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What Is La Nina: क्या है ला नीना, जिसकी वजह से इस बार भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड?

What Is La Nina जनवरी और फरवरी के महीनों में कुछ उत्तरी राज्य विशेष रूप से ठंडे होंगे जहां तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। कड़ाके की ठंड की वजह से कई एशियाई देशों में ऊर्जा संकट भी पैदा हो सकता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 09:56 AM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 09:56 AM (IST)
What Is La Nina: क्या है ला नीना, जिसकी वजह से इस बार भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड?
क्या है ला नीना, जिसकी वजह से इस बार भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। What Is La Nina: प्रशांत महासागर में उभर रही ला नीना की वजह से उत्तर भारत में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। ला नीना मौसम पैटर्न उत्तरी गोलार्ध में सर्द सर्दियों का कारण बनता है। इसकी वजह से भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक ठंडी सर्दियां होने की संभावना है।

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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और फरवरी के महीनों में कुछ उत्तरी राज्य विशेष रूप से ठंडे होंगे, जहां तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। रिपोर्ट में इस बात पर भी ग़ौर फरमाया गया है कि कड़ाके की ठंड की वजह से कई एशियाई देशों में ऊर्जा संकट भी पैदा हो सकता है, जिसमें चीन को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि वे ऊर्जा की खपत के मामले में शीर्ष पर हैं। यह ऐसे वक्त पर हो रहा है जब पैट्रोल और डीज़ल के दाम चरम पर पहुंचे हुए हैं। हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले भारत में ऊर्जा की खपत काफी कम है, क्योंकि ठंड में एयर कंडिशनर का इस्तेमाल भी कम होगा।

ला नीना का प्रभाव अभी से भारत में देखा जा सकता है, देश के कई कई हिस्सों में पिछले कुछ समय से असामान्य रूप से भारी बारिश हो रही है, खासतौर पर उत्तर में पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और विशेष रूप से दक्षिण में तटीय केरल में। लगातार तेज़ बारिश और मॉनसून का लंबे समय तक रहना ला नीना से जुड़ा हुआ है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार को ताज़ा हिमपात के कारण हिमाचल प्रेदश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर में तापमान अभी से शून्य से नीचे जा चुका है।

ला नीना का क्या है मतलब?

स्पैनिश भाषा में ला नीना का मतलब होता है नन्ही बच्ची। नेशनल ओशनिक सर्विस ऑफ नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NIAA) के अनुसार, ला नीना को कभी-कभी एल विएजो या एंटी-एल नीनो भी कहा जाता है।

यह स्थिति तब शुरू होती है जब वातावरण प्रशांत महासागर के ऊपर पानी के ठंडे हिस्से पर प्रतिक्रिया करता है। महीनों से इसके संकेत देखे जा सकते हैं। पैटर्न बनने की संभावना थी, जो दुनिया की दूसरी ला नीना को लगातार चिह्नित कर रहा था।

ला नीना में क्या होता है?

अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के मुकाबिक, अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल नीनो की वजह से तापमान गर्म हो जाता है और ला नीना की वजह से ठंडा। दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई सालों तक भी रह सकते हैं।

ला नीना का मौसम पर असर

ला नीना का चक्रवात पर भी असर होता है। ला नीना अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा बदल सकती है। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी ज़्यादा नमी वाली स्थिति पैदा होती है। इससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। वहीं ,इक्वाडोर और पेरू में सूखे जैसे हालात बन जाते हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है। भारत में इस दौरान भयंकर ठंड पड़ेगी और बारिश भी ठीक-ठाक हो सकती है।


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