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हम एक साथ मिलकर काम करेंगे, तो हम स्वच्छ भारत भी बनेंगे, आत्मनिर्भर भारत भी बनेंगे - आशुतोष मनोहर

Tetra Pak की पैकेजिंग मुख्य रूप से पेपरबोर्ड पर आधारित एसेप्टिक पैकेजिंग है जोकि एक सड़न रोकने वाली छह लेयर्स पैकेजिंग तकनीक है।

By Rajat SinghEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 12:02 PM (IST)
हम एक साथ मिलकर काम करेंगे, तो हम स्वच्छ भारत भी बनेंगे, आत्मनिर्भर भारत भी बनेंगे - आशुतोष मनोहर
हम एक साथ मिलकर काम करेंगे, तो हम स्वच्छ भारत भी बनेंगे, आत्मनिर्भर भारत भी बनेंगे - आशुतोष मनोहर

Covid-19 के इस दौर में हर तरफ अनिश्चिता का माहौल है। इस दौर में उपभोक्ताओं को कैसी सेवा दी जाए इसके लिए कंपनियां खुद को तैयार कर रही हैं। ऐसी ही एक कंपनी है Tetra Pak, जिसके MD (साउथ एशिया) आशुतोष मनोहर से जागरण टेक के एडिटर सिद्धार्थ शर्मा ने बातचीत की। सिद्धार्थ ने उनसे प्रोसेसिंग और पैकेजिंग इंडस्ट्री के भविष्य, फूड सेफ्टी और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सवाल पूछें। पढ़ें बातचीत के अंश -   

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प्रश्न -  पैकेज्ड या प्रोसेस्ड फूड जिन्हें अक्सर सिर्फ विकल्प के तौर पर देखा जाता था, उसे अब उसकी गुणवत्ता और सेफ्टी के लिए सराहा जा रहा है। इस बदलाव के पीछे क्या कारण हैं?

 उत्तर – सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि लोग पैकेज्ड या प्रोसेस्ड फूड को एक विकल्प के तौर पर क्यों देखते हैं। मुझे लगता है कि लोगों के मन में यह बात बैठी हुई है कि पैकेज्ड फूड्स में ज्यादा चीनी या प्रिजर्वेटिव होते हैं। वो सालों से देखते आ रहे हैं कि जो मुरब्बा और आचार उनकी दादी या नानी बनाती हैं उनमें प्रिजर्वेटिव डाले जाते हैं ताकि वह खराब न हो सके। इसलिए लोगों में धारणा बन चुकी है कि जो कुछ भी लंबे समय तक संरक्षित रहता है, उसमें आवश्यक रूप से किसी प्रकार का प्रिजर्वेटिव पदार्थ डाला जाता है। बात करें Tetra Pak की तो हम फूड सेफ्टी के लिए UHT टेक्नोलॉजी को अपनाते है, इससे फूड कई दिनों तक सुरक्षित रहता है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए आप दूध, जूस या किसी भी तरह के तरल पदार्थ को उच्च तापमान पर जल्दी से (एक सेकेंड से भी कम समय में) गर्म करते हैं। ताकि हानिकारक बैक्टीरिया मर जाये। फिर हम तेजी से उसी पेय पदार्थ को ठंड़ा करते हैं। इस तरह UHT के माध्यम से हम पेय पदार्थ की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।     

बात अगर पैकेजिंग की करें, तो आपको बता दूं कि Tetra Pak की पैकेजिंग   मुख्य रूप से पेपरबोर्ड पर आधारित एसेप्टिक पैकेजिंग है, जोकि एक सड़न रोकनेवाली छह लेयर्स पैकेजिंग तकनीक है। यह अंदर के प्रोडक्ट को नमी, धूल, प्रकाश, हवा आदि से बचाती है, जिससे कि प्रोडक्ट एकदम सुरक्षित रहता है। एसेप्टिक पैकेजिंग के जरिए दूध, जूस या टोमेटो कैचअप जैसे खाद्य या पेय पदार्थ को छह महीने, आठ महीने या एक साल के लिए संरक्षित किया जा सकता है, वह भी बिना प्रेज़रवेटिव के, और उसमें पोषक तत्व भी बरकरार रहते है। 

प्रश्न -  पैकेजिंग फूड के पोषण और टेस्ट को लेकर लोगों में कई तरह की गलतफहमियां है। उस पर आपका क्या कहना है?

    

उत्तर -  आपने बिलकुल सही कहा, यह भ्रांतियां हैं। हम विश्व भर में 3000 से अधिक उत्पादों की पैकेजिंग करते हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है। हमारी टेक्नोलॉजी से प्रोसेस और पैक किये हुए उत्पादों में प्रेज़रवेटिव की ज़रुरत नहीं होती है, और इनमें उतना ही पोषक तत्व होता है, जितना सामान्य दूध या जूस में होता है। हमारी पैकेजिंग का एक और फायदा यह है कि आप कई दिनों तक इनको संरक्षित रख सकते हैं। यह फायदा सामान्य दूध में नहीं मिलता है, क्योंकि उसे कम तापमान पर गर्म किया जाता है। और उसे उस तरह की पैकेजिंग भी नहीं मिलती जैसी Tetra Pak की होती है। इसलिए मैं कहना चाहुंगा कि जो लोग सोचते हैं कि पैकेजिंग फूड में पोषण नहीं होता या वे स्वाद में अच्छे नहीं होते, तो यह पूरी तरह से मिथ है। एक चीज और मैं आपके माध्यम से सभी को कहना चाहुंगा कि जब भी आप मार्केंट में पैकेड वाला कोई भी प्रोडक्ट खरीदें, उस पर लिखी हुई चीज को ध्यान से पढ़ें, कि फूड में किसी भी तरह के प्रिजर्वेटिव या योजक का इस्तेमाल किया गया है या नहीं।

प्रश्न - Covid-19 की वजह से उपभोक्ताओं की आदत में बदलाव आया है। पैकेज्ड फूड को लोग पसंद भी कर रहे हैं। ऐसे में पैकेज्ड फूड इंडस्ट्री का भविष्य आप कहां देखते हैं?


उत्तर – देखिए मैं समझता हूं कि सेफ्टी के लिए पैकेज्ड फूड खरीदने की जो आदत है, उपभोक्ता को उस आदत को बनाए रखना चाहिए। अगर मैं Tetra Pak पैकेजिंग की बात करूं तो इसकी पैकेजिंग के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। कोई अगर यह सोच रहा है कि Tetra Pak के पैक के साथ छेड़छाड़ करके उसमें पानी या कुछ और मिला सकता है, तो यह मुमकिन नहीं है। Covid-19 के दौरान लोगों ने यह महसूस किया कि Tetra Pak की पैकेजिंग वाले प्रोडक्ट को खरीदना काफी सुरक्षित है। इसको न तो कोल्ड चेन टेम्परेचर की आवश्यकता है और न ही कोल्ड चेन ट्रांसपोर्टेशन की। आप उसे रेफ्रिजरेटर के बिना सामान्य कमरे में रख सकते हैं। उसे गर्म करने या उबालने की जरूरत नहीं है। इस तरह हम कह सकते हैं कि अगर आपको Tetra Pak की पैकेजिंग वाले फूड खरीदने की आदत है, तो वह आदत सही है ।  

एक चीज और, हमारे उपभोक्ताओं में सामान्य ग्राहक और महिलाओं के अलावा वो दूरदराज के लोग भी शामिल है, जहां ताजा दूध पहुंचाना संभव नहीं होता। जैसे हम देश के दूरदराज इलाकों में सीमा पर खड़े 13 अलग सेना स्थलों तक  Tetra Pak की पैकेजिंग वाले दूध की आपूर्ति करते हैं। उनमें से कुछ जगह ऐसी भी हैं जो पांच हजार फ़ीट से ज़्यादा ऊंचाई पर स्थित है, जहां का तापमान -40 डिग्री है। तो आप चाहे कश्मीर से कन्याकुमारी जाइए या फिर सिक्किम से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक, आप कहीं भी जाइए आपको पर्याप्त पोषण मिलेगा, वो भी बिना किसी रेफ्रिजरेटर के।

प्रश्न -  खाद्य पदार्थ की बर्बादी भारत सहित पूरे विश्व में एक बहुत बड़ी समस्या है। Tetra Pak कंपनी खाद्य पदार्थ की बर्बादी को लेकर क्या कदम उठाती है?

उत्तर -  भारत में औसतन, किसानों द्वारा उगाया जाने वाला 40% खाद्य पदार्थ बर्बाद हो जाता है। दूध और फल जो वे पैदा करते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा है। तकरीबन 240 करोड़ रुपये की मूल्य के फूड रोजाना बर्बाद होता है। हमारी टेक्नोलॉजी किसान को सक्षम बनाने में मदद करती है। चाहे आप फल या टमाटर के उत्पादक हों या फिर हरी मटर या मक्का के। हमारी तकनीक के जरिए फूड को ज़्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, यानी उसे आज ही बेचने की जल्दी में कम दामों पर बेचने की आवश्यकता नहीं। क्या है कि आम, संतरा या दूध जैसे उत्पादों के सीजन के समय किसान अपने उत्पादों की बिक्री को लेकर काफी दबाव में होता है। हम सोशल मीडिया पर कई वीडियो देखते हैं, जहां किसान वाजिब दाम न मिलने पर निराश होकर दूध को सड़क पर ही उंडेल देता है। क्योंकि उसे पता है कि ये दूध ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकता, इसलिए इस तरह की खाद्य पदार्थ की बर्बादी को रोकने के लिए हमें टेक्नोलॉजी का सहारा जरूर लेना चाहिए। मैं समझता हूं कि यह खाद्य और पेय उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है।        

प्रश्न - वर्तमान महामारी की स्थिति में हर किसी की समस्या है कि फूड या खाद्य पदार्थों को हाथों से न छुआ जाए। इसको लेकर उत्पादक क्या तैयार हैं? आप किस तरह से उपभोक्ताओं को भरोसे में ले रहे हैं? 


उत्तर - जो टेक्नोलॉजी हमारे पास है, उसके जरिए प्लांट में आने वाले दूध और उसे पैकेट में भरे जाने तक, प्रोडक्ट बिलकुल भी हाथ के संपर्क में नहीं आता। प्रोडक्ट एसेप्टिक कंडिशन में और हाई प्रेशर पंप के जरिए एक से दूसरी जगह जाता है। और जहां पैकेजिंग की जाती है, वहां भी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए यह संभव नहीं है कि आप प्रोडक्ट को टच करें। एक और बात मैं कह दूं कि जिस UHT टेक्नोलॉजी को हमने अपनाया है, उस टेक्नोलॉजी के अपने ही मानक है। जब कोई कच्चा पेय पदार्थ जैसे दूध इस टेक्नोलॉजी से होकर गुजरता है, तो उसके लिए यह जरूरी है कि वो शुद्ध हो, उसमें किसी भी तरह की मिलावट न हो और उसे हाथ से छुआ न गया हो। दूसरी बात जब प्रोडक्ट की पैकेजिंग कर दी जाती है, उस दौरान भी प्रोडक्ट पूरी तरह से सुरक्षित रहता है, जब तक कि उसके साथ छेड़छाड़ न किया गया हो।  

प्रश्न - अगर ज्यादा से ज्यादा पैकेजिंग वाले फूड बिकेंगे, तो पैकेजिंग वेस्ट भी बढ़ेगा। इस तरह की स्थिति में आप क्या कदम उठाते हैं और इसमें उपभोक्ताओं को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?


उत्तर - आपने सही सवाल किया है और मैं खुद चाहता था कि हर कोई इस मुद्दे पर बात करे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि Tetra Pak की पैकेजिंग पेपर बोर्ड पर आधारित होती है। लगभग 75% हमारी पैकेजिंग पेपर बोर्ड से बनती है। हमारे पास पेपर बोर्ड आने के बाद हम उसका पैकेजिंग मटेरियल बनाते हैं और हमारे कस्टमर ब्रांड उसे पैक में तब्दील कर के उपभोगताओं तक पहुंचाते हैं। यह पैक वेस्ट न हो उसके लिए हमने पिछले 16 सालों से एक जिम्मेदार कंपनी होने के नाते कई कदम उठाए हैं। हमने पूरे भारत में चार रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित किए हैं- महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तराखंड। 2019-2020 में लगभग 76,000 टन पेपर-आधारित पैकेजिंग वेस्ट रीसाइक्लिंग के लिए बेची कई थी, जबकि हमारे रीसाइक्लिंग सेंटरों की क्षमता इससे दो गुना ज्यादा है। लेकिन दुख की बात यह है कि जो हम पैकेजिंग मटेरियल बेचते हैं, उसमें से 40 -50  प्रतिशत ही रीसाइक्लिंग के लिए वापस आता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोग रीसाइक्लिंग के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। हमें रीसाइक्लिंग को लेकर जिम्मेदार होना होगा। हम सूखे कचरे, गीले कचरे और जैविक कचरे को अलग-अलग रखेंगे, तभी रीसाइक्लिंग में अपना योगदान दे सकते हैं। इसके बाद जिम्मेदारी स्थानीय नगर निकाय की है कि वो अलग किए गए कचरों को इकट्ठा करके रीसाइक्लिंग सेंटरों तक पहुंचाए। इसलिए उपभोक्ता से लेकर रिटेलर तक और स्थानीय निकाय से लेकर कंपनी के मालिक तक, अगर हर कोई अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से समझे, तो देश के किसी भी कोने में कचरा दिखाई नहीं देगा।  

प्रश्न - Covid-19 के बाद आप नए भारत को किस तरह से देखते हैं? 

उत्तर - हम बहुत ही शिक्षित और युवा देश हैं और मैं इस देश के प्रत्येक युवा से उम्मीद करता हूं कि वो आगे आए और सभी ब्रांड्स से उच्च गुणवत्ता की मांग करें। साथ ही साथ कूड़े के निस्तारण के लिए जिम्मेदार भी बनें। अगर युवा देश की सरकार, नेताओं और प्रशासकों से अच्छे प्रदर्शन की मांग करता है, तो उनकी भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपनी तरफ से भी कुछ योगदान करें। यदि हम एक साथ मिलकर काम करेंगे, तो हम स्वच्छ भारत भी बनेंगे, आत्मनिर्भर भारत भी बनेंगे। 

यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।


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