मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने के पीछे सिर्फ परंपरा नहीं, ये भी हैं वजहें
मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य भगवान को समर्पित होता है यह त्यौहार हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार उत्सव उत्तरायण के शुभ महीने की शुरुआत का प्रतीक है।
मकर संक्रांति खुशी एवं हर्षोल्लास का त्योहार है। इस दिन स्नानादि, तिल के दान के साथ-साथ पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। इसी वजह से मकर संक्रांति के त्यौहार को पतंगबाजी का भी त्यौहार कहा जाता है। इस त्यौहार का सांस्कृतिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्त्व भी है। इस त्यौहार के दिन हमें कई तरीके से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। आइए जान लेते हैं जरा इनके बारे में..
सर्दी के मौसम में जुकाम-खांसी जैसी कई बीमारियों से ग्रसित होना शरीर के लिए सामान्य बात है। त्वचा भी रूखी हो जाती है। सूरज की किरणों में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जिससे सर्दी-खांसी ही नहीं रूखी त्वचा की भी समस्या दूर होती है।
पतंगबाजी बच्चों और नौजवानों को सूरज के संपर्क में लाती है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ मिलते है।
1. जब आप सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं तो विटामिन डी का उत्पादन होता है। जो हमारी हड्डियों के लिए बहुत ही जरूरी है।
2. पतंगबाजी एक बेहतरीन दिमाग और शरीर के मेल का व्यायाम वाला खेल होता है। लोग अपनी निगाह उड़ती हुई पतंग पर टिकाए रखते हैं, जिससे देखने की क्षमता में सुधार होता है।
3. पतंगबाजी से हाथ, पैर और आंखों की एक साथ अच्छे तरीके से एक्सरसाइज हो जाती है।
मकर संक्रांति के अलावा और भी कई दूसरे मौकों जैसे- स्वतंत्रता दिवस के दिन भी पतंग उड़ाकर लोग अपनी आजादी का जश्न मनाते हैं। लेकिन मकर संक्रांति सबसे खास मानी जाती है। गुजरात में तो इस अवसर पर काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। जिसमें अपनी पतंगबाजी का हुनर दिखाने दूर- दूर से लोग आते हैं। जो कई दिनों तक चलता है। इसके अलावा जयपुर में भी पतंगबाजी की रौनक देखने को मिलती है। दक्षिण भारत में पोंगल के अवसर पर भी लोग पतंग उड़ाकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं।
(Mr. Goldy Nagdev, Managing Director, Hari Darshan Sevashram Pvt. Ltd से बातचीत पर आधारित)
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