World Mental Health Day 2020: मानसिक तनाव के लक्षणों को न करें अनदेखा, ले सकते हैं गंभीर रूप
World Mental Health Day 2020 लॉकडाउन और अनलॉक की इस लंबी अवधि में हर उम्र के लोग किसी न किसी कारण से परेशान हैं। मानसिक तनाव से पीडि़तों की संख्या में बड़ा उछाल देखा जा रहा है। कई सर्वे भी इस बात को मान रहे हैं।
पिछले कुछ दशकों से देश में मानसिक तनाव से बराबर या दीर्घ अवधि तक परेशान तथा पीडि़त रहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। घर पर शांति का माहौल होने के बावजूद बढ़ती संख्या में कामकाजी लोगों को डिस्ट्रेस में देखना यानी नाराज, परेशान, क्रोधित, असंतुष्ट और सतत तनाव में देखना अब कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं है। नि:संदेह कोरोना महामारी के दौरान यह स्थिति कुछ ज्यादा गंभीर हो गई है। लॉकडाउन और अनलॉक की इस लंबी अवधि में हर उम्र के लोग किसी न किसी कारण से परेशान हैं। हम सभी जानते हैं कि लगातार मानसिक तनाव में रहने के दुष्परिणाम काफी तकलीफदेह होते हैं।
मानसिक तनाव के बड़े लक्षण
कारण-अकारण हर समय किसी न किसी नकारात्मक विचार से ग्रसित होना। बराबर निराशा और उदासी का बोध होना। अनहोनी का डर सताना। बेवजह क्रोधित या नाराज होना।
- किसी काम में मन न लगना। हर समय खुद को थका हुआ महसूस करना। चुपचाप, अनमनस्क या उखड़ा-उखड़ा रहना।
- जरूरत से ज्यादा या कम सोना। भूख न लगना। नशा करने लगना या नींद की गोली खाने लगना।
- स्वजनों और अपने दोस्तों से बात करने में कतराना या असामान्य व्यवहार करना।
- बहुत ज्यादा देर तक बस यूं ही टीवी देखते रहना या बेमतलब के कार्यो में शामिल होना।
मानसिक तनाव के दुष्परिणाम
- मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम पर बहुत खराब असर पड़ता है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- एकाग्र होकर अपना कोई सामान्य काम भी नहीं कर पाते हैं।
- अनियमित नींद और अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं।
- ऊर्जा, उत्साह, कार्यक्षमता और उत्पादकता में काफी कमी दिखाई पड़ना।
- सिरदर्द, माइग्रेन, डिप्रेशन, मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग, कैंसर आदि के शिकार हो सकते हैं। आत्महत्या करने का प्रयास कर सकते हैं।
तनाव दूर करने के उपाय
रखें सकारात्मक सोच: तनाव का सीधा संबंध हमारी सोच से है। माइंड मैनेजमेंट से है। खुद पर भरोसा और सकारात्मक सोच रखेंगे तो सब कुछ सकारात्मक दिखेगा और होगा भी। हमारा मेटाबॉलिज्म भी तदनुरूप फंक्शन करने लगेगा। लिहाजा कुछ भी हो जाए हमेशा सकारात्मक नजरिया बनाए रखें।
अच्छा आचरण जरूरी: अपना आचरण मानवीय बनाएं रखें। अपने क्रोध को मंहगा बनाएं और हंसी-खुशी को सस्ता। झूठ-फरेब आदि से बचे रहें। जाने-अनजाने अगर कोई गलती हो जाए, तो ईगो के चक्कर में पड़े बिना यथाशीघ्र खुले मन से सॉरी कहें या माफी मांग लें।
वर्तमान में जीना सीखें: अतीत या भविष्य में जीने के बदले आज यानी वर्तमान में जीना सीखें। जब भी मन अतीत की बातों को सोचकर दुखी हो रहा हो या भविष्य के प्रति चिंता या आशंका हो तो तुरंत मन को वर्तमान में लाएं और किसी सकारात्मक क्रियाकलाप में व्यस्त हो जाएं। इसे अपनी आदत बनाने के लिए पिछले सात दिनों के क्रियाकलाप की समीक्षा करें और खुद देखें कि आप अतीत और भविष्य में कितना जीते हैं। आप कितनी नकारात्मक सोच में रहते हैं। इसके साथ ही सकारात्मक क्रियाकलापों को बढ़ाते रहें।
सही दिनचर्या: सही रूटीन का तनाव मैनेज करने में बड़ी भूमिका होती है। 24 घंटे में से रात की नींद के लिए सात-आठ घंटे छोड़कर बाकी के समय को इस तरह नियत कर उसका उपयोग करें कि मुख्यकार्य यथा नौकरी, व्यवसाय, अध्ययन, घरेलू कार्य आदि के अलावा व्यायाम, संगीत, खेलकूद, हॉबी आदि के लिए समय मिल जाए। स्वजनों और दोस्तों से क्वालिटी और हैप्पी टाइम बिताने से भी तनाव काफी घटता है। दिन की अच्छी शुरुआत और उसका समापन स्ट्रेस को कम करने में बहुत कारगर साबित होता है।
अच्छा घरेलू माहौल: घर का अच्छा माहौल वर्क प्लेस आदि के तनाव को बहुत कम कर देता है। अत: घर के माहौल को यथासंभव सरल, सहज और आडंबरहीन बनाए रखें। आपसी संवाद और आपसी रिश्ते हमेशा अच्छे बने रहें, इसके लिए सतत प्रयासरत रहें। बड़ी खुशी या बड़े सेलिब्रेशन के इंतजार में खुशी के छोटे-छोटे पलों को जीना न भूलें। जब भी संभव हो सब लोग साथ बैठकर आराम से खाना खाएं, टीवी, मोबाइल को थोड़ी देर के लिए भूलकर। साथ बैठकर कॉमेडी फिल्म या टीवी प्रोग्राम एंजॉय करना न भूलें।
हमेशा याद रखें कि तनाव के हर ताले को खोलकर माहौल को सामान्य और हैप्पी बनाने में सॉरी और स्माइल की कुंजी बहुत कारगर साबित होती है। कहते भी हैं कि लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन।
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