महिलाओं को दुष्कर्म से बचाने के लिए जागरण न्यू मीडिया के सहयोग से सैफ्टी टूलकिट लॉन्च
सैफ्टी (Sayfty) ट्रस्ट ने सोमवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ट्विटर इंडिया यूएन वीमेन और जागरण न्यू मीडिया के सहयोग से महिलाओं के लिए सेफ्टी टूलकिट लॉन्च किया।
नई दिल्ली। यौन शोषण की शिकार महिलाओं को उचित कानूनी, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सैफ्टी ट्रस्ट ने यूएन वीमेन, ट्विटर इंडिया और जागरण न्यू मीडिया के सहयोग से सैफ्टी सर्वाइवर टूलकिट लॉन्च किया है। इस टूलकिट का मकसद महिलाओं को जागरूक बनाकर उन्हें इस तरह के वीभत्स कृत्य से बचाना भी है।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 9 दिसंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों के साथ कई प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर हेल्थ एक्सपर्ट्स से लेकर लीगल एक्टपर्ट्स और मनोवैज्ञानिक समेत कई एक्सपर्ट मौजूद थे।
सैफ्टी (Sayfty) ट्रस्ट की संस्थापक डॉ श्रुति ने कहा कि यह टूलकिट वक्त की मांग है। दुष्कर्म की शिकार महिलाओं को जरूरी संसाधन, सुविधाएं और जल्द न्याय मिलने चाहिए। UN WOMEN प्रोग्राम स्पेशलिस्ट अंजु पांडे ने कहा कि इंडिया डेटा और एनएफएचएस डेटा के अनुसार 31.1 फीसद महिलाओं को घरों में किसी न किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। इस तरह की सबसे अधिक घटनाएं घर में ही होती हैं। उऩ्होंने कहा कि सैफ्टी टूल की भाषा सरल और इसे समझना आसान है।
आइएएस अधिकारी अनुराधा शंकर ने सैफ्टी किट की लॉन्चिंग के लिए श्रुति को बधाई देते हुए कहा कि सभी पुलिस स्टेशनों को सीसीटीएनएस नेटवर्क से जोड़ा जाना चाहिए और पुलिस को ऐसे सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। एफआईआर को ऑनलाइन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में महिलाओं की शिकायत दर्ज नहीं होती है तो उन्हें 1091 पर इसकी जानकारी देनी चाहिए।
जागोरी नामक संगठन की वरिष्ठ सलाहकार सुनीता धर ने कहा कि महिलाओं से जुड़ीं सेवाएं विश्वसनीय होनी चाहिए। अभी 100 नंबर पर डायल करने में भी उन्हें डर लगता है। ऐसे में सबसे जरूरी है विश्वास का संचार करना, क्योंकि पुलिस स्टेशन भी उनके लिए पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। उनके अनुसार, अच्छी शिक्षा, जागरूकता और विश्वास का संचार महिलाओं के लिए सबसे जरूरी है।
नारी एकता शक्ति संगठन की लक्ष्मी वानखेड़े ने कहा कि पहले तक महिलाओं को हिंसा का मतलब नहीं पता था, बोलती नहीं थीं क्योंकि झिझक थी। उन्हें छोटी-छोटी जानकारियों से उसे जोड़ा जाए, इसके लिए सपोर्ट सिस्टम जरूरी है। हमारी टीम ने यह काम करना शुरू किया है। उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को हमारी टीम जानकारी मुहैया कराती है कि वह कैसे उत्पीड़न से उबरें। हमारी टीम उनके साथ पुलिस स्टेशन से लेकर जरूरत पड़ने पर कोर्ट तक जाती है।
विशेषज्ञों ने दुष्कर्म जैसी वीभत्स घटनाओं की शिकार होने वाली महिलाओं के समक्ष उपस्थित कानूनी, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। इन चुनौतियों से उबरने के लिए महिलाओं को उपाय भी बताए गए।
यह टूलकिट दुष्कर्म की शिकार हो चुकी महिलाओं को मानसिक यातनाओं और जटिल न्यायिक प्रक्रियाओं से निपटने के साथ ही चिकित्सकीय और मनोवैज्ञानिक मदद समेत सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराता है।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर को दिल्ली में हुए कुख्यात निर्भया कांड की एनिवर्सी भी है। जागरण न्यू मीडिया इस कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर और ट्विटर इंडिया इसका डिजिटल पार्टनर है। JNM की महिलाओं से जुड़ी वेबसाइट HerZindagi की टीम ने बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में भारत ही नहीं, दुनियाभर में महिलाओं के साथ यौन हिंसा के मामले बढ़े हैं। इसीलिए 25 नवंबर 2019 से अगले दो साल के लिए UNiTE कैंपेन की शुरुआत की गई है। इसके तहत 16 दिन तक महिलाओं से जुड़े मामलों के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी। 2015 में दुनिया के तमाम देशों द्वारा इस मामले में एक नया वैश्विक एजेंडा पर काम करना तय हुआ था। यह एजेंडा 2030 तक के लिए है। इसमें आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण से जुड़े लक्ष्य भी शामिल किए गए हैं।
साल 2019, लिंग-आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिनों की सक्रियता का 28वां वर्ष है, जो दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है। #16Days को 25 नवंबर (महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस) से 10 दिसंबर (मानव अधिकार दिवस) तक मनाया जाता है।