World Braille Day: जानें कब और कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत, साथ ही इसे मनाने का उद्देश्य
World Braille Day 2022 ब्रेल लिपि से आज दुनियाभर में दृष्टिबाधितों की दुनिया बदल रही है। यह लिपि ऐसे बच्चों के लिए वरदान बन रही है जो आंखों से देख नहीं सकते। आज यानि 4 जनवरी का दिन ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जानेंगे इसके बारे में।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर में करीब 39 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते, जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि कोरोना महामारी और उसके परिणामस्वरूप होने वाले तालाबंदी जैसे प्रभावों ने नेत्र विकारों वाले व्यक्तियों की चुनौतियों को बदतर बना दिया है, जिससे वे बहुत ज्यादा अलग-थलग महसूस कर रहे हैं।
कब से हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत?
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 6 नवंबर 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें हर साल 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल के जन्मदिवस को उनके सम्मान में विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।
इस दिन को मनाने का उद्देश्य
वैश्विक स्तर पर इस दिवस को मनाने का उद्धेश्य संचार के साधन के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना, दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करना और ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है।
क्या है ब्रेल लिपि?
ब्रेल लिपि नेत्र विकारों वाले व्यक्तियों और दृष्टि दिव्यांग लोगों के लिए पढ़ने और लिखने की स्पर्शनीय प्रणाली है, जिसकी खोज 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कूपवरे में जन्में लुई ब्रेल ने महज 15 वर्ष की आयु में की थी। ब्रेल लिपि कोई भाषा नहीं है बल्कि एक तरह का कोड है। यह ऐसी लिपि है, जिसे एक विशेष प्रकार के अभरे कागज पर लिखा जाता है और इसमें उभरे हुए बिंदुओं की श्रृंखला पर उंगलियां रखकर या उन्हें उंगलियों से छूकर पढ़ा जाता है। ब्रेल लिपि को टाइपराइटर जैसी दिखने वाली एक मशीन 'ब्रेलराइटर' के जरिए लिखा जा सकता है या 'स्टायलस' और ब्रेल स्लेट 'पट्ट' का इस्तेमाल करके कागज पर बिंदु उकेरकर लिखा जा सकता है। ब्रेल में उभरे हुए बिंदुओं को 'सेल' के नाम से जाना जाता है।
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