Ahoi Ashtami 2019: अहोई अष्टमी व्रत से पहले जान लीजिए नियम, सही पूजा विधि और व्रत कथा
Ahoi Ashtami 2019 Vrat Puja Vidhi And Significance बेटे की खुशहाली की कामना रखने वाली माताएं 21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी।
नई दिल्ली, आचार्य ज्योतिवर्धन साहनी। Ahoi Ashtami 2019 Vrat Puja Vidhi And Significance: बेटे की खुशहाली की कामना रखने वाली माताएं 21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी। इस बार यह पर्व सोमवार के दिन होने के चलते विशेष महत्व रखने वाला बन गया है। मान्यता है कि करवाचौथ व्रत रखने के बाद पुत्र की दीर्घायु व प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए माताएं कार्तिक कृष्ण पभ की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत रखती है।
पुत्र की कुशलता के लिए व्रत
हिंदू मान्यताओं के अनुसार करवाचौथ की तरह ये भी बहुत ही कठिन व्रत है व कई मायनों में दोनों में समानताएं हैं। पुत्रवती महिलाएं विशेष रूप से इस व्रत पर्व को पूरी श्रद्धा व विधि-विधान से मनाती हैं। प्राचीन काल में ये व्रत केवल पुत्र के लिए किया जाता था, परंतु आजकल ये कन्या संतान की दीर्घायु के लिए भी रखा जाता है।
अन्न जल त्यागना परंपरा
अनहोनी से बचाने वाली माता पार्वती की पूजा इस व्रत में की जाती है। एक दिन के इस व्रत में सूर्योदय से ही अन्न व जल त्यागकर दिनभर माताएं उपवास रखती है। शाम को तारे दिखाई देने के बाद तारों को जल से अर्घ्य देने के बाद होई का पूजन किया जाता है। फिर मिष्ठान, मठरी और अन्य मेवा सामग्री दान करने के बाद माताएं भोजन करती हैं।
माता पार्वती से प्रेरित
पहले के समय में होई गेरू, चूना, रंगों के द्वारा दीवार पट बनाई जाती थी, परंतु आजकल कागज के ऊपर चार्ट पेपर वे कपड़े के ऊपर अति सुंदर रंगीन चित्रों से होई उपलब्ध होती है,जिसे दीवार पक टांगकर पूजा की जाती है। माता पार्वती के अहोई माता के रूप में रखे जाने वाले इस व्रत को कार्तिक मास की कुष्ण अष्टमी पर रखे जाने के कारण अहोई अष्टमी के नाम से जाना जाता है। कुछ परंपराओं के तहत माताएं गोबर से लीपकर कलश भी तैयार करती हैं। मान्यता है कि देवी पार्वती को अनहोनी की होनी में बदलने वाली माता अर्थात अहोई माता के रूप में पूजा जाता है।
पूजा विधि और मुहूर्त
इस वर्ष पूजा का समय शाम 7.38 मिनट से लेकर शाम 8.10 मिनट तक रहेगा। इस वर्ष पार्वती के पति शिव के दिन सोमवार को अहोई अष्टमी का अद्भुत योग पड़ रहा है। सोमवार होने से इस बार इस दिन माता पार्वती की विशेष अनुकंपा रहेगी।
संतान प्राप्ति का सुख
अहोई अष्टमी का व्रत उन परिवारों के लिए भी अतिशुभ है जिनकी कोई संतान नहीं है। ऐसी महिलाएं को पूरी श्रृद्धा सो अहोई माता का व्रत रखना चाहिए, अहोई माता के आशीर्वाद से उनकी गोद जल्द भर जाएगी। इसे लोग कृष्णा अष्टमी के नाम से भी जानते हैं। वर्षों से बड़ी संख्या में लोग मथुरा के राधा कुंड में पवित्र स्थान पर अहोई अष्टमी मनाते हैं।