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Stay Home Stay Empowered: वीडियो मीटिंग से आपके थकने के ये हैं चार कारण, स्टैनफोर्ड के शोध में खुलासा

वर्क फ्रॉम होम के इस दौर में जूम और अन्य एप्स पर वीडियो मीटिंग काम का अहम हिस्सा बन गई है। पर ज्यादातर लोगों को ये मीटिंग काफी थकाऊ लगती है और उन्हें लगता है कि उनकी दिनभर की ऊर्जा खत्म सी हो गई है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 08:53 AM (IST)
Stay Home Stay Empowered: वीडियो मीटिंग से आपके थकने के ये हैं चार कारण, स्टैनफोर्ड के शोध में खुलासा
वीडियो मीटिंग के दौरान खुद को रियल टाइम में देखना काफी थकान से भरा अनुभव है।

नई दिल्ली, जेएनएन। वर्क फ्रॉम होम के इस दौर में जूम और अन्य एप्स पर वीडियो मीटिंग काम का अहम हिस्सा बन गई है। पर ज्यादातर लोगों को ये मीटिंग काफी थकाऊ लगती है और उन्हें लगता है कि उनकी दिनभर की ऊर्जा खत्म सी हो गई है। पर लोगों को खुद समझ में नहीं आता है कि वे वीडियो मीटिंग में इतने थक क्यों रहे हैं। जूम फटीग शब्द का इस्तेमाल ही कोरोना महामारी के बाद शुरू हुआ है। शोधकर्ताओं ने इस थकान यानी जूम फटिग का कारण खोज निकाला है-

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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध में बताया गया है कि जूम फटिग के चार मुख्य कारण हैं-

1. ज्यादा करीबी और पूरी ताकत से आई कॉन्टैक्ट करना (नजर मिलाकर बात करना)। ऐसा लगता है कि सभी लोग आपको ही देख रहे हैं। यह एहसास लोगों के बीच में मंच पर बोलने जैसा होता है।

2. वीडियो मीटिंग के दौरान खुद को रियल टाइम में देखना काफी थकान से भरा अनुभव है। बहुत सारे शोध बताते हैं कि खुद को दर्पण में देखने के नकारात्मक भावनात्मक परिणाम हैं। इससे बचने के लिए सेटिंग में जाकर हाइड सेल्फ व्यू मोड लगा सकते हैं।

3. लंबे वीडियो चैट से नाटकीय रूप से हमारी मोबिलिटी कम हो जाती है।

4. वीडियो चैट में संज्ञानात्मक भार बहुत अधिक है। बीच-बीच में ऑडियो वनली मोड पर जा सकते हैं।

प्लेटफार्म के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर शोध

प्रोफेसर जर्मी बेलसन स्टैनफोर्ड वर्चुअल ह्यूमन इंट्रैक्शन लैब के निदेशक हैं और इन प्लेटफार्म के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का अध्ययन करते हैं। बेलसन ने बताया कि वे जानना चाहते थे कि लोग वीडियो मीटिंग के दौरान सिर्फ कंप्यूटर के सामने बैठने में इतनी थकान क्यों महसूस कर रहे हैं। यह जानना इसलिए जरूरी है कि वीडियो मीटिंग का ज्यादा इस्तेमाल हर कहीं हो रहा है। पिछले साल सिर्फ मार्च के महीने में दुनियाभर में सिर्फ जूम पर 20 करोड़ वीडियो मीटिंग हुई हैं। अब लॉकडाउन के बाद एक साल बीत चुका है, लेकिन कई कंपनियों में अब भी वर्क फ्रॉम होम जारी है। बेलसन स्टैनफोर्ड वर्चुअल ह्यूमन इंट्रैक्शन लैब के निदेशक हैं और इन प्लेटफार्म के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का अध्ययन करते हैं।

जर्मी बेलसन के मुताबिक, वीडियो कांफ्रेंसिंग दूर-दराज के संचार के लिए बेहद अच्छा माध्यम है, लेकिन जरूरी नहीं कि आप हमेशा इसका इस्तेमाल ही करें। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आंख स्कीन सी चिपकी रहती है और यह थकाऊ है।

बार-बार वीडियो मीटिंग की जगह ये विकल्प आजमाएं-

1. ईमेल करें-अगली बार जब आप वीडियो मीटिंग करने जाएं तो मेल पर पूरी जानकारी दें। इससे वीडियो मीटिंग लंबी नहीं होगी।

2. डायरेक्ट मैसेज करें-किसी को सीधे संदेश भेजने में संकोच न करें।

3. वीडियो रिकार्ड करें-अगर आपको ट्रेनिंग देनी है तो हो सकता है कि आपको कई मीटिंग करनी पड़े, लेकिन आप अपनी ट्रेनिंग का वीडियो बनाकर इस थकाऊ प्रक्रिया से बच सकते हैं।

4. थ्रेड चैट शुरू करें-हर बार स्टेटस जानने के लिए मीटिंग न करें। इसकी जगह आप किसी भी चैट एप पर थ्रेड शुरू कर सकते हैं। सामान्य अपडेट पाने के लिए अपना कीमती वक्त बर्बाद न करें।

5. एफएक्यू डॉक बनाएं-अगर आप को कई सामान्य सवालों के जवाब देने हैं तो कई लोगों से बात करने की जगह एक पेज वाला डॉक बना लें। 


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