आपकी ये आदत कई गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकती है।
आजकल सेल्फ मेडिकेशन लोगों की आदतों में शुमार होता जा रहा है बिना विशेषज्ञ की सलाह लिए फार्मासिस्ट को लक्षण बताकर दवाएं लेने की आदत कई गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकती है
अति बढ़ती महंगाई और जानकारियों के लिए इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता की वजह से आजकल सेल्फ मेडिकेशन लोगों की आदतों में शुमार होता जा रहा है। बिना विशेषज्ञ की सलाह लिए फार्मासिस्ट को लक्षण बताकर दवाएं लेने की आदत कई गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकती है। आइए जानते हैं कौन सी दवाओं का अधिक सेवन हमारे शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है।
कफ सिरप
कब होती है ज़रूरत : छाती में जकडऩ, सूखी खांसी, साथ में कफ निकलना, गले मे दर्द और खराश
साइड इफेक्ट : नॉजि़या, सुस्ती, हमेशा नींद आना, याददाश्त में कमी, घबराहट, बेचैनी, हाई ब्लडप्रेशर और दिल की धड़कन का अनियमित होना
क्या करें : बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप न लें। मामूली खांसी से छुटकारा पाने के लिए नमक मिले गुनगुने पानी से गरारा करें। साथ ही अदरक और तुलसी के काढ़े का सेवन भी कारगर साबित होता है।
लैक्सेटिव्स मेडिसिन
कब होती है ज़रूरत : ऐसी दवाएं कब्ज़ दूर करने में मददगार होती हैं। आमतौर पर किसी भी सर्जरी या डिलिवरी के पहले पेट साफ करने के लिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं।
साइड इफेक्ट : अगर लंबे समय तक ऐसी दवाओं का सेवन किया जाए तो इससे डिहाइड्रेशन, पेट में दर्द, लूज़ मोशन, लैक्सेटिव कोलाइटिस, किडनी में स्टोन और हार्ट की मसल्स में कमज़ोरी हो सकती है।
क्या करें : खूब पानी पिएं, रोज़ाना के भोजन में अमरूद और पपीता जैसे फाइबर युक्त फलों और हरी सब्जि़यों को प्रमुखता से शामिल करें। नाश्ते में मैदे से बनी चीज़ों के बजाय स्प्राउट्स, दलिया, उपमा और ओट्स का नियमित रूप से सेवन करें।
एंटीबायोटिक्स
कब होती है ज़रूरत : आमतौर पर बुखार और किसी भी तरह की एलर्जी से होने वाले ज़ुकाम की स्थिति में ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जो बैक्टीरिया, फंगस और ऐसे ही परिजीवियों को नष्ट करके मरीज़ को तत्काल राहत पहुंचाती हैं।
साइड इफेक्ट : ऐसी दवाओं के सेवन से त्वचा में एलर्जी और लूज़ मोशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर लंबे समय तक इनका सेवन किया जाए तो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है क्योंकि इनके प्रभाव से नुकसानदेह वायरस और बैक्टीरिया अपना रेजिस्टेंस डेवलप कर लेते हैं, जिससे उन पर दवाओं का कोई असर नहीं होता। साथ ही एंटीबायोटिक्स के प्रभाव से शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे पाचन संबंधी गड़बड़ी भी हो सकती है।
पेन किलर
कब होती है ज़रूरत : जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, किसी भी दुर्घटना में चोट लगने, कटने या जलने की स्थिति में व्यक्ति को पेन किलर दिया जाता है।
साइड इफेक्ट : जी मिचलाना, गैस की समस्या, पेट दर्द और लूज़ मोशन आदि। इन दवाओं में कुछ ऐसे एडिक्टिव तत्व मौज़ूद होते हैं कि लंबे समय तक सेवन करने वाले लोगों को इनकी लत लग जाती है। ऐसी दवाएं लिवर और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनसे शरीर में हेमरेज होने का भी खतरा होता है।
नोट : आकस्मिक रूप से तकलीफ होने पर कभी-कभी ऐसी दवाएं लेने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन हमेशा अपने मन से दवाएं लेने की आदत नुकसानदेह साबित हो सकती है।
प्रस्तुति : विनीता
इनपुट्स : डॉ. संजय के. राय, प्रोफेसर, सेंटर ऑफ कम्यूनिटी मेडिसिन, एम्स, दिल्ली