Working Women Live Longer: ताउम्र खुश और सेहतमंद रहती हैं कामकाजी महिलाएं!
Working Women Live Longerएक उद्यमी हों या नेता कामकाजी महिलाओं ने तरह-तरह की भूमिका निभाकर मल्टी-टास्कर क्या होता है ये बताया है। घर और ऑफिस में संतुलन बनाए रखना आसान नहीं है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Working Women Live Longer: भारतीय संविधान के निर्माता बी.आर. अम्बेडकर ने कहा था, " मैं किसी समुदाय की प्रगति, उस समुदाय में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति से मापता हूं।" आज, उन्हें भारतीय महिलाओं पर गर्व होगा, जिन्होंने सभी क्षेत्रों में न सिर्फ पुरुषों के साथ कदम मिलाया है, बल्कि कुछ ने अपने पुरुष समकक्षों को भी पीछे छोड़ दिया है।
अंतरिक्ष से लेकर रसोई तक, बीमारियों के इलाज से लेकर पुलों के निर्माण तक, कामकाजी महिलाओं ने अपनी उपस्थिति हर जगह महसूस करवाई है। एक उद्यमी हों या नेता, कामकाजी महिलाओं ने तरह-तरह की भूमिका निभाकर 'मल्टी-टास्कर' क्या होता है ये बताया है। हम मानते हैं कि घर और ऑफिस में संतुलन बनाए रखना आसान नहीं है और यही कामकाजी महिलाओं में थकावट की वजह भी है, लेकिन हमारे पास ऐसी महिलाओं के लिए एक अच्छी ख़बर है। एक नई रिसर्च के मुताबिक ये बात सामने आई है जो महिलाएं जॉब करती हैं उनकी सेहत काफी लंबे समय तक अच्छी रहती है और साथ ही वह खुश भी रहती हैं।
फिट रहती हैं कामकाजी महिलाएं
साल 1967 यानी 36 साल तक चले इस सर्वेक्षण में, उन 5,100 कामकाजी महिलाओं को शामिल किया जिनकी उम्र उस वक्त 30-44 वर्ष थी। इस दौरान इन महिलाओं की 66-80 उम्र तक उनके पेशेवर और व्यक्तिगत प्रगति, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और कई अन्य चीज़ों का अध्ययन किया।
अध्ययन में पाया गया...
इस रिसर्च का दावा है कि कामकाजी महिलाओं की तुलना गृहणियों से की गई तो पाया गया कि जिन महिलाओं ने अपनी अहम उम्र के दौरान 20 साल तक लगातार काम किया और कमाया, उनका ताउम्र शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहा और उन्हें शारीरिक दिक्कतें कम आईं। वही, जिन महिलाओं ने जॉब नहीं किया जैसे कि गृहिणियां, उनकी सेहत में मुश्किलें देखी गईं।
तनाव में कम रहती हैं कामकाजी महिलाएं
जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, कामकाजी महिलाएं न सिर्फ रिटायरमेंट के बाद बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लेती हैं, बल्कि वे अपने गैर-कामकाजी महिलाओं की तुलना में अवसाद की शिकार भी नहीं होतीं।
नकारात्मक काम का अनुभव
इस अध्ययन में उन कामकाजी महिलाओं को भी स्टडी किया गया जिन्हें ऑफिस में लगातार नकारात्मक अनुभव हो रहा था। जो रिसर्चर्ज़ ने पाया उसे जानकर बिल्कुल हैरानी नहीं हुई। रिचर्स में पाया गया कि जो महिलाएं ऑफिस में नकारात्मकता का अनुभव कर रही थीं, उसका असर उनकी सेहत पर पड़ रहा था।
साथ ही, जिन महिलाओं को ऑफिस में भेदभाव का शिकार होना पड़ा, उन्होंने कहा कि उन्हें नौकरी से कम संतुष्टि मिली, उन्हें अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध महसूस नहीं हुआ और उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी गिरावट आई।