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Yoga & Music: निरोगी जीवन का मंत्र है योग और संगीत...

एक-दूसरे के पूरक विभिन्न शोध अध्ययनों में कहा गया है कि संगीत सुनने या गुनगुनाने से आपकी मानसिक स्थिति बेहतर होती है जबकि योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 12:47 PM (IST)
Yoga & Music: निरोगी जीवन का मंत्र है योग और संगीत...
Yoga & Music: निरोगी जीवन का मंत्र है योग और संगीत...

21 जून का दिन खास है, क्योंकि इस दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और विश्व संगीत दिवस दोनों मनाए जाते हैं। दोनों मिलकर न सिर्फ मानसिक शांति और संबल प्रदान करते हैं, बल्कि कोरोना को हराने के लिए ज़रूरी रोग प्रतिरोधक क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। संगीत जगत से जुड़े कलाकार मानते हैं कि योग और संगीत साधना है। एक-दूसरे के पूरक विभिन्न शोध अध्ययनों में कहा गया है कि संगीत सुनने या गुनगुनाने से आपकी  मानसिक स्थिति बेहतर होती है, जबकि योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है। संगीत और योग के मेल पर भजन गायक अनूप जलोटा का कहना है कि कमज़ोर इंसान गाना नहीं गा सकता है। इसके लिए स्वस्थ शरीर के साथ सांसों का साथ देना भी ज़रूरी है। 

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योग के कुछ आसन आपकी सांसों को मज़बूत बनाते हैं। मैं कितना ही व्यस्त क्यों न रहूं, रोज़ाना एक से डेढ़ घंटे योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन करता हूं। यह मेरी संगीत साधना का अहम हिस्सा हैं। 

मिलकर बनाएंगे पृथ्वी सुरक्षित

संगीत और योग का मेल संतुलित मस्तिष्क और जीवन के लिए ज़रूरी है। योग संगीत जगत के जुड़े हुए लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा है। कैलाश खेर का कहना है कि संगीत और योग ही हैं, जो पृथ्वी को बचाएंगे। दवाओं से तो शारीरिक रोग दूर होते हैं, लेकिन मानसिक रोग तो योग से ही दूर होंगे। कोरोना संकट काल में उपजे तनाव से दूरी बनाए रखने में संगीत एक मज़बूत सहारा रहा है। सुख की घड़ी हो या दुख की संगीत हमारे जीवन का पूरक रहा है। पुराने गानों में समर्पूण दिखता था, जैसे कोई आराधना हो रही हो। प्रेम को हल्के में नहीं लिया जाता था। मेरे गानों में आध्यात्म की झलक है। आध्यात्मिक संगीत थेरेपी की तरह होता है। आप उसमें रम जाते हैं। 

संगीत और योग आपके तनाव को दूर कर देते हैं। मेरे घर में योग का माहौल है। सामंजस्य से होती साधना पूरी 

गौर करें तो योग और संगीत दोनों के लिए माहौल भी कमोबेश एक समान होता है। इस संबंध में गायिका शिल्पा राव कहती हैं कि संगीत हो या योग दोनों ही साधना हैं। उन्हें आपको एकाग्रचित होकर करना होता है। दोनों ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और आपको प्रसन्न रखते हैं। ये आपमें ऊर्जा का संचार करते हैं। आपके बिगड़े मूड को भी बना देते हैं।  

संगीत में स्वरों की शुद्धता पर 

ज़ोर दिया जाता है, वहीं योग में आसन व मुद्राओं पर ध्यान केंद्रित रहता है। दोनों में ही स्वर व मुद्रा की श्रेष्ठता से आनंद और स्वास्थ्य पाया जा सकता है। इस दृष्टि से दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। संगीत में एक ही स्थान 

पर साधना करने के लिए शरीर, मन व मस्तिष्क पूर्ण स्वस्थ होना चाहिए। उसमें योग अहम भूमिका निभा सकता है। योग से शरीर, मन, मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। 

तन-मन की शुद्धता का स्रोत

संगीत की बात हो और उसमें भक्ति रस का जिक्र न आए ऐसा तो संभव ही नहीं। भक्ति आधारित संगीत भले ही फिल्मों में कम दिखता है, लेकिन उसके प्रति लगाव कभी कम नहीं होता। उसकी वजह बताते हुए अनूप जलोटा कहते हैं कि फिल्म में भजन हो या न हो भक्ति संगीत अमर रहेगा। लोग भजन से कभी दूर नहीं होते। जिस 

तरह से योग आपके तनाव को दूर करता है उसी तरह इश्वर की भक्ति में लीन होने पर आप अपने सारे तनावों और दुखों को भूल जाते हैं। यह संगीत का चमत्कार होता है। 

दरअसल, योग और संगीत के खूबसूरत सामंजस्य का उद्देश्य तन के साथ मन की शुद्धता को हासिल करना है। स्वरों की उपासना, रियाज, शास्त्र शुद्ध पद्धति द्वारा नाद ब्रह्म की आराधना कर अंतर्मन में गहराई तक उतारना संगीत का मुख्य लक्ष्य है। संगीत शास्त्र व आध्यात्म एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, क्योंकि दोनों का उद्देश्य एकसमान है। दोनों में आत्म साक्षात्कार होता है। 

योग और संगीत कला है

गायक जुबिन नौटियाल का मानना है कि योग और संगीत दोनों ही कला से जुड़े हैं। योग में आपको अपना मस्तिष्क एक जगह पर केंद्रित करना होता है, ठीक उसी तरह जैसे संगीत बनाते वक्त आपको अपना सौ प्रतिशत ध्यान लगाना होता है। योग और संगीत एक साथ चलते हैं। यह दोनों ही एक संतुलित जीवन और मस्तिष्क के लिए बहुत काम आते हैं। 

संगीत सुनते हुए करें मेडिटेशन

वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर किम इंसने अपने शोध अध्ययन में वैज्ञानिक तरीके से तस्दीक की है कि जब बात संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की हो तो मेडिटेशन और म्यूजिक दोनों समान रूप से कारगर हैं। संगीत स्ट्रेस हारमोन कार्टिसोल के स्तर को कम करता है, वहीं 

योगासन के अंतर्गत ध्यान और प्राणायाम के जरिए तनाव, ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण, दिल की बीमारियों का ख़तरा कम होने के साथ ही मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है। जिसकी वजह से मन प्रसन्न और शरीर निरोगी रहता है। संगीत सुनते हुए ध्यान और योग करने का विचार बेहतरीन है। 


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