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भारत में आजीविका के लिए जूझ रहे 65 फीसदी बुजुर्ग

हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों को तीन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें स्वास्थ्य से जुड़ा जोखिम आजीविका से जुड़ी परेशानी और सोशल आइसोलेशन शामिल है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 05:27 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 05:27 PM (IST)
भारत में आजीविका के लिए जूझ रहे 65 फीसदी बुजुर्ग
भारत में आजीविका के लिए जूझ रहे 65 फीसदी बुजुर्ग

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कोरोना की वजह से 65 फीसदी बुजुर्ग अपनी आजीविका के लिए जूझ रहे हैं। यह बात हेल्पएज इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है। हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों को तीन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें स्वास्थ्य से जुड़ा जोखिम, आजीविका से जुड़ी परेशानी और सोशल आइसोलेशन शामिल है।

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हेल्पइंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर द एल्डर स्टोरी : ग्राउंड रियलिटी कोविड-19 के दौरान जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि भारत में कोई यूनिवर्सल सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है ऐसे में बुजुर्गों को अपनी

आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हेल्पएज इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर रोहित प्रसाद ने कहा कि  रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्गों के लिए सरकार को बेहतर एक्शन प्लान बनाने, समाज और परिवार के सहयोग की आवश्यकता है।

62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि 62 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि लोग डायबिटीज, अस्थमा, कैंसर, हाइपरटेंशन आदि जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं। 42 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि कोरोना के दौरान उनकी तबियत ज्यादा खराब हुई है। इसमें से 64 फीसदी बुजुर्ग ग्रामीण क्षेत्रों से जबकि 36 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों से ताल्लुक रखते थे। 78 प्रतिशत बुजुर्गों का कहना है कि लॉक़डाउन की वजह से उनके सामने आवश्यक सामानों और सुविधा पाने की चुनौती थी। ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्गों ने कहा कि 84 फीसदी बुजुर्गों के समक्ष आवश्यक सामानों जैसे कि खाने की सुविधा, ग्रोसरी और दवाईयां, डोमेस्टिक हेल्प, बैंकिंग सुविधाओं को पाने की चुनौती थी। 61 प्रतिशत बुजुर्गों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने खुद को सोशल स्तर पर आईसोलेशन में पाया। यह सर्वे 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया।

कोरोना के लक्षणों के बारे में थी जानकारी

सर्वे में एक बेहतर बात भी सामने आई कि 91 प्रतिशत बुजुर्ग कोरोना के लक्षणों के बारे में वाकिफ थे। जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो 52 प्रतिशत ने यह कहा  कि उन्हें यह जानकारी अपने परिवार और रिश्तेदारों से मिली। वहीं बुजुर्गों के डिजिटल तौर पर अक्षम होने की जानकारी सामने आई।

बुजुर्गों में था ये डर

बुजुर्गों में ये डर देखने में आया। 38 प्रतिशत बुजुर्गों ने यह माना कि उन्हें किसी अन्य से इंफेक्शन होने का डर है। साथ ही आय समाप्त होने का भय है। 34 प्रतिशत लोगों को काम न मिलने, आय कम होने और भूख का भय है। 12 प्रतिशत को ट्रेवलिंग, कम्युनिटी स्प्रेड और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र का डर है।

ये हैं बुजु्र्गों के सबसे बड़े डर

- कोरोना, सोशलाइजेशन और आय़ का कम होना

-आर्थिक घाटा, भूख औऱ काम का न होना

- स्वास्थ्य, बैचेनी और बच्चों की पढ़ाई

-ट्रेवलिंग, कम्युनिटी स्प्रेड और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र

ये उपाए सुझाव

-आर्थिक सहायता, दवाई और पेंशन

-हेल्थ चेकअप, कोरोना स्क्रीनिंग

-मास्क सेनेटाइजर

-राशन, मेडिसिन, पेंशन

-सोशल पेंशन, डोर टू डोर डिलीवरी गुड्स


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