Gandhi Jayanti Special: बापू के 3 बड़े आंदोलन, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था
Gandhi Jayanti Special वैसे तो गांधी जी ने ऐसे कई काम किए जिससे ब्रिटिशर को नाको चने चबाने पड़े थे लेकिन उनमें ये तीन ऐसे बड़े आंदोलन शामिल हैं जिसने पूरी तरह अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था।
मोहन दास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान है। गांधीजी की सबसे बड़ी विशेषता यही थी कि उन्होंने तब के बिखरे हुए समाज को एकजुट कर स्वतंत्रता प्राप्ति के महायज्ञ में लगा दिया था। बापू के नेतृत्व में यूं तो कई छोटे-बड़े आंदोलन हुए, लेकिन कुछ ऐसे भी आंदोलन थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन और भारतीय समाज की दिशा बदलने का महत्वपूर्ण कार्य किया। आइए, जानते हैं गांधी के 5 बड़े आंदलनों के बारे में...
भारत छोड़ो आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय 9 अगस्त 1942 से शुरू हुआ।
- क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद बापू ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला किया।
- 8 अगस्त 1942 की शाम को मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी क बंबई सत्र में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया गया था।
- उन्हें तुरंत अरेस्ट किया गया, लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के जरिए आंदोलन चलाते रहे।
- पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार की स्थापना कर दी गई थी।
चंपारण आंदोलन
- बिहार के चंपारण में सन् 1917-18 महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। इसे चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
- उस समय अंग्रेज़ों और उनके पिट्ठू जमींदारों द्वारा हजारों भूमिहीन मजदूर और गरीब किसानों को खाद्यान के बजाय नील एवं अन्य नकदी फसलों की खेती करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
- अंग्रोजों के अत्याचार के खिलाफ गांधी ने उस समय चंपारण पहुंचकर इस आंदोलन का शंखनाद किया।
- उन्होंने उस समय जमींदारों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन और हड़तालों को नेतृत्व किया। तब उनके समर्थन में हजारों की संख्या में किसान एकत्रित हो गए थे।
- पुलिस सुपरिटेंडेंट ने गांधी जी को जिला छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने आदेश को मानने से इंकार कर दिया था।
नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च)
- नमक सत्याग्रह गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन में से एक था। इसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है।
- नमक ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 में बापू ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च निकाला था।
- उस दौर में अंग्रोजों ने चाय, कपड़ा यहां तक कि नमक जैसी चीज़ों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था।
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