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Gudi Padwa 2021: इन आकर्षक रंगोली डिजाइन से गुड़ी पड़वा पर सजाएं अपना घर

Gudi Padwa 2021धार्मिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने गुड़ी पड़वा के दिन ही सृष्टि का सृजन किया है। इसके चलते गुड़ी पड़वा के दिन भगवान ब्रह्मा की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नाश हो जाते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 10:33 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 10:33 AM (IST)
Gudi Padwa 2021: इन आकर्षक रंगोली डिजाइन से गुड़ी पड़वा पर सजाएं अपना घर
गुड़ी पड़वा के दिन भगवान ब्रह्मा की विशेष पूजा-आराधना की जाती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Gudi Padwa 2021: हिंदी पंचांग अनुसार हर साल चैत माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी पहले दिन को देशभर में गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। इस साल 13 अप्रैल को गुड़ी पड़वा है। गुड़ी पड़वा के दिन से ही हिंदी नववर्ष की शुरुआत होती है। देशभर में इसे कई नामों से जाना जाता है। महाराष्ट्र और गुजरात में गुड़ी पड़वा कहा जाता है। वहीं, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उगादि कहा जाता है।  गुड़ी पड़वा का शाब्दिक अर्थ विजय पताका होता है। इस पर्व को विजय को प्रतीक माना जाता है। इसके लिए लोग गुड़ी पड़वा पर पताका जरूर लगाते हैं। साथ ही घर में रंगोली भी बनाते हैं। आइए, गुड़ी पड़वा के बारे में सब कुछ जानते हैं-

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क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा

धार्मिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने गुड़ी पड़वा के दिन ही सृष्टि का सृजन किया है। इसके चलते गुड़ी पड़वा के दिन भगवान ब्रह्मा की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नाश हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और मंगल का आगमन होता है। इतिहासकारों की मानें तो शालिवाहन नामक राजा ने मिट्टी से सैनिक तैयार किए थे और इनकी मदद से शक को परास्त किया था। इस दिन से शालिवाहन शक की शुरुआत हुई थी।

रंगोली बनाई जाती है

गुड़ी पड़वा के दिन रंगोली बनाने का विधान है। लोग अपने घरों में अलग-अलग डिजाइन्स में रंगोली बनाते हैं। हालांकि, सभी रंगोली में स्वस्तिक चिन्ह की आकृति जरूर होती है। सनातन धर्म में स्वस्तिक चिन्ह का विशेष महत्व है। हर शुभ कार्य में स्वस्तिक चिन्ह जरूर बनाया जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन स्वस्तिक चिन्ह के अलावा कमल फूल, देवी-देवताओं का अनुपम चित्र, आम के पत्ते, कलश आदि आकृतियां भी बनाई जाती हैं। आप इनमें कोई भी आकृति अपने घर के दरवाजे अथवा डायनिंग हॉल (बैठक सभा) में बना सकते हैं। घर की महिलाएं और लड़कियां रंगोली बनाती हैं। संध्याकाल में पूजा-उपासना कर रंगोली के सन्मुख दीप जलाते हैं। इससे घर में सुख और समृद्धि आती है। गुड़ी पड़वा के अलावा दीपावली और होली में भी रंगोली बनाई जाती है।


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