Happy Earth Day 2019 : जानिए 22 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल अर्थ डे
Happy Earth Day 2019 Date
नई दिल्ली, जेएनएन। दुनिया भर में 22 अप्रैल को अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को याद दिलाना है कि पृथ्वी और इसका पर्यावरण हमें जीवन प्रदान करता है। इसलिए हमें प्रकृति और धरती के साथ सामंजस्य बिठाने की अपनी सामूहिक जिम्मेदारी समझनी होगी। इस दिन पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया जाता है।
1970 में हुई शुरुआत
22 अप्रैल 1970 को पहला अर्थ डे मनाया गया। इसकी शुरुआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी। 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में तेल रिसाव की भारी बर्बादी को देखने के बाद वे इतने आहत हुए कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ करने का फैसला किया। दरअसल 22 जनवरी को समुद्र में 3 मिलियन गैलेन तेल रिसाव से 10,000 सीबर्ड, डाल्फिन, सील और सी लायन्स मारे गए थे। नेल्सन के आह्नान पर 22 अप्रैल 1970 को लगभग 2 करोड़ अमेरिकी लोगों ने एक स्वस्थ, स्थायी पर्यावरण के लक्ष्य के साथ पृथ्वी दिवस के पहले आयोजन में भाग लिया। हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने प्रदूषण के विरुद्ध प्रदर्शन किया। यह पर्यावरण की जागरुकता को लेकर सबसे बड़ा आयोजन था। पृथ्वी दिवस अमेरिका और दुनिया में लोकप्रिय साबित हुआ।
इसलिए चुनी 22 अप्रैल की तारीख
नेल्सन ने ऐसी तारीख को चुना, जो इस दिवस में लोगों की भागीदारी को अधिकतम कर सके। उन्हें इसके लिए 19-25 अप्रैल तक का सप्ताह सबसे अच्छा लगा, क्योंकि यह न तो परीक्षा थी और न ही वसंत की छुट्टियों का समय होता है।
पृथ्वी दिवस का नाम कैसे पड़ा
"पृथ्वी दिवस या अर्थ डे" का नाम जुलियन कोनिग ने 1969 ने दिया था। इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया। इसी दिन केनिग का जन्मदिन भी होता है। उन्होंने कहा कि "अर्थ डे" "बर्थ डे" के साथ ताल मिलाता है, इसलिए अर्थ डे ठीक रहेगा।
प्रदूषण के खिलाफ लड़ने वालों को मिला मंच
पहले भी पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर लोग फैक्ट्री, पॉवर प्लांट, सीवेज और पेस्टीसाइड्स का विरोध करते थे।लेकिन अर्थ डे ने सबको एक साथ एक मंच पर अपनी बात रखने का मौका दिया।
धरती को बचाना है तो ये पांच बातें याद रखें
1. धरती को सबसे बड़ा खतरा ग्लोबल वार्मिंग से है।धरती के तापमान में लगातार बढ़ते स्तर को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। इसका मुख्य कारण का ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि है। इन गैस में नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन हैं।
2. औद्योगीकरण के बाद कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले 15 सालों में कई गुना बढ़ा है। इन गैसों का उत्सर्जन फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है।
3. विश्व में प्रतिवर्ष 10 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है और यह लगातार बढ़ रहा है।
4. मौसम चक्र में हो रहे लगातार बदलाव से पर्यावरण पर लगातार खतरा मंडरा रहा है । पूरे विश्व में गर्मियां लंबी होती जा रही हैं, और सर्दियां छोटी।
5. पेड़ को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है।