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आलोचनाओं से घबराएं नहीं, जानें उनसे निपटने के ये 5 आसान तरीके

आलोचना से कभी आहत न हों बल्कि उसे चुनौती मानकर आगे बढ़ें। याद रखें अनुचित आलोचना एक तरह से छिपी हुई प्रशंसा है तो जानें कैसे उनसे निपटने के कारगर तरीके।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 12:29 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 12:29 PM (IST)
आलोचनाओं से घबराएं नहीं, जानें उनसे निपटने के ये 5 आसान तरीके
आलोचनाओं से घबराएं नहीं, जानें उनसे निपटने के ये 5 आसान तरीके

दुनिया में एक कायदा सालों से चला आ रहा है और वह यह है कि जब भी आप कोई अलग काम करते हैं तो पहले लोग आप पर हंसते हैं। फिर आपका विरोध शुरू कर देते हैं। वैसे भी संयमी व्यक्ति आलोचना का नकारात्मक प्रभाव अपने ऊपर नहीं पड़ने देता। वह देखता है कि उसकी आलोचना क्यों हुई। तत्पश्चात वह अपनी गलती को सुधारता है और आलोचक को अपना सबसे बड़ा हितैषी मानता है।

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आलोचना से कभी आहत न हों, बल्कि उसे चुनौती मानकर आगे बढ़ें। अपना आत्मनिरीक्षण करें। अपनी गलतियों को तुरंत सुधारें। आप पाएंगे कि आपने जो सोच रखा था उसे आपने बड़ी तेजी से हासिल किया। याद रखें, अनुचित आलोचना एक तरह से छिपी हुई प्रशंसा है। तो आलोचना से घबराएं नहीं, बल्कि मजबूती से अपना सर्वश्रेष्ठ दें।

दें अपना बेस्ट: आलोचना होने के बाद व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से बुरा लगता है। ऐसे में अपने आपको अच्छा महसूस करने की सार्थक पहल भी आपको ही करनी पड़ेगी। अच्छी किताबें पढ़ें। किसी अच्छे मित्र को फोन करें। अपने दिल की बात उससे साझा करें। याद रखें हम अपनी आलोचना को शांति के साथ स्वीकार करते हैं तभी हम बेहतर इंसान बनते हैं। किसी ने सच ही कहा है कि लोगों के साथ आमतौर पर समस्या यही होती है कि वे झूठी प्रशंसा के द्वारा बर्बाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं।

खुद जांचें गलती कहां हुई: कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता। गलतियां सबसे होती हैं। हम उन गलतियों से सीख कर खुद को बेहतर बनाएं। कहा गया है कि असफलता ही व्यक्ति की सबसे बड़ी शिक्षक होती है। मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान से 17 बार युद्ध लड़ा, परंतु हर बार उसे असफलता मिली। उसे यह अच्छी तरह मालूम था कि गलती कहां हो रही है। अंतत: 18वीं बार उसने पूरे प्रयासों से जीत हासिल की।

एकदम से न दें प्रतिक्रिया: अगर कोई परिचित आपकी आलोचना करता है तो उसे बुरा व्यक्ति मानकर एकदम से प्रतिक्रिया देने से बचें। शेक्सपियर ने कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा की गई निंदा सुन लीजिए, पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लीजिए। इससे यही बात सामने आती है कि बेशक आप बेहतरीन इंसान हैं, लेकिन हो सकता है आपमें भी सुधार की गुंजाइश हो। इसलिए शांत रहकर सोचें। फिर अपनी प्रतिक्रिया दें।

भूल जाएं बेमतलब आलोचनाओं को: अगर कोई बेमतलब आपकी आलोचना कर रहा हो तो उसे भूलने में ही बेहतरी है। बेमतलब की आलोचनाओं को अपने व्यक्तित्व पर हावी न होने दें। हेनरी फोर्ड को जिंदगी में कई बार कुटिल आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी इस बात की परवाह नहीं की, बल्कि उन्होंने फोर्ड मोटर कंपनी की नींव रखी। उन्होंने लोगों की आलोचनाओं की कभी परवाह नहीं की। अपने कस्टमर्स की सुनी और उनके सुझाव से फोर्ड ने ऑटोमोबाइल्स व‌र्ल्ड में क्रांति ला दी और कारों को हर सामान्य इंसान तक पहुंचा दिया।

कोई भी नहीं होता परफेक्ट: कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता। अक्सर देखा गया है कि जो स्वयं की आलोचना बर्दाश्त नहीं करते, वे लोग सामने वाले से बातचीत ही बंद कर देते हैं। यह सही नहीं है। अपने डर का सामना करें। इससे आपको लाभ ही होगा। आलोचना यदि रचनात्मक हुई तो आपको अपने अंदर झांकने का मौका मिलेगा ही, आप यह भी जान पाएंगे कि दुनिया में कितने प्रकार के विचार मौजूद हैं। इससे आप अपनी कमजोरियों के बारे में जान पाते हैं और उन्हें अपनी ताकत में बदलने का प्रयास शुरू कर देते हैं।

रेणु जैन


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