Gama Pehlwan Birthday: रोज़ 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा लीटर घी पीते थे गामा पहलवान, 40 पहलवानों से लड़ते थे कुश्ती
Gama Pehlwan Birthday वैसे तो भारत में एक से बढ़कर एक पहलवान हुए हैं जिन्होंने दुनिया भर में देश का नाम रोशन किया और खूब कामयाबी हासिल की। ऐसे ही एक पहलवान का नाम था गामा पहलवान जिन्हें रुस्तम-ए-हिंद के नाम से भी जाना जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Gama Pehlwan Birthday: भारत में यूं तो कई पहलवान हुए हैं, लेकिन गामा पहलवान का नाम आज भी शीर्ष पर है। आज गूगल ने डूडल के ज़रिए भारतीय पहलवान गामा को सम्मानित किया है, जिन्हें "महान गामा पहलवान" के नाम भी जाना जाता है। हालांकि, आज के ज़माने के बच्चे शायद ही गामा पहलवान के बारे में जानते हों। गामा एक अपराजित कुश्ती चैंपियन थे और उन्हें देश भर में रुस्तम-ए-हिंद के रूप में जाना जाता था। वह 52 साल के अपने करियर में अपराजित रहे और उन्हें अब तक के सबसे महान पहलवानों में से एक माना जाता है।
इस लेख में हम आपको गामा पहलवान के जीवन और समय के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताएंगे। उनका जन्म 22 मई 1878 को जब्बोवाल, (अमृतसर) पंजाब में हुआ था। गामा पहलवान का बचपन मुश्किलों से भरा था। अपने पिता और दादा की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपना जीवन अपने चाचा के साथ बिताया, जो एक पहलवान थे।
तो आइए जानें कौन थे गामा पहलवान?
1. गामा पहलवान ने अपना जीवन अपने चाचा के साथ बिताया था, वे भी एक पहलवान थे।
2. गामा पहलवान को बचपन से ही कुश्ती और व्यायाम में दिलचस्पी हो गई थी।
3. गामा पहलवान दिन में 10 घंटे से अधिक अभ्यास करते थे और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अखाड़े में एक दिन में 40 पहलवानों के साथ कुश्ती लड़ते थे।
4. जब गामा पहलवान 10 वर्ष के थे तब उन्होंने एक प्रतियोगिता में भाग लिया और 400 लोगों के बीच अपनी पहचान बनाते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया।
5. गामा पहलवान ट्रेनिंग के दौरान रोज़ाना 5000 स्क्वॉट और 3000 पुशअप्स किया करते थे।
6. 1890 से 1910 तक गामा पहलवान ने भारत के महानतम पहलवानों से मुकाबला जारी रखा और सभी मुकाबले जीत लिए।
7. गामा पहलवान ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहलवानों को हराकर भारत का गौरव बढ़ाया है।
8. कई दशकों तक मैच खेलने और अपने करियर में पांच हजार मैच खेलने के बाद भी गामा अपराजित रहे।
9. गामा पहलवान रोज़ 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा लीटर घी, डेढ़ लीटर मक्खन, बादाम का शरबत और 100 रोटियां खाते थे।
10. विभाजन के समय गामा पहलवान ने पाकिस्तान में ही रहने का फैलसा किया। उन्होंने वहां हिंसा में कई हिंदू परिवारों की जान बचाई। पाकिस्तान की सरकार ने उनका ध्यान नहीं रखा और अपने जीवन के अंतिम दिनों में वह पैसों की तंगी से जूझते रहे।
11. साल 1960 में 82 की उम्र में उनका निधन हो गया, लेकिन आज भी उनका नाम भारत और पाकिस्तान बेहद सम्मान से लिया जाता है।
गूगल डूडल में क्या दिख रहा है
गूगल डूडल में उन्हें गामा पहलवान का 144वां जन्मदिन मनाने के लिए मजबूती से खड़ा देखा जा सकता है। उनके दाहिने हाथ में चांदी की गदा है। यह गदा उन्हें प्रिंस ऑफ वेल्स ने दी थी।