Move to Jagran APP

भारत का ट्री मैन, इन्‍होंने एक-दो नहीं 1 करोड़ पेड़ लगाए हैं

पांच जून को विश्‍व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। पेड़ हमारे जीवन का अभिन्‍न अंग हैं। इसको सच कर दिखाया है भारत के 'ट्री मैन' ने जिन्‍होंने एक करोड़ पेड़ लगाए हैं। पढ़ें इनकी कहानी..

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Sat, 03 Jun 2017 03:01 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jun 2017 06:19 PM (IST)
भारत का ट्री मैन, इन्‍होंने एक-दो नहीं 1 करोड़ पेड़ लगाए हैं
भारत का ट्री मैन, इन्‍होंने एक-दो नहीं 1 करोड़ पेड़ लगाए हैं

ट्री मैन ने लगाए 1 करोड़ पेड़

loksabha election banner

तेलंगाना के खमाम जिले के रेड्डीपल्‍ली गांव में रहने वाले दरिपल्‍ली रमैया 'ट्री मैन' के नाम से जाने जाते हैं। 71 साल के रमैया ने अपनी पूरी जिंदगी पेड़ों को संरक्षित करने में लगा दी। केंद्र सरकार ने उन्‍हें पद्मश्री अवार्ड से सम्‍मानित भी किया है। रमैया ने एक-दो नहीं बल्‍िक 1 करोड़ पेड़ लगाए हैं। पहले लोग इन्‍हें 'पागल' कहत थे लेकिन जब आज ग्‍लोबल वार्मिंग का खतरा सामने आया, तब लोगों को रमैया के काम की अहमियत पता चली। बता दें कि उन्‍हें एकेडमी ऑफ यूनिवर्सल ग्‍लोबल पीस ने डॉक्‍टरेट की उपाधि दी है।

जहां जगह दिखती, वहीं लगा देते पेड़

रमैया को पेड़-पौधों के प्रति ये लगाव अचानक नहीं हुआ। पर्यावरण प्रदूषण के चलते जब उनका मन विचलित होने लगा। तब रमैया ने एक नए अभियान की शुरुआत की। वह जेब में बीज और साईकिल पर पौधे रखकर जिले का लंबा सफर तय करते और जहां कही भी खाली भूमि दिखती वही पौधे लगा देते। प्रारम्भ में उन्होंने ऐसा करके अपने गांव के पूर्व और पश्चिम दिशा में चार-चार कि.मी. के श्रेत्र को हरे-भरे पेड़-पौधों से भर दिया, जिनमें मुख्यतः बेल, पीपल, कदंब और नीम के पेड़ हैं। इन पेड़ों की संख्या आज बढ़कर तीन हजार से भी ज्यादा हो गई हैं। 

बच्‍चों की तरह पालते हैं पेड़

पर्यावरण प्रेम से वशीभूत होकर दरिपल्ली रमैया इस कार्य को हमेशा आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सिर्फ वृक्ष लगाने तक ही सीमित नहीं रखी हैं, बल्कि वे स्वयं पेड़-पौधों की देख-रेख भी करते हैं। अगर कोई पेड़ सूख जाए, तो उन्‍हें उतना ही कष्‍ट होता है जितना एक बाप को अपने बच्‍चे की परेशानी देखकर होता है। वह पेड़ों को बच्‍चे की तरह पालते हैं।

600 से ज्‍यादा वृक्षों के बीजों का संग्रह

दरिपल्ली रमैया पेड़-पौधे लगाने वाले एक जुनूनी व्यक्ति भर नहीं हैं। बल्कि वे वृक्षों का चलता-फिरता विश्वकोष हैं। वे पौधों के विभिन्न प्रजातियों, उनके उपयोग और लाभ आदि के विषय में विस्तृत जानकारी रखते हैं। गाँव के बाहर स्थित पुरानी पुस्तकों की दुकानों में पेड़-पौधों से संबंधित कोई भी किताब आती है, तो रमैया उसको जरूर पढ़ते हैं। उनके पास राज्य में पाये जाने वाले 600 से ज्यादा वृक्षों के बीजों का अनूठा संग्रह भी हैं।

पेड़ लगाने के लिए बेच दी तीन एकड़ जमीन

टीन की टोपी पहने रमैया लोगो को हरियाली और वृक्षारोपण के प्रति जागरुक करते रहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि रमैया ने अपनी तीन एकड़ जमीन इसलिए बेच दी थी जिससे वे उन पैसों से बीज और पौधे खरीद सकें। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.