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Bhagat Singh Birth Anniversary: अमर शहीद भगत सिंह के वे 10 अनमोल विचार, जो हैं सबके लिए प्रेरणा स्रोत

Bhagat Singh Birth Anniversary अमर शहीद भगत सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने मौत को भी हंसकर गले लगाया था। जब अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च 1930 ई. को उन्हें फांसी पर लटका दिया था। क्रांति केवल उनके मन में नहीं थी बल्कि उनकी कलम में भी थी।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 10:14 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 10:14 AM (IST)
Bhagat Singh Birth Anniversary: अमर शहीद भगत सिंह के वे 10 अनमोल विचार, जो हैं सबके लिए प्रेरणा स्रोत
क्रांति केवल उनके मन में नहीं थी, बल्कि उनकी कलम में भी थी

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Bhagat Singh Birth Anniversary: देश के महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की आज  जयंती है। आज के दिन यानी 28 सितंबर, 1907 ई. उनका जन्म हुआ था। अमर शहीद भगत सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। जबकि बचपन से ही निडर और साहसी थे। उन्होंने मौत को भी हंसकर गले लगाया था। जब अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च, 1930 ई. को उन्हें फांसी पर लटका दिया था।  महज 23 वर्ष की आयु में उन्होंने जग जीत लिया। क्रांति केवल उनके मन में नहीं थी, बल्कि उनकी कलम में भी थी। आइए भगत सिंह की जयंती पर उनके 10 अनमोल विचारों को जानते हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं और युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं-

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1.

“इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं, तो इंक़लाब लिख जाता हूं।”

2.

“जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।”

3.

“किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।”

4.

“क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।”

5.

“क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है – बेरहम निंदा तथा स्वतंत्र सोच।”

6.

“सीने पर जो ज़ख्म हैं, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।”

7.

“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है।”

8.

“जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए । मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन मेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है । मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता ।”

9.

“बुराई इसलिए नहीं बढ़ रही है कि  बुरे लोग बढ़ गए है बल्कि बुराई इसलिए बढ़ रही है क्योंकि बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ गये है।”

10.

“इंसान का कर्तव्य है कि वह कर्म और प्रयास करें । जबकि सफलता वातावरण और मौके पर निर्भर करती है।”


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