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गांधी जी के जीवन और संघर्ष की कहानी बयां करते हैं ये 5 पर्यटन स्थल

गांधी जी को उनके कर्मस्थलों पर जाकर अच्छे से जाना जा सकता है। तो आज चलते हैं ऐसी ही जगहों के सैर पर जो गांधी को इतिहास से जोड़कर देते हैं उन्हें जानने का मौका।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 04:30 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 06:00 AM (IST)
गांधी जी के जीवन और संघर्ष की कहानी बयां करते हैं ये 5 पर्यटन स्थल
गांधी जी के जीवन और संघर्ष की कहानी बयां करते हैं ये 5 पर्यटन स्थल

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती उन्हें याद करने और उन जगहों का भ्रमण करने का अवसर है जिनकी गांधी जी ने यात्राएं कीं, जहां अपना आवास बनाया और जहां से आंदोलनों की शुरुआत की। गांधी जी की कर्मस्थलियों पर जाकर उन्हें और अच्छी तरह से जाना जा सकता है। आज हम आपको लेकर चलते हैं उन कुछ पर्यटन स्थलों के सफर पर जो गांधी को इतिहास से जोड़ते हैं और देते हैं उन्हें करीब से जानने का मौका ..

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पोरबंदर

पर्यटन के लिहाज से पोरबंदर एक खास जगह है। मोहनदास करमचंद गांधी को जानने की शुरुआत आप पोरबंदर से कर सकते हैं। इसका आधुनिक इतिहास महात्मा गांधी से जुड़ा है। इस स्थान को बापू की जन्मस्थली रहा है। पोरबंदर में महात्मा गांधी का बचपन बीता। यहां पर उनसे जुड़ी बहुत सी चीजें हैं। पोरबंदर स्थित कीर्ति मंदिर महात्मा गांधी को समर्पित एक खास स्मारक है। यह मंदिर तीन मंजिला है जिसे एक हवेली के रूप में बनाकर तैयार किया गया है। मंदिर की दिवारों को महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के जीवन को चित्रों के माध्यम से देखा जा सकता है। इससे यह मंदिर एक तरह से संग्रहालय का काम करता है। यहां महात्मा गांधी के जन्म स्थान को स्वास्तिका के साथ चिन्हित किया गया है। शहर में स्थित श्री हरि मंदिर का लगभग 85 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह मंदिर 105 फीट ऊंचा बना हुआ है और इसमें 65 स्तंभ हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और कुदरत की खूबसूरती को करीब से देखना चाहते हैं तो आप पोरबंदर पक्षी अभयारण्य की सैर का प्लान बना सकते हैं। एक वर्ग किमी में फैले यह अभ्यारण्य में फ्लेमिंगो, आईबीएस, कर्ल, फवल्स और टील्स जैसी पक्षी प्रजातियों को देख सकते हैं। पोरबंदर में भी चौपाटी नाम का खूबसूरत तटीय स्थल है।

 

साबरमती आश्रम

अहमदाबाद से गांधी का खास जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे गांधी जी का आश्रम बनाया था जिसे साबरमती आश्रम कहते हैं। इसे देखकर आप गांधी के रहन-सहन के बारे में काफी अच्छी तरह से जान सकते हैं। यहां पर महात्मा गांधी जी और उनकी पत्‍‌नी कस्तूरबा गांधी ने करीब 12 साल बिताए थे। गांधी जी को साबरमती संत नाम से भी बुलाते हैं। बापू ने आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब वे साबरमती में होते थे, तो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे जिसे आज हृदय कुंज कहा जाता है। यहां आज भी उनका डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं। हृदय कुंज के पास नन्दिनी है। जो उनका अतिथि-कक्ष था। यहां पं. जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सी.राजगोपालाचारी, दीनबंधु एंड्रयूज और रवींद्रनाथ टैगोर आदि ठहरते थे। वहीं विनोबा कुटीर है जहां आचार्य विनोबा भावे ठहरे थे। आश्रम में एक उद्योग मंदिर है जहां से चरखे द्वारा सूत कातकर खादी के वस्त्र बनाने की शुरुआत की गई थी। यह 17 जून, 1917 को बन कर तैयार हुआ था। मार्च 1930 में दांडी यात्रा की शुरुआत साबरमती आश्रम से हुई थी।

दांडी

दांडी वह जगह है जहां गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ नमक सत्याग्रह किया था। गांधी जी ने साबरमती से दांडी तक की करीब 268 किलोमीटर की यात्रा की थी। इस यात्रा को उन्होंने करीब 24 दिनों में पूरा किया गया। दांडी अरब सागर के तट पर स्थित गुजरात राज्य का छोटा सा गांव है। गांधी जी द्वारा 12 मार्च, 1930 को चलाए गए नमक सत्याग्रह आंदोलन का इस स्थान से सीधा जुड़ाव है। जहां गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा था आज वह एक परिसर की तरह है। उसमें एक ऊंची पट्टिका बनी हुई है, पास में काले रंग से पेंट की हुई गांधी जी की नमक उठाने की मुद्रा में मूर्ति खड़ी है। यहां ऊंचे चबूतरे पर बनी सैफी विला नामक एक इमारत है, जिसमें गांधी जी आकर रुके थे। अब यह म्यूजियम है, जिसमें गांधी से जुड़ी तस्वीरों का संग्रह है। इसमें चंपारण की मिट्टी से भरा एक कलश रखा है। म्यूजियम में लगी ऐतिहासिक तस्वीरों से होकर गुजरते हुए गांधी को जानने का मौका मिलता है।

नई दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली भी गांधी स्मृति से जुड़े स्थानों में से एक है। यहां गांधी जी को करीब से जानने के लिए कई बड़े स्थल है। बिड़ला हाउस के रूप महात्मा गांधी को समर्पित एक ऐतिहासिक संग्रहालय है। इसी संग्रहालय में गांधी जी ने अपने जीवन के अंतिम दौर के करीब 144 दिन बिताए थे। मृत्यु के बाद राजघाट में ही महात्मा गांधी का समाधि स्थल बनाया गया जहां देश-विदेश के लोग श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आते हैं।

दक्षिण अफ्रीका

दक्षिण अफ्रीका में आज भी गांधी के नाम के आगे लोगों के सर झुक जाते हैं। गांधीजी ने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और उन्हें कई काले कानूनों से मुक्ति दिलाई। जोहान्सबर्ग में उन्होंने एक आदर्श कॉलोनी की स्थापना की, जो कि शहर से बीस मील की दूरी पर थी। उन्होंने इसका नाम टालस्टाय फार्म' रखा। यहां उन्होंने बुनियादी शिक्षा प्रणाली को बड़ी मेहनत से विकसित किया था। दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के सत्याग्रह का ही परिणाम था कि 'भारतीय राहत विधेयक' पास हुआ। इसके अनुसार यहां जन्मे भारतीयों को केप कॉलोनी में रहने का अधिकार मिला और भारतीय पद्धति के विवाहों को वैध घोषित किया गया। गांधी जी ने साउथ अफ्रीका के डरबन, प्रिटोरिया और जोहांसबर्ग में तीन फुटबॉल क्लब स्थापित करने में भी मदद की थी। गांधी जी की याद में जोहांसबर्ग में सत्याग्रह सदन या सत्याग्रह हाउस बनाया गया है, जिसे आमतौर पर गांधी हाउस के रूप में जाना जाता है।


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