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बेटे की होने वाली है शादी, तो नई जिम्मेदारियों के साथ उसे मानसिक रूप से भी करें तैयार

शादी के बाद लड़कों की भी जि़म्मेदारियां बढ़ जाती हैं। इसके लिए पहले से मानसिक तैयारी बहुत ज़रूरी है। अगर आपका बेटे की शादी होने वाली है तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जानेंगे।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 09:00 AM (IST)
बेटे की होने वाली है शादी, तो नई जिम्मेदारियों के साथ उसे मानसिक रूप से भी करें तैयार
बेटे की होने वाली है शादी, तो नई जिम्मेदारियों के साथ उसे मानसिक रूप से भी करें तैयार

लड़कियों की शादी से पहले उनकी मम्मियां अकसर उन्हें कई नसीहतें देती हैं। शादी तो लड़कों की भी होती है पर उनकी आदतें सुधारने की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता, जबकि लड़कों को भी नई जि़म्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। ऐसे में माता-पिता का यह फर्ज बनता है कि वे युवा हो रहे बेटे के व्यक्तित्व को संवारने में सचेत ढंग से योगदान दें।

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हो स्त्री का सम्मान

अपने बेटे को यह एहसास दिलाना ज़रूरी है कि रोज़मर्रा के व्यवहार में स्त्रियों का सम्मान करना सभ्य पुरुष की पहचान है। इसलिए उसे सभी स्त्रियों को सम्मान देना चाहिए। जब भी ज़रूरत हो उसे खुद आगे बढ़कर उनकी मदद करनी चाहिए। यह आदत शादी के बाद उसे जि़म्मेदार पति और दामाद बनाने में मददगार होगी। यह केयरिंग रवैया उसकी भावी पत्नी को भी पसंद आएगा।

स्मार्ट मनी मैनेजमेंट

पारिवारिक जीवन के शुरुआत में आरामदेह रहन-सहन की बेसिक सुविधाएं जुटाने के लिए पैसों की बहुत ज़रूरत होती है। इसलिए पहली जॉब मिलते ही शादी से पहले लड़कों को बचत एवं निवेश के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि वे उन पैसों का इस्तेमाल अपनी नई गृहस्थी की शुरुआत के लिए कर सकें। लंबी के बजाय छोटी अवधि की योजनाओं में इन्वेस्टमेंट करना सुरक्षित और फायदेमंद साबित होता है। 

संतुलन है ज़रूरी

अपने युवा बेटे को विवाह के कुछ साल पहले से ही यह समझाना बहुत ज़रूरी है कि भविष्य में उसे एक साथ कई नए रिश्तों का निर्वाह करना होगा। शादी के बाद उसकी ज़रूरतें और प्राथमिकताएं भी बदलने लगेंगी। उसे यह एहसास दिलाना ज़रूरी है कि अब अपने पेरेंट्स और भाई-बहनों के अलावा पत्नी का भी खयाल रखना है। इतना ही नहीं उसे पत्नी के माता-पिता और उसके भाई-बहनों के साथ भी कुशल सामाजिक व्यवहार निभाना होगा। इसलिए उसे रिश्तों में संतुलन साधने की कला भी सीखनी होगी।   

सोच हो पॉजि़टिव

नए जीवन की शुरुआत हमेशा सकारात्मक सोच के साथ होनी चाहिए। इसलिए अपने बेटे को हमेशा खुश और शांतचित्त रहने की सलाह दें। किसी भी इंसान के लिए अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह बदल पाना असंभव होता है। फिर भी आप उसे समझाएं कि ईमानदारी से आत्ममूल्यांकन करे। फिर अपनी कुछ गलत आदतों और व्यवहार को पहचान कर उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करे। मसलन, लापरवाही और हर बात पर नाराज़गी जैसी बुरी आदतों में उसे कुछ हद तक बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए।

अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो शादी के बाद आपके बेटे का जीवन खुशियों से भरा रहेगा और नए रिश्तों के साथ एडजस्टमेंट में उसे कोई परेशानी नहीं होगी।

मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ.अशुम गुप्ता से बातचीत पर आधारित        


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