World Iodine Deficiency Day: शरीर में आयोडीन के महत्व को समझाने के मकसद से हुई थी इस दिन की शुरुआत
World Iodine Deficiency Day मानसिक मंदता की बड़ी वजह शरीर में आयोडीन की कमी होती है। गर्भवती महिला में आयोडीन की कमी होने से बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। इसी बात को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह दिन मनाया जाता है।
सेहत के लिए आयोडीन एक बहुत ही जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट में से एक है। जो बॉडी के कई सारे फंक्शन्स को नॉर्मल रखने के साथ ही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। आयोडीन की कमी घेंघा रोग की वजह बन सकती है। तो इसी के बारे में लोगों को बताने और जागरूक करने के मकसद से हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है।
विश्व आयोडीन अल्पता दिवस का इतिहास
आयोडीन की कमी से महिलाओं से लेकर बच्चों तक के विकास पर असर पड़ता है। इसकी कमी बौनेपन, मृत शिशु के जन्म और गर्भपात की वजह बन सकता है। तो यही समझाने के उद्देश्य से हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने का उद्देश्य
सबसे पहला उद्देश्य तो लोगों को शरीर के लिए क्यों आयोडीन जरूरी है यही बताना और समझाना है। इसकी कमी से सिर्फ गर्भवती मां और होने वाला बच्चा ही प्रभावित नहीं होता बल्कि ऐसे भी कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- जैसे घेंघा रोग, बच्चों में मानसिक मंदता, अपंगता, गूंगापन, बहरापन आदि। तो आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करना कितना जरूरी है इसकी महत्वता बताना भी इस दिन को मनाने के उद्देश्य में शामिल है।
किस वजह से इतना जरूरी ही आयोडीन
आयोडीन मानव के शरीर और दिमाग दोनों के ही विकास के लिए जरूरी है। शरीर में आयोडीन की पूर्ति भोजन में नमक से मिलता है। मतलब हर दिन एक निर्धारित मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। कम या ज्यादा मात्रा दोनों ही शरीर के लिए नुकसानदायक होती है। आयोडीन की सही मात्रा से तनाव की समस्या नहीं होती। मन शांत रहता है। दिमाग सही तरीके से काम करता है और बाल, नाखून, दांत और स्किन संबंधी परेशानियां भी दूर रहती हैं। लेकिन आयोडीन की पूर्ति के लिए पूरी तरह से नमक पर निर्भर न रहें क्योंकि नमक का बहुत ज्यादा सेवन भी खतरे से कम नहीं।
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