मच्छर कानों में गाना क्यों गाते हैं ? यहां जानिए वजह
ऐसा जरूरी नहीं हैं कि मच्छर आपके कान के पास भनभना रहे हों। वह दूर भी हों तो भी लगता है कि वह कान के पास ही गाना बजाते हैं। मच्छर के लिए ऐसा करना मजबूरी होती है। दरअसल मच्छरों के पंख काफी छोटे होते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। बरसात में मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है। शाम होते ही वो कान के पास आकर गान गाने लगते हैं। यह काफी परेशान करने वाला होता है। अगर आप नींद में हो तो टूट जाती है। कई बार हम उन्हें भगाने के लिए तमाम तरह की तकनीक अपनाते हैं, लेकिन फिर भी वह नहीं भागते। ऐसे में आपके दिमाग में सवाल आता होगा कि आखिर यह मच्छर आवाज क्यों करते हैं? चलिए हम आपको बताते हैं...
छोटे पंख हैं इसकी वजह
ऐसा जरूरी नहीं हैं कि मच्छर आपके कान के पास भनभना रहे हों। वह दूर भी हों तो भी लगता है कि वह कान के पास ही गाना बजाते हैं। मच्छर के लिए ऐसा करना मजबूरी होती है। दरअसल, मच्छरों के पंख काफी छोटे होते हैं। उन्हें उड़ने के लिए काफी तेजी से फड़फड़ना पड़ता है। ऐसे में भनभनाने की यह आवाज आती है। भिनभिन की फ्रीक्वेंसी इतनी होती है कि इसके वाइब्रेशन्स कान के परदों पर महसूस होते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि भनभनाना मच्छरों की फितरत है। वे इसके जरिए लोगों से काफी अच्छे से घुलमिल जाते हैं।
यह भी एक कारण
सिर्फ उड़ने के लिए ही नहीं, मच्छर प्रजनन क्रिया के लिए भी ऐसी आवाज निकालते हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इस बात की खोज की गई। उस वक्त अमेरिका में पीला बुखार फैला हुआ था। उस समय लुइस एम रोथ ने मच्छरों पर शोध किया था। उन्होंने बताया कि नर मच्छर इस आवाज से मादा को लुभातें हैं। वास्तव में जब मादा मच्छर सो रही होती है, तब नर उन्हें परेशान नहीं करते हैं। ऐसे में प्रजनन क्रिया वह उड़ते वक्त करते हैं। भिनभिनाना भी इसी का हिस्सा है।
मादा का खास ख्याल रखते हैं नर मच्छर
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब अमेरिका में पीला बुखार काफी ज्यादा फैल गया था, उस समय लुइस एम रोथ ने मच्छरों पर शोध किया था। उनका कहना था कि नर मच्छर मादा मच्छरों का खास ख्याल रखते हैं। जिस समय मादा मच्छर सो रही होती हैं उस समय परेशान नहीं करते। ऐसे में जब मादा मच्छर उड़ रही होती हैं उस समय नर मच्छर उनके करीब जाते हैं। यह भनभनाहट उनकी तलाश में होती है।