UNESCO Heritage List: यूनेस्को की हेरीटेज लिस्ट में जगह बना सकती है 2000 साल पुरानी मशहूर थाई मसाज
UNESCO Heritage List नुअद थाई मालिश का एक रूप है जो पिछले 2000 सालों से थाईलैंड के इतिहास का हिस्सा रही है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Thai Massage To Enter UNESCO Heritage List: थाईलैंड की मशहूर 2000 साल पुरानी मसाज, नुआद थाई, जल्द ही यूनेस्को की प्रतिष्ठित हैरिटेज लिस्ट में शामिल हो सकती है। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति आजकल कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में एक बैठक कर रही है और 14 दिसंबर को अपने फैसले की घोषणा करने वाली है।
नुअद थाई मालिश का एक रूप है जो पिछले 2,000 सालों से थाईलैंड के इतिहास का हिस्सा रही है। हालांकि, इसके बारे में 1962 में ही जाना गया, जब रेक्लाइनिंग (लेटे हुए) बुद्धा के स्कूल की शुरुआत की गई थी। रेक्लाइनिंग (लेटे हुए) बुद्धा स्कूल, वॉटफो मंदिर के कॉम्प्लेक्स के अंदर है। यहां दो लाख से ज़्यादा मसाज देने वाले स्पेशलिस्ट हैं। कई सालों की अनुभव के बाद अब ये 145 देशों में प्रैक्टिस करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि थाई मसाज भारत में ओरिजिनेट हुई थी और लगभग 2,500 साल पहले इसे थाईलैंड में डॉक्टरों और भिक्षु लेकर आए थे, जिन्होंने इसके रहस्यों को पीढ़ियों तक पहुंचाया। उन्नीसवीं शताब्दी में थाईलैंड के राजा राम III के तहत, विद्वानों ने वाट फ़ो (एक बौद्ध मंदिर परिसर) के पत्थरों पर अपने ज्ञान को उकेरा था।
नुअड थाई, मालिश का एक तीव्र रूप है जिसमें अंगूठे, कोहनी, घुटनों और पैरों की मदद से शरीर को अच्छी तरह खींचा और घुमाया जाता है। ये मसाज शरीर के कई ऐक्यूपंचर पॉइंट्स को टार्गेट करती है, जिससे ब्लड सर्कूलेशन बेहतर होता है। इसका उद्देश्य मांसपेशियों के दर्द को ठीक करना भी है।
रेक्लाइनिंग बुद्धा स्कूल के डायरेक्टर, प्रीडा टैंगटरॉन्गचित्र ने कहा, एक थाई मालिश प्रशिक्षण ने कई लोगों को थाईलैंड में नौकरियों की कमी से लड़ने में मदद की है, " कई लोग जो विकलांग हैं या कर्ज़ में हैं, उनके लिए यह नौकरी एक अवसर है क्योंकि इसके लिए किसी सामग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती है, सिर्फ उनके हाथों की और ज्ञान की ज़रूरत होती है।"
थाई मसाज अब पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी है। इस मसाज के स्पेशनिस्ट लंदन से लेकर नई दिल्ली तक मौजूद हैं।