती की मूर्ति को कपड़े पहनाते हैं और एक शोभा यात्रा निकालते हैं, जो शहर के अलग-अलग जगहों से होती हुई गनगौर घाट, पिचोला पर पहुंचती है। जहां मूर्ति को विशेष नाव में झील के बीच में पानी में विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। गनगौर का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी को आदर्श जोड़ी मानते हुए, जोड़ियों (पति-पत्नी या प्रेमियों) की मजबूती की मान्यता के साथ मनाया जाता है।  

कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग 
उदयपुर शहर से 22 किमी की दूरी पर महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है। जहां के लिए लगभग हर शहर से फ्लाइट्स की सुविधा मौजूद है। एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी, कैब और बसें अवेलेबल रहती हैं जहां से आप अपने डेस्टिनेशंस तक पहुंच सकते हैं।  
रेल मार्ग 
उदयपुर के लिए लगभग हर बड़े शहर से ट्रेन की सुविधा मौजूद है। अगर आप लक्ज़री ट्रैवल का एक्सपीरियंस लेना चाहते हैं तो महाराजा एक्सप्रेस और पैलेस ऑन व्हील्स आपके स्वागत में हाज़िर है। 
सड़क मार्ग 
प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह की बसें उदयपुर की सड़कों पर दौड़ती हैं। जो काफी कम्फर्टेबल और साफ-सुथरी होती हैं। तो फ्लाइट और ट्रेन के अलावा बस से भी उदयपुर की यात्रा बहुत ही शानदार होगी।


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