अकेलापन शारीरिक सेहत के साथ मानसिक सेहत के लिए भी नुकसानदेह
जिंदगी में कभी-कभी अकेलापन महसूस होना एक सामान्य बात है। यदि कभी-कभार अकेलापन सताता है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है लेकिन अक्सर महसूस होने लगे तो यह शारीरिक सेहत के साथ मानसिक सेहत के लिए भी नुकसानदेह होता है।
डा. अदिति गुप्ता। मौजूदा दौर में बहुत सी लड़कियां व महिलाएं घर-परिवार से दूर दूसरे शहर में काम कर रही हैं। इनमें से कुछ तो खुशी-खुशी जीवनयापन करती रहती हैं, जबकि कुछ अकेलेपन की समस्या से प्रभावित हो जाती हैं। यही नहीं कई बार ऐसा भी होता है कि परिवार के साथ रहते हुए भी अकेलापन महसूस होने लगता है। परिवार या दोस्तों के साथ होने के बावजूद यदि आपको यह महसूस होता है कि मेरी कोई कद्र नहीं करता है या मेरी भावनाओं को कोई नहीं समझता है तो भी आप अकेलापन महसूस करने लगती हैं। अकेलापन महसूस करने के वैसे तो बहुत से कारण होते हैं।
फिर भी कुछ मुख्य कारण हैं, जैसे किसी प्रियजन का निधन, दूसरे शहर में शिफ्ट होना खासकर जहां आपकी जान-पहचान का कोई न हो या किसी रिश्ते में मनमुटाव आ जाना या किसी रिश्ते का समाप्त हो जाना आदि-आदि। कई स्थितियों में अकेलापन हमारी मानसिक स्थिति से भी जुड़ा होता है तो कई बार आत्मविश्वास कमजोर होने पर भी हमें अकेलापन सताता रहता है। यदि कभी-कभार अकेलापन सताता है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है, लेकिन अक्सर महसूस होने लगे तो यह न केवल शारीरिक सेहत के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह होता है। कई शोध-अध्ययनों से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि अकेलापन हमें उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है, जितना कि हानिकारक पदार्थों का सेवन। अकेलेपन से उबरने के लिए जरूरी है कि आप उन स्थितियों पर गौर करना शुरू करें, जिनकी वजह से आपको अकेलापन सताता है।
भावनाओं को दबाएं नहीं
अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश न करें न ही अपनी ऊर्जा इस बात में खर्च करें कि आप अकेलापन महसूस कर रही हैं। हममें से हर कोई कभी न कभी अकेलापन महसूस करता है। अकेलापन महसूस करने का अर्थ बिल्कुल नहीं है कि आप किसी से कमजोर हैं या आपमें योग्यता की कमी है। अकेलापन महसूस करने का मतलब है कि आप एक संवेदनशील इंसान है। बस अकेलेपन को अपने पर हावी न होने दें।
मदद के लिए बढ़ाएं हाथ
अपने लिए जिए तो क्या जिए... यह गाना तो कभी न कभी आपने सुना ही होगा। इसलिए केवल अपने लिए ही न जिएं। दूसरों की भी मदद करें। कई बार हमें दूसरों की मदद करने पर जो खुशी हासिल होती है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती या यह कहें कि इस बात को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है। जाहिर है जब आप किसी की मदद करती हैं तो संबंधित व्यक्ति से आपका जुड़ाव भी बढ़ता है। दूसरों की मदद करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपके पास पैसों की अधिकता हो या संसाधन बहुत हों। यह भी जरूरी नहीं है कि आप किसी की पैसों से ही मदद करें। बस मन में भावना होनी चाहिए मदद करने की। इसके लिए आप किसी गैर सरकारी संगठन से जुड़ सकती हैं, जो बच्चों की शिक्षा या लोगों की मदद करने का काम कर रहा हो। किसी वृद्धाश्रम या अनाथालय जाकर वहां रह रहे बुजुर्गों और बच्चों से बात करके उन्हें खुशी दे सकती हैं और स्वयं भी खुश रह सकती हैं। चाहें तो बेजुबानों की मदद करने वाले किसी संगठन से जुड़कर बेजुबानों की मदद कर सकती हैं।
बात करने से बात बनेगी
अकेलेपन से उबरने के लिए जरूरी है कि अपने से जुड़े लोगों से बात करें। चाहे वे स्वजन हों या नए-पुराने दोस्त हों या दूरदराज के रिश्तेदार। आप चाहें तो स्कूली या कालेज के दिनों के दोस्तों को भी फोन कर सकती हैैं। आप अपने पुराने पड़ोसियों या साथ काम कर चुके लोगों से भी बातचीत कर सकती हैं।
शौक बड़ी चीज है
चाहे आप कितनी भी व्यस्त क्यों न रहती हों, अपने शौक को पूरा करने के लिए प्रतिदिन थोड़ा सा समय अवश्य निकालें। चाहे आपको गीत-संगीत का शौक हो, पेंटिंग का शौक हो, बागवानी का शौक हो, खाना बनाने का शौक हो या कोई अन्य शौक हो। कई शोध-अध्ययनों से यह प्रमाणित हो चुका है कि अपने शौक को समय देने से अकेलेपन की समस्या से राहत मिलती है साथ ही आपका मूड अच्छा रहता है। यदि आपको यह महसूस होता है कि आपके अंदर किसी प्रकार कोई शौक नहीं है तो अपने अंतर्मन को टटोलिए। मन के किसी कोने में कोई न कोई शौक दबा जरूर होगा, बस उसे बाहर निकालने की जरूरत है।
अच्छी साथी हैं किताबें
अकेलापन दूर करने के लिए आप अपनी पसंद की किताबें पढ़ सकती हैं। आप चाहें तो महापुुरुषों की जीवनी या मोटिवेशनल किताबें भी पढ़ सकती हैं। किताबों के जरिये अकेलापन दूर करने में काफी मदद मिलती है। किताबें पढऩे से आपको यह भी पता लगता है कि सफल लोगों ने जीवन में सफलता किस प्रकार से प्राप्त की है। किताबें पढऩे के लिए आप इन्हें बाजार से या आनलाइन खरीद सकती हैं या फिर इन्हें आप मोबाइल, लैपटाप, बुकरीडर आदि किसी भी माध्यम के जरिए पढ़ सकती हैं। किताबें पढऩे से मन नहीं विचलित होता है साथ ही अकेलेपन से उबरने में मदद मिलती है।
नया सीखना जरूरी है
किसी ने सही कहा है कि कई बार ऐसा होता है कि अगर जिंदगी एक बंधे-बंधाये ढर्रे पर चलती रहे तो भी जीवन में नीरसता आने लगती है। धीरे-धीरे यही नीरसता अकेलेपन की ओर बढऩे लगती है। इसलिए जिंदगी में कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए। आप चाहें तो गीत-संगीत की कोई विधा सीख सकती हैं। नए पकवान बनाना सीख सकती हैं। मेकअप करना सीख सकती हैं। फिटनेस के गुर सीख सकती हैं। इनडोर या आउटडोर गेम सीख सकती हैं। बागवानी करना सीख सकती हैं। आप चाहें तो कोई ऐसा कार्य करना भी सीख सकती हैं जिसे सीखने में आपको आनंद आए।
यदि सभी प्रकार के उपाय अपनाने के बाद भी आपको अकेलेपन से राहत नहीं मिल रही है या आपको कोई उपाय नहीं सूझ रहा है तो अकेलेपन से निपटने के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। इसके लिए किसी मनोचिकित्सक, मनोविज्ञानी, थेरेपिस्ट या काउंसलर की मदद ले सकती हैं।